बकरी ईदकी कालावधिमें अस्थाई रुपसे पशुवधगृह खोलनेसे हेतु उच्च न्यायालयका इन्कार

अश्विन शुक्ल ११ , कलियुग वर्ष ५११५ 

मुंबई – बकरी ईदके दिन देवनार पशुवधगृहपर बडी मात्रामें दबाव अनुभव किया जाता है । अत: १६ अक्तूबरको ईदके दिन मुसलमानबहुल क्षेत्रोंमें अस्थाई रूपसे पशुवधगृह खोलनेकी अनुमति दे दी जाए, इस याचिकापर ११ अक्तूबरको सुनवाई करते हुए मुंबई उच्च न्यायालयके न्यायमूर्ति सत्यरंजन धर्माधिकारी तथा न्यायमूर्ति गौतम पटेलकेी खंडपिठने कहा कि, वर्तमानमें इस विषयपर शीघ्र निर्णय देनेकी आवश्यकता नही है । ४ सप्ताह पश्चात अगली सुनवाईके समय निर्णय लिया जाएगा, ऐसा भी बताया गया । इस प्रकार न्यायालयने इस वर्ष ईदके दिन मुसलमानोंको अस्थाई रुपसे पशुवधगृह खोलनेसेकी बातको अप्रत्यक्ष पद्धतिसे इन्अस्वीकार ही किया है । (पुलिस तुरंत तलाशी लेकर अवैध पद्धतिसे चलाए जानेवाले पशुवधगृह ढूंढकर उनपर त्वरित कार्यवाही करें ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात ) 
अवामी विकास पक्षके अध्यक्ष समशेर खान पठानने इस मांग हेतु एक वर्ष पूर्र्व जनहित याचिका प्रविष्ट की थी । उस समय न्यायमूर्ति धनंजय चंद्रचूडकी  खंडपिठने इस विषयमें भूतपूर्व पुलिस आयुक्त रिबेरो समिति स्थापित की थी । समितिके ब्यौरेमें अस्थाई पशुवधगृह खोलनेपर सकारात्मकता  दर्शाई  गई थी । न्यायमूर्ति धर्माधिकारी खंडपिीठके सामने युाqक्तवाद-विवाद करते हुए पठानके अधिवक्ताने इस समितिके ब्यौरेका संदर्भ दिया था । (ऐसा आदेश न्यायालयको ऐसा आदेश क्यों देना पडता है ? पुलिस स्वयं अवैध कृत्योंके विरुद्ध कार्यवाही क्यों नहीं करती ?- संपादक, दैनिक सनातन प्रभात )

गोवंशकी अवैध हत्या करनेवालोंपर पुलिस तत्परतासे कार्यवाही करेंरे ! – उच्च न्यायालय

इसी अवसरपर ‘भारतीय गोवंश रक्षा संवर्धन परिषद’ संस्थानेद्वारा प्रविष्ट की गई दूसरी याचिकापर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति धर्माधिकारीने कहा, ईदको जिस जिस स्थानपर अवैध पद्धतिसे गोवंशकी हत्या होनेकी बात याचिकाकर्ताओंके निदर्शनमें आएगी, उस समय वे अपने मनसे छापा न मारकर उस क्षेत्रके पुलिस उपायुक्तको संबंधित विषयकी विस्तारपूर्वक जानकारी दें ।तथा पुलिस तत्परतासे उसन अवैध पशुवधगृहोंपर कार्यवाही करेंरे । (इसका अर्थ है, पुलिस तत्परतासे कार्यवाही नहीं करती थी ! पुलिसकी इतनी पराकोटिकी उदासीनता केवल मुसलमानोंके संदर्भमें ही क्यों होती है ? हिंदुओंपर कार्यवाही करते समय उनमें कहांसे तत्परता आती है ? ऐसा भेदयुक्त करनेवाला पुलिस विभाग देनेवाला निधर्मी लोकराज्य किस कामका ? – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात )

स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात 

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