अश्विन शुक्ल ८ , कलियुग वर्ष ५११५
अबतक हुए गोवंशोंकी हत्याके लिए उत्तरदायी लोगोंपर राज्यशासन क्या कुछ कार्रवाई करेगा ?
मुंबई – राज्यशासनके अधिवक्ता संदीप शिंदेने मुंबई उच्च न्यायालयको यह सूचना दी कि पशुसंवर्धन अधिनियमके अनुसार खेतीके लिए उपयोगी गोवंशोंकी हत्या करना सर्वथा अनुचित है । अतः राज्यशासन बकरी ईदके १५ दिन पूर्वसे ही स्थान स्थानके गोवंश अधिकारमें लेकर उन्हें पशुसंवर्धन विभागके गोशालामें सुरक्षित रखेगा । (यदि बकरी ईदको केवल ५ ही दिन शेष हैं, तो १५ दिन पूर्वसे गोवंशोंको सुरक्षित रखा जाएगा, ऐसा हास्यास्पद निर्णय किस प्रकार लिया गया ? इस बातसे शासनके अभिवचनका झूठ सिद्ध होता है । ऐसे झूठे आश्वासन देनेवाला निरर्थक जनतंत्र अब नहीं चाहिए ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात) ईदके पश्चात दो दिनमें गोवंशोंको पुनः संबंधित स्वामीको सौंप दिया जाएगा ।
१. ईदके दिन गोवंशोंकी हत्या होती है; इसलिए भारतीय गोवंश रक्षा संवर्धन परिषद संस्थाने गतवर्ष मुंबई उच्च न्यायालयमें एक जनहित याचिका प्रविष्ट की थी । उसके अनुसार उच्च न्यायालयके आदेशानुसार ईदके लिए देवनार कसाईखानेमें लाए गए गोवंशोंकी जांच की गई । उनमेंसे ५३ गोवंश खेतीके लिए उपयोगी हैं, यह बात ध्यानमें आई । अतः याचिकाकर्ता तथा मुंबई महापालिकाने ये गोवंश अपने अधिकारमें लिए; किंतु ईदके पश्चात भी याचिकाकर्ताने अधिकारमें लिए गए गोवंश पुनः स्वामीके पास सौंपनेसे अस्वीकार किया । (खेतीके लिए उपयोगी गोवंश जिसने कसाई खानेमें लाए, उनपर क्या कार्रवाई की, क्या राज्यशासन इस बातका उत्तर देगा ? – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात)
२. अखिल भारतीय पशु हाट संगठनके अध्यक्ष खलीद कुरेशीसे एक निवेदनद्वारा उच्च न्यायालयका गतवर्षका आदेश निरस्त करनेकी मांग की गई । इस निवेदनपर ११ अक्तूबरको न्यायमूर्तिा धनंजय चंद्रचूड तथा न्यायमूर्ति एम. एस. सोनककी खंडपीठके सामने सुनवाई हुई । न्यायमूर्ति चंद्रचूडने पक्ष-विपक्षके अधिवक्ताओेंको इसपर एकमतसे उपाय निकालनेका सुझाव दिया । तदनुसार राज्यशासनने ईदकी कालावधिमें खेतीके लिए उपयोगी सर्व गोवंशोंकी रक्षाका दायित्व स्वीकार कर लिया; किंतु शासनने उस समय न्यायालयमें यह भी बताया कि भारतीय गोवंश रक्षा संवर्धन परिषदको हस्तक्षेप करने नहीं देंगे, अन्यथा अधिनियम एवं सुव्यवस्थाका प्रश्न उत्पन्न होगा । (हिंदुओ, केवल खेतीके लिए उपयोगी गोवंशोंकी रक्षा करनेकी अपेक्षा सभी गोवंशोंको कैसे बचा सकते हैं, संगठित होकर इस बातका प्रयास करें ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात )
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात