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अंतरराष्ट्रीय मूर्ति तस्करों का गढ़ बना नेपाल

अश्विन शुक्ल १० , कलियुग वर्ष ५११५


बलरामपुर – भारत-नेपाल सीमा से सटे उत्तर प्रदेश के देवीपाटन मण्डल के तीन जिलों बलरामपुर, बहराइच और श्रावस्ती की खुली २४३ किमी नेपाल सीमा मूर्ति तस्करों के लिए वरदान साबित हो रही है। पुलिस के अनुसार मण्डल के बहराइच जिले की सॢवलांस टीम ने नेपाल सीमा से सटे चेकपोस्ट के पास दो तस्करों को इसी सप्ताह नेपाल में तस्करी कर ले जायी जा रही करीब ५० करोड़ रुपये की अष्टधातु की ब्रह्मा, गणेश, पार्वती और नन्दी की मूर्तियो के साथ गिरफ्तार किया। इसकी जांच में नेपाली पुलिस से सम्पर्क साधा जा रहा है। नेपाल और भारत के बीच अच्छे सम्बन्धों का फायदा उठाकर दोनों देशों में अपना नेटवर्क फैलाये बडे तस्कर कूरियरों के माध्यम से तस्करी करवा रहे हैं। इस काम में सीमावर्ती इलाकों में रहने वाले गरीब परिवारों की महिलाओं और बच्चों को प्रलोभन देकर शामिल किया जाता है।

भारत के विभिन्न मन्दिरों से चोरी की गयी बेशकीमती अष्टधातु की मूर्तियों को गोण्डा-बढनी और गोण्डा-रपईडीहा रेलमार्ग, जंगली बीहड रास्तों और गैर परम्परागत मार्गों से एसएसबी जवानों, पुलिस और खुफिया तंत्र को चकमा देकर और सांठगांठ कर आसानी से नेपाल पहुंचा दिया जाता है। कूरियरों को सौदेबाजी की रकम देकर नेपाल के बडे कारोबारी तस्करी की इन मूर्तियों को अंतरराष्ट्रीय बाजारों में ऊंचे दामों पर बेच देते हैं। अष्टधातु की बनी इन छोटी से छोटी मूर्तियों की कीमत भी करोड़ों रुपये में होती है। अष्टधातु चूंकि बहुत महंगी है इसलिए चोरों, तस्करों तथा बड़े कारोबारियों की नजरें प्राचीन मूर्तियों पर रहती हैं।

अक्सर भारतीय मन्दिरों से चोरी की गई बेशकीमती अष्टधातु की मूर्तियां सीमा पर खोजने में पुलिस को असफलता का सामना करना पड़ता है। आधिकारिक सूत्रों के अनुसार भारत-नेपाल सीमा पर तस्करी को रोकने के लिए नागरिक पुलिस और सीमा सुरक्षा एजेंसियों को मुश्किल रास्तों  पर विशेष निगरानी रखने को कहा गया है। इसके अतिरिक्त चकमा देकर इस पार से उस पार आने जाने वाली संदिग्ध महिलाओं पर निगरानी रखने के लिए महिला शाखा की टुकडियों की तैनात की गई हैं।

स्त्रोत : पंजाब केसरी

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