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झारखंडमें निर्धनतासे उकताकर हिंदुओंका धर्मांतर !

अश्विन शुक्ल ९ , कलियुग वर्ष ५११५

धर्मशिक्षाके अभावसेमें हिंदुओं द्वारा कुकृत्य

आरा (झारखंड) – पूर्व हर रविवारको प्रार्थना हेतु चर्चमें जानेवाले रामसिंगह कुजुर तथा उनका परिवार अब प्रतिदिन उनके घरके निकट श्रीरामकी मूर्तिके सामने प्रार्थना करते है। रामसिंगह कुजुर तथा उनके परिवारवालोंने सात वर्ष पूर्व हिंदू धर्ममें पुनप्रवेश  किया था । उनके दादाजीने ईसाई धर्मको स्वीकार किया था । वे ‘अराऑनउरावॅ' आदिवासी जमातिके सदस्य है। ईसाई मिशनरियोंने बच्चोंको नि:शुल्क शिक्षा तथा शासकीय नौकरी देनेका लालच दिखाकर ईसाई धर्ममें प्रवेश लेनेपर बाध्य किया था; किंतु ईसाई धर्म स्वीकारनेपर उनकी ओर पूर्णत: दुर्लक्ष किया गया । (हिंदुओ, ईसाईयोंका सही वास्तविक स्वरूप जानेनें ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात) झारखंडमें निर्धनतासे उकताकर हिंदू धर्मांतरित करहो रहे हैं । 
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ तथा भारतीय जनता पक्षके नेतृत्वमें रामसिंगह कुजुरका परिवार एवं आराके कुछ और ईसाई परिवारोंने हिंदू धर्ममें पुनप्रवेश  किया । 
‘धर्म परिवर्तन करनेपर भी हमारी आर्थिक स्थिती वैसी ही है । झारखंडमें धर्मके नामपर केवल राजनीति की जा रही है, ऐसा कुजुरने बताया । (कोई गरीब निर्धन मुसलमान कभी भी निर्धनता दूर होने हेतु धर्मांतर नहीं करेगा । निर्धनता दूर होने हेतु धर्मांतर कोई इलाजउपचार नही, हिंदू यह बात हिंदु कब समझेंगे ? ऐसे हिंदुओंको धर्मशिक्षा देनेका दायित्व बलाढ्य हिंदुत्ववादी संगठनोंका है ! – संपादक,दैनिक सनातन प्रभात )
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात

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