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प्रांतीय हिंदू अधिवेशनमें हिंदुत्वनिष्ठों द्वारा गूंजी हिंदू राष्ट्र स्थापनाकी ललकार !

कार्तिक कृष्ण १३ , कलियुग वर्ष ५११५ 

प्रांतीय हिंदू अधिवेशन

अनेक वर्ष पूर्वसे हिंदुओंकी दुःस्थिति .. स्वतंत्रता प्राप्तिके पश्चात हिंदुओंकी हुई कठिन अवस्था.. चिंतारहित (बेफिकर) हिंदूद्रोही शासनकर्ताओंके दैनंदिन जीवनमें आनेवाले संकट तथा असुरक्षा.. इसपर धर्माधिष्ठित जनहितकारी राज्यकी स्थापना ही पर्याय है । ऐसे धर्माधिष्ठित हिंदू राष्ट्रकी स्थापना हेतु पुणे तथा अमरावतीके प्रांतीय हिंदू अधिवेशनमें सम्मिलित हिंदुत्ववादियोंने सब कुछ लुटाकर धर्मरक्षा तथा राष्ट्ररक्षा करनेका निर्णय लिया । अधिवेशनके अवसरपर अपने-अपने परिसरमें हिंदुत्वका झंडा लहरानेकी (फहरानेकी) प्रेरणा अधिवेशनके कारण प्राप्त हुई, ऐसी भावना धर्मप्रेमियोंने व्यक्त की एवं हिंदू राष्ट्रकी स्थापना हेतु लडनेका निर्णय मनमें रखकर दो दिनके अधिवेशनकी समाप्ति हुई ।

प्रांतीय हिंदू अधिवेशनमें हिंदूनिष्ठोंद्वारा निर्णय !

जादूटोनाविरोधी अधिनियम `हिवाळी अधिवेशन’ में वापिस लेने हेतु जी-जानसे विरोध करेंगे

महाराष्ट्र तथा देशभरमें स्त्रियोंकी असुरक्षा, उनके साथ होनेवाले बलात्कार, भ्रष्टाचार जैसी अनेक समस्याएं होते हुए भी उस ओर दुर्लक्ष कर हिंदुओंपर अध्यादेशद्वारा जादूटोनाविरोधी अधिनियम थोपा गया । हिंदूनिष्ठोंने प्रांतीय हिंदू अधिवेशनमें हर स्तरसे इस अधिनियमके विरोध का निर्णय  किया । यह अधिनियम पूर्णतः निरस्त किया जाए, ऐसी मांग की गई ।

सनातन हिंदू विचारोंके विद्यालय स्थापित करें ! – प्रा. गजानन नेरकर, पुणे नगर हिंदू सभा

सनातन संस्था कट्टर हिंदुत्ववादी संगठन है । वे हिंदू, इस्लाम तथा ईसाई धर्मोंका तौलनिक अभ्यास करने हेतु हिंदू विचारोंके विद्यालय तथा महाविद्यालयोंकी स्थापना करें !

पुणेका प्रांतीय हिंदू अधिवेशन

कश्मीरको हिंदू राज्य बनाएं ! – राहुल कौल, पनून कश्मीर संगठन

७०० वर्ष पूर्वसे हिंदुओंको कश्मीरसे भागना पड रहा है । २६ अक्तूबर १९४७ को कश्मीरका भारतमें विलिनीकरण हुआ । कश्मीर पाकिस्तानसे जोडें, कश्मीर स्वतंत्र करें, केंद्रशासनसे राशि लेकर हिंदुओंका शोषण करें अथवा कश्मीरको हिंदू राज्य बनाएं, ऐसे चार मतप्रवाह आस्तित्वमें हैं । ८० कोटि हिंदुओंने कश्मीर भारतका अविभाज्य हिस्सा है, वहांसे धारा ३७० निरस्त करें, ऐसी निग्रही मांग की, तो वहां उपस्थित ५५ लाख मुसलमानोंको क्या हिंदुओंको सतानेकी हिम्मत होगी ? हिंदुओंको कश्मीरमें सम्मानसे जीने हेतु, कश्मीरको हिंदू राज्य बनाएं ।

