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नागपुरके विद्यापीठमें ज्योतिष, वास्तुशास्र, पौरोहित्य एवं कर्मकांड अभ्यासक्रम सिखाए जाएंगे !

कार्तिक कृष्ण ६ , कलियुग वर्ष ५११५ 

हिंदुओंकी गौरवशाली धरोहर, (विरासत)इस प्रकार अगली पीढीको सुसंस्कृत बनानेवाले महाविद्यालयका अभिनंदन !

जादूटोनाविरोधी कानूनके अंतर्गत ज्योतिषशास्र तथा वास्तुशास्रका प्रसार करना अपराध है । अंनिसवाले इस कानूनके अंतर्गत इन धाराओंका पूरा उपयोग कर इस अभ्यासक्रममें परिवर्तन करनेके लिए  आकाश-पाताल एक करेंगे ! हिंदुओ, ऐसा न हो इस हेतु निश्चित रूपसे विद्यापीठके समर्थनमें खडे रहें तथा प्राणकी आहुति देकर भी इस कानूनका विरोध करें !-संपादक, दैनिक सनातन प्रभात 

नागपुरके राष्ट्रसंत तुकडोजी महाराज विद्यापीठद्वारा उत्तराखडके ‘देव संस्कृति विद्यापीठ ‘से समझौता (करार) कर राष्ट्रसंतोंके जीवनशिक्षा अभियानके अंतर्गत अभ्याससे ज्योतिषशास्र, कर्मकांड, पौरोहित्य तथा वास्तुशास्रका अभ्यासक्रम चलानेका निर्णय लिया गया है । अंधश्रद्धा निर्मूलन समितिने इस निर्णयका विरोध किया है ।समितिने नागपुरके राष्ट्रसंत तुकडोजी महाराज विद्यापीठपर अंधश्रद्धाका समर्थन करनेका आरोप लगाया है तथा कुलगुरुको यह अभ्सासक्रम बंद करनेके संदर्भमें पत्र भेजा है । (न्यायालयने भी कहा था कि ज्योतिषशास्र भारतकी सांस्कृतिक धरोहर है । इसलिए ज्योतिषशास्र पढानेपर आपत्ति उठाना एक  प्रकारसे कानूनद्रोह ही है । उसीप्रकार कर्मकांड तथा वास्तुशास्रको भी शास्रीय आधार है । ऐसा होते हुए भी अंनिस उसका विरोध करती है । इससे यही स्पष्ट होता है कि अंनिसको हिंदू संस्कृतिपर ही आघात करना है । – संपादक , दैनिक सनातन प्रभात )

विद्यापीठद्वारा आरंभ किए गए अभियानके अंतर्गत न्यून कालावधिका अभ्यासक्रम चलाकर छात्रको स्वावलंबी होनेकी दृष्टिसे मार्गदर्शन किया जाता है । एक माह पूर्व ही विद्यापीठने झारखंडके ‘देव संस्कृति विद्यापीठ’से सामंजस्य स्थापित किया, जिसमें विद्यापीठने उपरोक्त विषयोंको सम्मिलित कर विद्यार्थियोंको सिद्ध करनेकी इच्छा व्यक्त की । इसके विरुद्ध अंधश्रद्धा निर्मूलन समितिने आंदोलनकी भूमिका अपनाई है । इस संदर्भमें समितिद्वारा विद्यापीठकी व्याख्या बताते हुए उसपर आरोप लगाया गया है कि विद्यापीठद्वारा नए नए शोध एवं ज्ञान प्राप्त करनेके स्थानपर पुराने विचारोंका समावेश कर छात्रोंको अंधश्रद्धाकी ओर ले जानेका कार्य किया गया है । (इससे यही दिखाई देता है कि वास्तुशास्र एवं ज्योतिषशास्रको पुराने विचारोंका कहनेवाली अंनिसके लोगोंका वैज्ञानिक दृष्टिकोण कितना संकीर्ण है ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात)

स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात 

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