कार्तिक कृष्ण १० , कलियुग वर्ष ५११५
यह वार्ता पढकर हम सबको यह समझ में आ जाएगा की किस तरह से हमारे टैक्स के पैसे का सभी राज्यकर्ता विनाश कर रहे है । एक तरफ देश की कई करोड जनता गरीबी की वजह से दिन में एक बार भी ठीक से खाना खा नहीं सकती, हमारे राज्यकर्ता अपने घर फ्री में दूध, लस्सी लाकर देनेवाले अतिरिक्त कर्मचारी को हर महीने १५,००० रूपये दे रहे है । अब यह स्थिती बदलने के लिए एैसे भ्रष्ट राज्यकर्ता को हटाकर ‘हिंदू राष्ट्र’ की स्थापना करनी चाहिए । – संपादक
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मुंबई : क्या आपने कभी सुना है कि कोई आदमी किसी के घर बस दूध पहुंचाने के लिए महीने में १५,००० रुपये वेतन पाता हो? जी हां, गणेशन वह क्लास फोर कर्मचारी है जिसे आरे की वर्ली डेरी से, पशुपालन, डेयरी विकास और मत्स्य पालन मामलों के कैबिनेट मंत्री मधुकर देवराव चव्हाण के निवास तक ५ लीटर दूध पहुंचाने के लिए महीने में १५००० रुपये वेतन मिलते हैं।
गणेशन को राज्य के डेरी विभाग ने केवल आरे की वर्ली डेरी से मंत्री जी के घर दूध पहुंचाने के लिए ही काम पर रखा है।
गणेशन हर सुबह ५ बजे गोरेगांव स्थित अपने घर से निकलकर आरे की वर्ली डेरी पहुंचता है। वहां से ५ लीटर दूध लेकर बस नं. ८९ पकड़कर चव्हाण के बंगले ए-५, पर दूध पहुंचाता है। इतने से काम के लिए महीने में उसे मिलते हैं १५००० रुपये। डेरी विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि आरे, गोरेगांव निवासी गणेशन पिछले कुछ सालों से डेरी में काम कर रहा है। गणेशन अतिरिक्त स्टाफ के रूप में काम कर रहा था जिसकी वजह से उसका तबादला दूसरे सरकारी विभाग में कर दिया गया था। चूंकि गणेशन मराठी पढ़ना-लिखना नहीं जानता इसलिए उसे वापस डेरी विभाग में भेज दिया गया। गणेशन का एकमात्र काम मंत्री जी के घर दूध पहुंचाने का है। जब गणेशन से फोन पर बात करने की कोशिश की गई तो 'मैं अपने गांव आया हूं' कहकर उसने फोन काट दिया। पहले भी यह मामला खबरों में आ चुका है कि किस तरह चव्हाण और गुलाबराव देओकर ५ लीटर दूध, १५ बोतल लस्सी फ्री में मंगाते रहे हैं।
जब चव्हाण के बंगले पर जाकर जांच करने की कोशिश की गई तो बताया गया कि वह इस समय अपने चुनावी क्षेत्र तुल्जापुर, ओस्मानाबाद के दौरे पर निकले हुए हैं। चव्हाण से संपर्क में आने की सभी कोशिश बेकार गई। बाद में उनके ऑफिस में कार्यरत प्रवीन मेंढापुरे ने किसी भी तरह के मुफ्त दूध मंगाने की बात से इंकार कर दिया। उसने कहा कि आरे से दूध आना बहुत पहले से ही बंद हो गया है। अब जरुरत होने पर हम पास की दुकान से दूध मंगा लेते हैं।
वर्ली डेरी के एक स्टाफ का कहना है कि ५ लीटर दूध तो सागर में से बूंद निकालने जैसा है। मगर जिस तरह से इसे लिया जा रहा है वह कई बड़े अधिकारियों भी नागवार गुजरता है पर अपनी नौकरी के डर से कोई कुछ नहीं बोलता। महाराष्ट्र स्टेट मिल्क डिस्ट्रीब्यूटर और मिल्क ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष ने भी राज्य सरकार और केंद्र सरकार के मंत्रियों को मुफ्त में दूध की आपूर्ति करने की बात की पुष्टि की है। केवल दूध ही नहीं डेरी विभाग ने मंत्री जी को नौकर भी उपलब्ध कराए हैं जिनका वेतन डेरी ही देता है। किसी ने भी इस पर कभी ऐतराज नहीं जताया। डेरी विभाग में अनियमितताओं की निगरानी के लिए टीम होने के बावजूद लगातार यह गड़बड़ियां हो रही हैं।
स्त्रोत : दैनिक जागरण