अवैध मस्जिदोंके निर्माणकार्यपर ध्यान रखें ! – श्री. शैलेंद्र दीक्षित, समस्त हिंदू मोर्चा

आज मुसलमान मस्जिदें एवं मदरसोंमें इकट्ठा आकर अपने बच्चोंको विध्वसंक कृत्य करने सिखाते हैं । उनकी मस्जिदें केवल धार्मिक स्थल न होकर राष्ट्रविरोधी कार्यवाहियोंके केंद्र होते हैं । पुणे नगरमें १९८५ के पश्चात अवैध मस्जिदें तथा मदरसोंमें बढोतरी हो रही है तथा उन्हें राजनैतिक नेताओंकी सहायता प्राप्त होती है । ऐसे अवैध निर्माणकार्योंकी अनुमति जांचना, अपना उत्तरदायित्व है ।

पाश्चात्त्य संस्कृतिका अंधानुकरण छोडकर हिंदू धर्मका आचरण करें ! – उत्तम दंडिमे, हिंदू स्वाभिमान प्रतिष्ठान

पूरे विश्वमें कुटुंबव्यवस्थाका महत्त्व समझमें आ रहा है , किंतु भारतमें कुटुंबव्यवस्था टूट रही है । भारतीयोंद्वारा पाश्चात्त्योंका अंधानुकरण करनेकी वृत्तिके कारण आज यह स्थिति उत्पन्न हुई है । दूरदर्शनपर दिखाए जानेवाली मालिकओंमेंसे भी व्यभिचार, तथा पाश्चात्त्य संस्कृतिका उदात्तीकरण किया जा रहा है । ऐसा ही चलता रहा तो देशका सर्वनाश होनेमें देर नहीं लगेगी । अत: अंधेरेमें टटोलनेवाली पाश्चात्त्य संस्कृतिका (नहीं विकृतिका ) त्याग कर हिंदू धर्मका आचरण करें ।

शुद्धीकरण हेतु क्रियाशील बनें ! – प्रा. गजानन नेरकर, कार्याध्यक्ष, पुणे नगर हिंदू सभा

हिंदुओंपर इस्लामीकरण तथा ईसाईकरणका बडा संकट है । सावरकरजीने भी ‘धर्मांतर ही राष्ट्रांतर’ विधान द्वारा उस समय इससे अवगत कराया था । हिंदू महासभाकी ओरसे शुद्धीकरणका कार्य बडी मात्रामें किया जा रहा है । शुद्धीकरणके कार्यमें उस धर्मके लोगों द्वारा उस परिवारका बडी मात्रामें विरोध किया जाता है । ऐसे समय उस परिवारको बौद्धिक, मानसिक तथा आर्थिक सहायता देनेकी आवश्यकता होती है । `सामथ्र्य आहे चळवळीचे …’ इस उक्तिनुसार ईश्वरीय अधिष्ठान रखकर शुद्धीकरण हेतु हिंदू सक्रिय बनें ।

अमरावतीका प्रांतीय हिंदू अधिवेशन

हिंदू स्त्री परधर्ममें नहीं जानी चाहिए ! – राष्ट्रीय कीर्तनकार श्री योगेश महाराज साळेगावकर

आज चलचित्रों द्वारा स्त्रियोंका वीभत्स प्रदर्शन हो रहा है । अत: आज लव जिहादकी भीषण समस्या भी उत्पन्न हुई है । लव जिहाद रोकना हो, तो हर लडकीके मनमें हिंदू धर्मके प्रति अभिमान उत्पन्न होना चाहिए । नैतिकता एवं संस्कृति केवल स्त्रियां ही जतन करती हैं । अत: हिंदू स्त्री परधर्मात नहीं जानी चाहिए ।

