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इतिहासकी पाठ्यपुस्तकसे छत्रपति शिवाजी महाराजके संदर्भमें अनादरयुक्त किया गया विधान

अश्विन शुक्ल १० , कलियुग वर्ष ५११५ 


नई देहली –  बेंगलुरूकी हिंदू जनजागृति समितिकी कार्याकत्री श्रीमती पूर्णिमा प्रभुने बताया कि, आयइ.सी.एस्.ई. शिक्षण मंडलकेी ९ वी कक्षाके इतिहासकी  पाठ्यपुस्तकमें छत्रपति शिवाजी महाराज तथा महाराणा प्रतापका अनादर किया गया है । अतः श्रीमती प्रभुने पाठ्यपुस्तकके लेखक तथा प्रकाशक एस्.एल्. किलेको पत्र भेजकर हिंदू राजाओंका अनादर करनेवाले विधान हटानेकी मांग की है । 
इस पुस्तकमें यह उल्लेख किया गया है कि, मराठा, राजपूत, सिक्ख, एवं जाटद्वारा किया गया आंदोलन औरंगजेबकी सत्ताके लिए कष्टदायक सिद्ध हुआ था । अतः उस पत्रमें यह प्रस्तुत किया है कि, हिंदवी स्वराज्यकी स्थापना करनेवाले छत्रपति शिवाजी महाराजका यह अनादर ही है ।
पुस्तकके लेखक/प्रकाशकका देशद्रोह निरंतर !

(कहते हैं) मराठा, राजपूत, सिक्ख, जाट येह सभी कष्टदायक ही हैं !

इस पत्रका उत्तर देते समय पाठ्यपुस्तकके प्रकाशकने बताया कि, मराठा, राजपूत, सिक्ख, एवं जाटके संदर्भमें उपयोग किया गया शब्द ‘कष्टष्टदायक’ यह शब्द उचित ही है । (इससे प्रकाशककी उद्दंडता स्पष्ट होती है ! राष्ट्रपुरुषोंका अनादर करनेवाले इतिहासकेी पाठ्यपुस्तकको परिवर्तन करनेके लिए हिंदू राष्ट्रकी निर्मितिस्थापना अनिवार्य है ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात) प्रकाशकने पत्रद्वारा यह सूचित किया कि, यदि पाठ्यपुस्तकोंमें आपको अपेक्षित ऐसा परिवर्तन चाहिए, तो आप आयइ.सी.एस्.ई. शिक्षण मंडलसे संपर्क कर सकते हैं।
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात

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