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अमित शाह ने कहा : लोकसभा चुनाव २०१४ के लिए राम मंदिर मुद्दा नहीं

कार्तिक कृष्णपक्ष ४, कलियुग वर्ष ५११५

कुछ दिन पहले ही सरसंघचालक मोहन भागवत जी ने कहा, ‘‘अगले ५० सालों के लिए देवी-देवता भूल जाआे एवं भारतमाता की सेवा करो ।’’ तभी हमें लगा था कि क्या भागवत जी हिंदू समाज को कह रहे है कि अब उन्हें अयोध्या के राम मंदिर का सूत्र भूला देना चाहिए ? अब अमित शाह के बातों से यह पता चलता है की यह बात सच हो चुकी है । क्या अब संघ के समर्थक अमित शाह के राम मंदिर के बारें में बयान का कुछ उत्तर देंगे ? – संपादक


बीजेपी के पीएम इन वेटिंग और गुजरात के मुख्‍यमंत्री नरेंद्र मोदी के करीबी अमित शाह ने कहा है कि लोकसभा चुनाव में मोदी कहां से चुनाव लड़ेंगे ये अभी तय नहीं है. अमित शाह ने साफ कर दिया कि राम मंदिर मुद्दा बीजेपी के एजेंडे में नहीं है.

आज तक के साथ एक्‍सक्‍लूसिव बातचीत में यूपी में बीजेपी के प्रभारी और गुजरात के पूर्व गृह मंत्री अमित शाह ने कहा, 'नरेंद्र मोदी कहां से चुनाव लड़ेंगे यह अभ तय नहीं है. इसका फैसला पार्टी करेगी.' जब उनसे पूछा गया कि क्‍या वे खुद यूपी में किस्‍मत आजमाएंगे तो उन्‍होंने कहा कि ये बाद की बात है अभी तो उनका पूरा ध्‍यान प्रचार में है. अमित शाह ने का कि राम मंदिर मुद्दा बीजेपी के एजेंडे में नहीं है. अमित शाह से बातचीत की है हमारे एडिटर-एट-लार्ज राहुल कंवल ने. पेश हैं उनसे बातचीत के मुख्‍य अंश :

आपने जिंदगी भर गुजरात में राजनीति की, आपको नरेंद्र मोदी की वजह से इतनी बड़ी जिम्मेवारी दी गई, देश का सबसे बड़ा राज्य, सबसे जटिल राज्य, उसका बनाया गया अपको इंचार्ज. लोंगों ने यह सोचा कि क्या अमित शाह वाकइ में यूपी की राजनीति इतनी जल्दी समझ पाएंगे…गुजरात की तो बाईपोलर राजनीति है, यूपी के कंप्लेक्स राजनीति को क्या आप इतनी जल्दी समझ पाएंगे ?

अमित शाह – देखिए, वो तो चुनाव के नतीजे जब आएंगे तभी पता चलेगा. लेकिन मुझे भरोसा है, पार्टी ने जिस विश्वास से मुझे ये जिम्मेदारी सौंपी है, उस विश्वास से मैं बिल्कुल दमखम से पार उतारुंगा और सबसे बड़ी पार्टी बनकर हम उत्तर प्रदेश में वापस आएंगे.

 

क्यों दी गई आपको इतनी बड़ी जिम्मेदारी, क्या है आपका और मोदी का रिश्ता ऐसा कि आप मोदी के दाहिने हाथ माने जाते हैं?

अमित शाह – देखिए दो सवाल अलग-अलग है. क्यों दी गई ये तो आप राजनाथ सिंह जी से पुछिए और पार्टी के बड़े नेताओं से पूछिए. मेरा काम है जो पार्टी मुझे जिम्मेदारी दे, उस काम को मुझे मेरे अंदर जितनी भी क्षमता है, क्षमता का सही तरह से उपयोग करते हुए मैं निभाउंगा. और जहां तक मोदी जी का सवाल है तो मोदी जी का कोई खासमखास नहीं है, जो ज्यादा काम करते हैं वो उन्हें अच्छे लगते हैं. और स्वभाविक रूप से जो ज्यादा काम करता है उसे ज्यादा मौका मिलता है.

