आषाढ़ कृ ३/४, कलियुग वर्ष ५११४
इस अधिवेशनमें संपूर्ण देशभरके जैन संगठन भी सहभागी हुए हैं । पंजाब स्थित एक सिक्ख संगठन भी इस अधिवेशनमें सहभागी हो रहा है । प.पू. आसारामबापूजी, श्री श्री रविशंकरजी, जगद्गुरु नरेंद्राचार्यजी महाराज इन संप्रदायोंके प्रतिनिधि भी इस अधिवेशनके लिए उपस्थित रहेंगे । कांची-कामकोटी पीठके शंकराचार्य जगद्गुरु श्री स्वामी जयेंद्र सरस्वतीने इस अधिवेशनके लिए अपने आशीर्वाद भेजे हैं । कुल मिलाकर इस अधिवेशनमें हिंदु जाति, संप्रदाय एवं संगठनोंकी शृंखला तोडकर सहभागी होनेके कारण यह अधिवेशन हिंदु राष्ट्र स्थापनाके इतिहासमें सुवर्णपत्र होगा, ऐसा वक्तव्य आधुनिक वैद्य मनोज सोलंकीद्वारा इस समय दिया गया ।
स्त्रोत – दैनिक सनातन प्रभात