कार्तिक कृष्ण ५ , कलियुग वर्ष ५११५
श्रद्धालुद्वारा मंदिरमें श्रद्धासे अर्पण की गई वस्तुका अपहार करनेवालोंपर हिंदू राष्ट्रमें वैध मार्गानुसार कडा दंड दिया जाएगा !
हिंदुओ, मंदिरका व्यवस्थापन भक्तोंके अधिकारमें आनेके लिए प्रयासरत रहें !
धाराशिव (उस्मानाबाद) – यह आरोप लगाया गया है कि, तुळजाभवानी मंदिरमें पुणेके एक श्रद्धालुने अर्पण किए १४ किलो चांदीकी वस्तु १७ दिनोंतक लापता हुई थी । १७ दिनोंके पश्चात् यह वस्तु जमा हुई; किंतु इस घटनाकी राज्य अपराध अन्वेषण पथकद्वारा इस घटनाकी जांच करनेकी मांग की गई है । (इतनी मात्रामें मूल्यवान वस्तु १७ दिन पहले ही लापता होती है, तो उसके संदर्भमें तुरंत ही जांच क्यों नहीं की गई ? इस संदर्भमें उत्तरदायी व्यक्तियोंकों कडा दंड दिया जाना चाहिए ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात)
१. पुणेके डंडाळे परिवारने २५ अप्रैल २०१३ को चैत्र पूनवर्णिमाके दिन १४ किलो वजनकी चांदीकी वस्तु देवीके चरणोंमे अर्पण की थी; किंतु यह वस्तु १७ दिनोंतक लापता हुई थी । १२ मई २०१३ को यह वस्तु देवस्थानके कार्यशालामें प्राप्तिद्वारा (पावती) इकट्ठा की गई ।
२. तुळजापुरके राजाभाऊ दिगंबर मानेद्वारा यह आरोप लगाया गया है कि, सर्व वस्तु २५ अप्रैलके रात्रिको निकाले गए छबिनामें धार्मिक जुलुसमें रखी गई थी; किंतु वह १२ मईतक लापता ही थी ।
३. जनपद अधिकारी तथा तुळजाभवानी देवस्थान समितिके अध्यक्ष डॉ. के.एम्. नागरगोजेके पास निवेदनद्वारा यह मांग की गई कि, इस घटनाकी जांच राज्य अपराध अन्वेषण पथकद्वारा की जानी चाहिए ।
४. वस्तु प्राप्त होनेके पश्चात् वह मंदिर संस्थानके व्यवस्थापक सुजित नरहरेके पास सौंप दी गई । उस समय देवस्थानके महंत तुकोजीबुवा, साथ ही पुजारी मंडलके अध्यक्ष किशोर गंगणे, देवस्थानके धार्मिक व्यवस्थापक दिलीप नाईकवाडी भी उपस्थित थे ।
स्त्रोत : दैनिक सनातन पभात