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भाषा, विभाग, जाति इनके बीच न फसकर राष्ट्रवाद जागृत करें ! – धनंजय देसाई !

अश्विन शुक्ल १० , कलियुग वर्ष ५११५ 


बेलगांव –  श्रीशिवप्रतिष्ठानद्वारा आयोजित श्री दुर्गामाता दौडीके समारोपनके समय प्रमुख्या अतिथिके स्थानपर हिंदू राष्ट्र सेनाके अध्यक्ष श्री. धनंजय देसाई उपास्थित थे । उस समय उन्होने यह आवाहन किया कि, मैं कानडी, मैं गुजराती, मैं मराठी इस प्रकारका उल्लेख करनेकी अपेक्षा मैं हिंदू हूं, इस प्रकार कहें । देवी-देवताओेंका अधिष्ठान रखकर विश्वका कल्याण करनेवाली हमारी संस्कृति कुछ दरोडेखोर– एवं गुंडोंके कारण आपत्तिमें आ गई है । देशपर निरंतर आघात हो रहे हैं । इस परिस्थितीमें भाषा, विभाग, जातिमें न फसकर राष्ट्रवाद जागृत करें । 
इस अवसरपर श्री. धनंजय देसाईके पिताश्री श्री. जयराम देसाई, दैनिक तरुण भारतके संपादक श्री. किरण ठाकुर, श्रीशिवप्रतिष्ठष्ठानके श्री. किरण गावडे उपास्थित थे । दौडीके लिए १५ सहस्रत्रोंसे अधिक धारकरी उपास्थित थे । श्री. देसाईने आगे बताया, केवल लडकियोंको मनाना अर्थात् युवावस्था, ऐसी आजके युवकोंकी ऐसी ही परिभाषा हुई है; किंतु  वास्तवमें युवावस्था अर्थात् क्या है, यह श्रीशिवप्रतिष्ठष्ठानद्वारा सिखाया जाता है । धर्मके लिए लडनेवाले श्रीराम सेना प्रमुख श्री. प्रमोद मुतालिकके प्रति मैं कृतज्ञता व्यक्त करता हूं । देश, एवं धर्म हेतु लडनेवाले प्रत्येक संत, योद्धा, कार्यकर्ताके आगे हमें नतमस्तक होना चाहिए । 
श्री. देसाईने बताया…
१. आज महाराष्ट्रमें आज सर्वाधिक किसान आत्महत्या कर रहे हैं । उस समय महाराष्ट्र शासनने मदरसोंके लिए ७८ करोड रुपएं घोषित किए । इन मदरसोंमें निश्चित रूपसे क्या सिखाया जाता है, क्या शासनने कभी इसका कभी शासनने विचार किया है ?
२. केंद्रीय गृहमंत्री सुशीलकुमार शिंदे कहते हैं, मुसलमानोंको कष्टष्ट न दें । क्या ये देशके गृहमंत्री हैं कि मुसलमानोंके ?
३. यह दुर्दैवकी बात है कि, छत्रपति शिवाजी महाराज तथा महाराणा प्रतापके वंशज होनेवाले, एवं पराक्रमोंकी पूजा करनेवाले तथा अनेक शत्रुओंको मिठ्ठट्टीमें मिलानेवाले इस देशका नेतृत्व एक षंढकायरके हाथमें है । 
४. जब हमारे परराष्ट्रमंत्री चीनकी यात्रापर जाते हैं, उस समय घुसपैठ होती है । पी. चिंबदरम् पाकिस्तानकी यात्रापर थे, तो वहां संयुक्त बैठकमें भारतका ध्वज उलटा लगाया जाता है । मुशर्रफके जानबुझकर भारतमें आते समय जानबूझकर विमानपर उलटा ध्वज लगाकर आता है तथा उस समय हमारे राजनेताएं उसके विरोधमें कुछकोई भी कृत्य नहीं करते । इस उपास्थितमें परिवर्तन करने हेतु राजनीतिक इच्छाशक्तीकी ही आवश्यकता है । 
क्षणिकाएं 
१. पुलिस भी दौडीके समवेत दौड रही थी । श्री. देसाईने दौडनेवाले पुलिसकी अपने मार्गदर्शनमें दौडनेवाली पुलिसकी प्रशंसा की । 
२. वरदराज केबल नेटवर्कने दौडीका सीधा प्रक्षेपण किया । 
३. श्री. धनंजय देसाईको तलवार भेंट दी गई ।
४. कार्यक्रमस्थलपर सनातन संस्थाद्वारा ग्रंथप्रदर्शनीका आयोजन किया गया था । 
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात

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