 

आप सीधी बात कीजिए. सीधी-सीधी बात होनी चाहिए, ऐसा न कहिए कि आप उनके खास नहीं हैं. पूरा देश आपको इस वक्त देख रहा है, सब जानते हैं मोदी को, अमित शाह को भी और देश के राजनीति को भी. यह बताइये कि उत्तर प्रदेश पर फतह करने की आपकी स्ट्रेटेजी क्या है?

अमित शाह – देखिए, वैसे उत्तर प्रदेश पर फतह करना इस बार कोई बड़ी बात है नहीं. इसके तीन कारण हैं- पहला कारण, यूपीए सरकार के खिलाफ बड़ी एंटी इंकंबेंसी की लहर पूरे उत्तर प्रेदेश में है, मंहगाई और भ्रष्टाचार, देश की सुरक्षा और लचर प्रशासन. इससे लोग त्रस्त हैं तो सरकार बदलने का मूड वैसे ही बना है. दूसरा कारण है कि जो उत्तर प्रेदेश की सरकार है, इसके खिलाफ भी एंटी इंकंबेंसी पूरे पीक पर है और सपा व बसपा दोनों के कुशासन से लोग त्रस्त हैं. बसपा का कुशासन आज भी लोगों को याद है, सपा का कुशासन आज भी चल रहा है और बीजेपी के अलावे लोगों के पास कोई चारा नहीं है. अगर केंद्र में सरकार बदलनी है तो न सपा बदल सकती है, न बसपा बदल सकती है, सिर्फ बीजेपी बदल सकती है और इस बार परिवर्तन की लहर देश भर में अगर सबसे ज्यादा है तो वो उत्तर प्रदेश में है.

 

पर धारणा यह है कि अमित शाह को उत्तर प्रदेश इस वजह से भेजा गया है ताकि वहां हिंदु पोलराइजेशन हो. जमीन पर, सतह के नीचे अमित शाह यह मैसेज भेज रहे हैं कि किस तरह से मुसलमानों का एपीजमेंट हो रहा है, हिंदुओं को जोड़ने की कोशिश कर रहे हैं. क्या यही अमित शाह की रणनीति है कि मोदी के नाम पर हिंदुओं को जोड़ो?

अमित शाह – देखिए, मैं सीधे संगठन के लिए काम कर रहा हूं मगर यूपी के हालात, जो लोग सरकार में हैं, उन्हीं लोगों ने ऐसे बनाए हैं कि मुझे लगता है चुनाव आते-आते क्मयुनलाइज हो जाएगा. 21 मुकदमे जो हार्डकोर टेररिस्टों के खिलाफ अगल-अलग समय में दायर किए थे, और वो लोग जेल में हैं, उन्हें जेल में से छोड़ेने कि सिफारिश इस सरकार नें की है. मैं कभी सोच ही नहीं सकता, संविधान के तहत चलने वाली सरकार इस तरह का काई स्टेप ले सकती है क्या. रोज-रोज के काम और विकास के कामों में भी एपीजमेंट के कारण, बहुमत की संख्या जो है वे हिंदु है, उसमें बड़ी नाराजगी प्रशासन के प्रति है. मुझे कुछ करने की जरूरत नहीं है, मुस्लिम एपीजमेंट करने के चक्कर में हिंदुओं को नाराज करने का काम मुलायम ने कर दिया है.

