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हिंदुओं को ईसाई बनाने के लिए हो रहे हैं कैसे-कैसे कारनामे !

कार्तिक कृष्ण ९ , कलियुग वर्ष ५११५ 


इलाहाबाद – बीते पांच दिनो में पीटर यंगरीन का 'मित्रता महोत्सव' 'ओझाई महोत्सव' ज्यादा नज़र आया। पहले से यंगरीन से खफ़ा भाजपा व विहिप कार्यकर्ताओं ने उनका जमकर विरोध किया। दूसरी तरफ उनके इस महोत्सव में कई महिलाएं ने ड्रामा शुरू कर दिया।

ठीक वैसे ही जैसे किसी ओझा के यहां भूत-प्रेत उतारने के दौरान महिलाएं करती हैं। कभी वह जमीन पर लेटकर बाल झटकती हैं तो कभी कुछ और स्वांग करती हैं।

ऐसा ही नज़ारा अमेरिका से इंडिया आए पीटर यंगरीन के मित्रता महोत्सव में देखने को मिला। यंगरीन ने सारी प्रक्रिया पूरी कर कहा कि उनके बीच के लूले-लंगड़े, अंधे, गूंगे बहरे जो अब देख सकते हैं मंच के पास आ जाएं।

हालांकि इस दौरान कुछ लोग सर पर बैसाखी रखकर आगे आते दिखे। कुछ ने दावा किया कि उनकी आंख की रोशनी वापस आ गई है। लेकिन इस दौरान करीब आधा दर्जन महिलाएं आवेशित हो उठी।

वह भीड़ को चीर कर आगे आकर बालों को झटकती, ज़मीन पर लोटती मंच की और जाने लगी। इनमें से एक महिला में लोगों को दांत काटना भी शुरू कर दिया। बमुश्किल लोग उसे काबू कर पाए लेकिन उसने कई लोगों के अस्पताल पहुंचने का इंतज़ाम कर दिया था।

ऐसे आम दृश्य ओझाओं की ओझाई के दौरान देखने को मिलते हैं। लेकिन किसी ने यह नहीं सोचा था कि अमेरिका के पीटर यंगरीन का यह महोत्सव, ओझाई महोत्सव बनकर रह जाएगा।

स्त्रोत : दैनिक भास्कर . कोम 

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