‘डे संस्कृति’ न अपनाएं ! – श्री. भवानी प्रताप, शिवराज्यभिषेक सोहळा समिति, अध्यक्ष

पाश्चात्त्य संस्कृतिके अंधानुकरणसे अपनी वैभवशाली संस्कृति नष्ट हो रही है । हिंदू धर्ममें शास्त्रस्म्मत दिनचर्या होनके कारण हमें ‘डे संस्कृति’ अपनानेकी आवश्यकता नहीं । जिस शिक्षापद्धतिको ‘ग-गणपति’ स्वीकार नहीं, उस शिक्षापद्धतिका परिवर्तन होना ही आवश्यक । उस हेतु हिंदू जनजागृति समितिके साथ अन्य संगठन तथा हम सबको एक होना चाहिए ।  वैधानिक पद्धतिसे हिंदू राष्ट्रकी स्थापना होने हेतु हिंदू जनजागृति समितिका यह उपक्रम अत्यंत स्तुत्य तथा वास्तविकतापर आधारित है ।

गाय द्वारा प्राप्त होनेवाली वस्तुओंका उपयोग बढाएं ! – श्री. प्रशांत पिसे (पाटिल), आदर्श गोसेवा प्रकल्प, म्हैसपुर, अकोला

गायकी ओर देखनेका हमारा दृष्टिकोण संकुचित हो गया है । गाय केवल ४ पैरोंवाला प्राणी नहीं, अपितु कामधेनु है । आज चॉकलेटपर सहजतासे व्यय किया जाता है; किंतु घी महंगा है, ऐसा कहा जाता है । अत: गायसे प्राप्त होनेवाली वस्तुओंका उपयोग अधिकाधिक मात्रामें बढाएं ।

धर्मशिक्षाके अभावमें युवा पीढी द्वारा पाश्चात्त्योंका अंधानुकरण ! – श्री. सुजीत महाराज देशमुख, भागवताचार्य, अकोला

आज समयकी आवश्यकतानुसार हिंदू जनजागृति समितिकी ओरसे महाराष्ट्र प्रांतीय हिंदू अधिवेशन आयोजित किया गया है । समितिका यह कार्य स्तुत्य एवं व्यापक है । ईश्वर, देश एवं धर्म का विचार न कर आज हर व्यक्ति केवल स्वार्थका विचार करता है । युवा पीढीको धर्मशिक्षा न होनेसे वह पाश्चात्त्योंका अंधानुकरण करती है । अत: युवा पीढीको हिंदू संस्कृतिका महत्व समझाने हेतु अपने घरसे ही प्रारंभ करना चाहिए ।

धर्म हेतु एक हों ! – नितीन व्यास, विदर्भ अध्यक्ष, छावा संगठन

प्रशासन जातिजातिमें द्वेष उत्पन्न करनेका कार्य कर रहा है । संत, देवस्थान, जात, संगठन इस आधारापर हम बिखरे हैं । केवल धर्मके सूत्रपर हम एक होकर कार्य करें तो  हिंदू राष्ट्रका सवेरा शीघ्र होगा ।

पुणेमें दैनिक सनातन प्रभातके प्रतिनिधिद्वारा किया गया अनुभवकथन

दैनिक सनातन प्रभातकी प्रतिनिधि कु. शलाका सहस्रबुद्धेने धर्मरक्षणार्थ कृत्य करते समय आए अनुभव बताए । इस समय बोलते हुए उन्होंने कहा,कि प्रत्येक हिंदूनिष्ठ दैनिक सनातन प्रभातका वार्ताकार है । अत: हिंदूनिष्ठ अपने क्षेत्रमें हिंदुत्वपर होनेवाले आघात, तथा धर्मरक्षणार्थ किया गया कृत्य सनातन प्रभातको अवश्य भेजें ।

स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात

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