 

पर लग रहा है कि उत्तर प्रदेश में इस वक्त एक डबल गेम चल रहा है. एक तरफ नरेंद्र मोदी हैं जो कहते हैं कि शौचलय पहले आना चाहिए, देवालय बाद में. दूसरी तरफ आप हैं, आप जाते हैं, पहला काम आपने यह किया कि आप अयोध्या गए, आपने कहा कि राम मंदिर यहीं बनेगा. विनय कटियार कानपुर के मंच पर खड़े होकर बोलते हैं कि हिंदुत्व, राम मंदिर का मुद्दा है चुनाव में. बाकि बीजेपी के नेता एकदम चुप्प हैं तो ये क्या गेम चल रहा है. हिदुत्व के नाम पे, राम मंदिर के नाम पे. साफ-साफ बताइये कि राम मंदिर आपके एजेंडे पर है कि नहीं?

 

अमित शाह – देखिए, हमारे राष्ट्रीय अध्यक्ष जी ने बार-बार इस बात को स्पष्ट किया है मीडिया के सामने कि राम मंदिर हमारा चुनावी एजेंडा नहीं है. मुझे लगता है इसके बाद भी मीडिया के अलावा और कोई ये नहीं कह रहा कि राम मंदिर हमारे एजेंडे में है.

 

आप सबसे पहले अयोध्या गए और सबसे पहले आपने कहा कि हम सबकी ये भावना है और यहीं पर बनाएंगे राम मंदिर ?

अमित शाह – आपने मेरी बात को या तो ठीक से सुना नहीं, या तो आप गलत तरीके से पेश कर रहे हैं. मैंने कहा था कि मैने राम भगवान के सामने प्रार्थना की है कि देश कुशासन से मुक्त हो, कांग्रेस मुक्त भारत बने और यहां सबकी सहमति से बड़ा राम मंदिर का निर्माण हो, ऐसी मैंने प्रार्थना की है. न बीजेपी की कोई बात की थी, न ही चुनावी ऐजेंडे की कोई बात कही थी. जहां तक मेरी प्रार्थना का सवाल है, वो मेरा अधिकार है और मैं आज भी कहता हूं कि राम लला के सामने मैंने ऐसी प्रार्थना की थी कि सबकी सहमति से सबके सहयोग से वहां एक भव्य राम मंदिर बने और राम लला एक अच्छी जगह पर, एक भव्य जगह पर विराजें.

 

आपने कहा कि राम मंदिर आपके लिए चुनावी मुद्दा नहीं है तो हिंदुत्व, उत्तर प्रदेश में खासकर के, अमित शाह के लिए, नरेंद्र मोदी के लिए कितना महत्वपूर्ण है ?

अमित शाह – देखिए मेरी पार्टी कि पालिसी है कि किसी का एपीजमेंट मत कीजिए, सबके साथ न्याय कीजिए. इसमें दो बात हैं, किसी का एपीजमेंट न करना और सबके साथ न्याय करना. इसमें अगर किसी का एपीजमेंट होता है तो अपने आप दूसरे छोर की भावनाएं उभरकर ऊपर आती हैं. इसको मैं नहीं रोक सकता, इसके लिए अगर कोई दोषी है तो एपीजमेंट करने वाला है.

 

आप भी तो तूल दे रहे हैं उस भावना को.

अमित शाह – तूल देने का सवाल ही नहीं है. जो जन भावना है उसे बीजेपी रिफलेक्ट करेगी, उसको आवाज देगी. जनभावनाओं को आवाज देना हम लोगों का काम है, और किसी के साथ भी अन्याय होगा, मेरी बात को ठीक से समझिएगा, किसी के साथ भी अन्याय होगा तो बीजेपी उसको मुखर होकर उठाएगी ?

 

आपने मेरे सवाल का जवाब नहीं दिया. हिंदुत्व का आपके चुनाव में क्या रोल है.

अमित शाह – सरकार के द्वारा जो एपीजमेंट हो रहा है. उससे दूसरे छोड़ की भावनाएं आहत हो रही हैं और वो सरफेस पर आ गया. इसमें किसी ने उकसाया है, इस तरह की बात नहीं है. एक्शन जो सरकार का है वही दूसरे छोर की भावनाओं को उकसा रहा है.

स्त्रोत : आज तक

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