आषाढ़ कृ ३/४, कलियुग वर्ष ५११४
गांवदेवी एवं मारुति मंदिरमें मूर्तिकी प्राणप्रतिष्ठा
नासिक – इगतपुरी तहसीलमें ट्रिंगलबाडी अंतर्गत निशानबाडी एवं तालाबकी बाडीमें कुछ दिन पूर्व ही पारंपरिक बोहडा (देवतापूजनका) कार्यक्रम तहसीलके आदिवासी समाजकी ओरसे बडे जोश एवं उत्साहसे मनाया गया । कार्यक्रमके लिए तहसीलका आदिवासी समाज अधिक संख्यामें उपस्थित था । श्री संप्रदायद्वारा आयोजित इस कार्यक्रममें ईसाई धर्ममें धर्मांतरित हुए कुल मिलाकर ३१८ आदिवासियोंका हिंदु धर्ममें पुनर्प्रवेश किया गया । श्री संप्रदायके भक्तगणोंने चंदा इकट्ठा कर गांवमें ध्वस्त हुए दो मंदिरोंकी पुर्नरचना की । निशानबाडीमें गांवदेवी तथा तालाबकी बाडीमें मारुति मंदिरकी रचना की गई । उसमें विद्यमान मूर्तिकी प्राणप्रतिष्ठा भी की गई । (ईसाई धर्ममें धर्मांतरित हुए आदिवासियोंको पुनः हिंदु धर्ममें प्रवेश कर देनेवाले एवं चंदा इकट्टा कर ध्वस्त हुए मंदिरोंकी पुर्नरचना करनेवाले श्री संप्रदायका अभिनंदन ! – संपादक)
श्री संप्रदायके श्री. गोपाळ शिंदेने आदिवासी समाजका मार्गदर्शन करते समय ऐसा वक्तव्य दिया , ‘आदिवासी समाजकी हो रही दुर्दशा शासनद्वारा रोक देनी चाहिए । आदिवासी समाजको शासकीय योजनाका लाभ प्राप्त होना चाहिए ।’ यदि ईसाइयोंके प्रलोभनकी बलि होकर धर्मांतरित होनेकी स्थिति आदिवासी समाजपर आती है, तो शीघ्र ही देशमें अराजकताकी स्थिति होकर कानून एवं सुव्यवस्थाका प्रश्न खडा होगा, ऐसी चेतावनी उपस्थित मान्यवरोंद्वारा शासनको दी गई । कार्यक्रमको सफलता प्राप्त होने हेतु श्री. हरिश्चंद्र माने, श्री. अंकुश गांगल, श्री. पिंटु झुगरे, श्री. रमेश मानवेदे, श्री. शिवाजी भगत आदिने योगदान दिए ।
स्त्रोत – दैनिक सनातन प्रभात