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हिंदू राष्ट्र स्थापित करने हेतु ब्राह्मतेज एवं क्षात्रतेजकी उपासना आवश्यक ! – श्री. सुरेश मुंजाल

कार्तिक कृष्ण ५ , कलियुग वर्ष ५११५
देहली – हिंदू जनजागृति समितिके श्री. सुरेश मुंजालद्वारा बाबा खिलौनादास मंदिर, पहाडगंज, देहलीमें आयोजित हिंदूनिष्ठोंकी बैठकमें यह आवाहन किया गया कि, यदि हमें कल किसीने ईदनिमित्त मुसलमानोंका वेष परिधान करनेके लिए बताया, तो क्या हम परिधान करेंगे ? हिंदू धर्मपर होनेवाले आघातोंके विरोधमें हमें संगठितरूपसे विरोध करना चाहिए । एक समय भारतको विश्वगुरु माना जाता था, अब पुनः भारतको विश्वगुरुके पदपर स्थापित करने हेतु प्रत्येक हिंदूको प्रयास करने चाहिए। धर्माभिमानी श्री. जीत सिंहद्वारा इस बैठकका आयोजन किया गया था । इस बैठकके लिए अखिल भारतीय हिंदू युवक सभाके श्री. राकेश गोरखा भी उपस्थित थे ।

हिंदुओंको संगठित करना, जीतका यही ही जीतनेका एकमात्र महामंत्र ! – श्री. राकेश गोरखा

उस समय श्री. राकेश गोरखाने बताया, लव जिहादकी आपत्तिके विषयमें हमें हमारी माता-भगिनिओंको जागृत करना चाहिए। यदि कोई भगिनी अांतरजालका (इंटरनेटका) उपयोग करती है, तो वर्तमानमें अांतरजालके माध्यमसे किस प्रकार फंसाया जातरहा है, इस विषयमें युवतियोंको सतर्क करना चाहिए । हम हिंदू हैं, अतः हमें माथेपर तिलक लगाना चाहिए । तिलक लगाए व्यक्तिको कहीं भी अडचनें नहीं आएंगी, हमें ऐसा प्रबंध भी हमें करना चाहिए । हमारो संगठन अन्य संगठनोंके साथ जुडनेको प्रयास करें; क्योंकि संगठनमें ही हमारा उद्धार होनेवाला है । हिंदुओंका संगठन करना, जीतका यही ही जीतनेका एकमात्र महामंत्र है । अतः व्यक्तिशःगत रूपसे प्रत्येकको राष्ट्रीय हिंदू आंदोलनमें सम्मिलित होनेके लिए प्रयास करने चाहिए ।

हिंदूनिष्ठ श्री. विनोद खोसलाने यह उद्गार निकालेव्यक्त किए कि, हमें हिंदुत्वके इस एक सूत्रपर इकट्ठे होनेके प्रयास करने चाहिए । हमें हिंदुत्वको आगे लेकर जाना हैं । हिंदूनिष्ठ श्री. सुरेश मलिकने येह उद्गार निकालेव्यक्त किए कि, प्रभावी हिंदुदूसंगठन होनेके लिए तथा हिंदुओंपर होनेवाले आघातोंको सामने लानेके लिए प्रभावी हिंदू प्रणाल चाहिए ।

कार्यक्रमका सूत्रसंचालन श्री. जीत सिंहने किया । इस कार्यक्रमके लिए परिसरके ६० धर्माभिमानी हिंदू उपस्थित थे ।

क्षणिकाएं

१. उस समय भा.ज.यु.मो.के श्री. योगेश मित्तलने बताया कि, हम आजसे ही तिलक लगाकर ही घरसे बाहर निकलेंगे ।
२. कार्यक्रमके उपरांत लगभग २० हिंदूनिष्ठ चर्चा हेतु ठहरे थे ।
उस समय राकेश गोरखाने यह आवाहन किया कि, स्वसंरक्षण, यह वर्तमानकी आवश्यकता है, अतः प्रत्येक युवक-युवतिको स्वसंरक्षण प्रशिक्षण सीखप्राप्त करना चाहिए । ज्युडो कराटेके साथ ही प्रत्येक व्यक्तिको न्यूनतम लाठी चलाना भी सीखना चाहिए ।

स्त्रोत : दैनिक सनातन पभात

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