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कांग्रेस सरकार पाकिस्तान एवं चीनको उत्तर देनेमें लिए असमर्थ

अश्विन शुक्ल १० , कलियुग वर्ष ५११५

सरसंघचालक केवल वक्तव्य न दें, अपितु कांग्रेस सरकारको हटाने हेतु निश्चित कृत्य करें ।

नागपुर – नागपुरके रेशीमबाग मैदानपर संघकी ओरसे ‘दशहरा’ समारोहके निमित्त आयोजित कार्यक्रममें बोलते हुए सरसंघचालक मोहन भागवतने ऐसी आलोचना की कि पाकिस्तान एवं चीनको उत्तर देनेके लिए कांग्रेस सरकारके पास नीति नहीं है । प्रधानमंत्री पाकिस्तान भ्रमण कर वहांके प्रधानमंत्रीसे भेंट करते हैं तथा यहां सीमापर घुसपैठ होती है । अपने प्रधानमंत्रीका अपमान होता है तथा सरकार मौन रहती है ।

सरसंघचालकद्वारा दिए गए वक्तव्य

१. संघ राजनीति नहीं करता; परंतु संघमें जन्मतः ही राजनीति करनेकी शक्ति है ।
२. देशके वर्तमान समयके आर्थिक, सामाजिक, राजनीतिक एवं सुरक्षाके प्रश्नोंपर समाधान ढूंढनेमें केंद्र सरकार एवं प्रशासन असफल सिद्ध हो रहा है । ऐसी स्थितिमें समाजको ही परिस्थिति हाथमें लेना पडेगी ।

३. देशमें युवकोंकी जनसंख्या ५० प्रतिशतसे अधिक है । इन युवकोंको मतदाता सूचीमें अपने नाम पंजीकृत करने चाहिए । शतप्रतिशत मत प्रदान कर योग्य एवं कार्यक्षम प्रतिनिधिका चयन करना चाहिए ।

४. कुछ वर्ष पूर्व ऐसा भविष्यकथन किया जा रहा था कि भारत देश आर्थिक महासत्ताके रूपमें उभरेगा; परंतु वर्तमान समयमें डालरकी तुलनामें रुपयोंका कीर्तिमान अवमूल्यन होनेसे शेयर बाजार गडगडा रहा है तथा महंगाई नियंत्रणके बाहर चली गई है । चालू विभागकी त्रुटियां भयंकर रूपसे बढ रही हैं । चार वर्षपूर्व महासत्ताका सपना देखनेवाले देशकी अवस्था वर्तमान समयमें ऐसी  क्यों हो गई ? केंद्र सरकार देशकी आर्थिक नीतियोंपर पुर्नविचार करे । देशके उत्पादस्रोत विदेशी प्रतिष्ठानोंके हाथोंमें न दे । साधारण व्यापारमें होनेवाले विदेशके निवेशको रोके । लघुउद्योग एवं स्वरोजगारको प्राथामिकता दे ।

५. भ्रष्टाचारके विरुद्ध देशमें दो बडे व्यापक आंदोलन हुए; परंतु अबतक कठोर कानून नहीं बना । राजनीतिक स्वार्थके लिए भ्रष्टाचारी नेताओंको साथमें रखा जा रहा है । केंद्रसरकार ऐसे प्रकरणोंमें कार्यवाही करनेके स्थानपर  उन कानूनोंको निर्मितिके समयसे ही दुर्बल बनानेका प्रयास कर रही है ।

६. जिस पद्धतिसे देशके गृहमंत्रीने तथाकथित अल्पसंख्यकोंसे नरमीसे पेश आनेकी सूचनाएं दी हैं; उसमें हिंदू समाजके प्रति उनकी उदासीनताकी नीति स्पष्ट होती है ।

७. संविधानके मार्गदर्शक तत्वोंकी अवहेलना कर जातीयतापर आधारित आरक्षण देनेकी सिद्धता आरंभ की गई है । करदाताओंका भाग भ्रष्टाचारी योजनाओंके लिए प्रयुक्त कर देशका धनागार/भंडार रिक्त किया जा रहा है ।

८. सत्ता एवं स्वार्थकी प्राप्तिके लिए देशभक्तोंकी शक्ति कुचल डालनेकी विघाती राजनीतिका दूसरा उदाहरण मुजफ्फरनगरकी घटना है । एक समुदायकी गुंडागिरीकी घटनाके कारण सत्ताके समीकरणके लिए दूसरे समुदायकी केवल उपेक्षा ही नहीं की गई है, अपितु गुंडगिरीको प्रोत्साहित भी किया गया है । कानून एवं सुरक्षाको अलग रखकर कथित अल्पसंख्यकोंके तुष्टीकरण हेतु इससे पूर्व भी प्रतियोगिता चल रही थी । जम्मूमें किश्तवाडमें अल्पसंख्यकोेंपर आक्रमण किए गए । राज्यके गृहमंत्रीके समक्ष उनकी लूट की गई । कश्मीरमें हिंदुओंपर अत्याचार हुए । जम्मूमें अब यही परिस्थिति उत्पन्न हो रही है । केंद्रसरकारकी नीति ऐसी घातक शक्तियोंकी चापलूसी करनेकी ही है ।

९. भारतमें नेपालके मार्गसे आनेवाले आतंकवादी भारतका जनसंतुलन बिगाडनेके प्रयास कर रहे हैं । ये आतंकवादी पाकिस्तानके पारपत्र (पासपोर्ट) पर नेपाल जाते हैं । वहांसे वे भारतमें प्रवेश करते हैं । इनको रोकनेमें भारत सरकार विफल हो रही है । चीन दोनों ओरसे भारतपर आक्रमण करनेका प्रयास कर रहा है । उसे उत्तर देनेमें भारत अकार्यक्षम है ।

स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात

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