केन्द्रिय सांस्कृतिक मन्त्रालय ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के नियन्त्रणमें आनेवाले पूरे देशके ९५५ राष्ट्रीय स्मारकों के स्थानों पर (उदा. गड-किल्ले) पूजा-अर्चा करने को प्रतिबन्ध किया है । केन्द्र के इस आदेश के अनुसार महाराष्ट्र गृह विभाग ने ही राज्यके ऐसे स्मारकों के स्थान पर कोई पूजन-अर्चन न करने हेतु पुरातत्व विभाग को तत्काल पुलिस संरक्षण देने के आदेश दिए थे ।
‘राष्ट्रीय स्मारक एवं छत्रपति शिवाजी गढकिले के पीछे शौर्य का इतिहास है । राष्ट्र एवं धर्मकी रक्षा के तेजस्वी विचारों का प्रतिबिम्ब स्मारक एवं गढकिले में अन्कित हो गया है ।
छत्रपति शिवाजी महाराज ने प्रत्येक गढकिले पर देवालय बान्धनेके पीछे का उद्देश्य ‘राष्ट्रकार्य को उपासनाका बल मिलना ही था । राष्ट्रीय स्मारक एवं गढकोट ब्राह्मतेज एवं क्षात्रतेज के प्रतिक ही हैं । राष्ट्रीय स्मारक एवं गढकिले के स्थानपर ब्राह्मतेज एवं क्षात्रतेज निरन्तर जागृत रखने का कार्य वहां होनेवाले पूजन-अर्चनके कारण ही होता है । यदि राष्ट्रीय प्रतिकों के स्थानका ब्राह्मतेज एवं क्षात्रतेज जागृत नहीं रखा गया, तो प्रतिक निस्तेज हो जाएंगे । इस स्थानका ब्राह्मतेज एवं क्षात्रतेज जागृत रहने पर ही दर्शनार्थीको उसका लाभ मिलेगा । पूजन-अर्चन करने से राष्ट्रीय प्रतिकोंकी सात्त्विकता भी टीकी रहती है । राष्ट्रीय प्रतिकोंके स्थानपर पूजन-अर्चन होता रहा, तभी वे खरे अर्थसे जतन किए जाएंगे अर्थात जीवित रहेंगे ! उसीप्रकार गढकिलों पर स्थित मन्दिरमें पूजन- अर्चन करने वाले श्रद्धालु धर्माचरणसे क्यों वंचित रहें ? शासनको यदि राष्ट्रीय प्रतिकों की सुरक्षाकी इतनी चिन्ता है, तो सरकारका कर्तव्य है कि पुलिसकी सुरक्षामें पूजन-अर्चन होने दें ।
हिन्दू बन्धुओ, शासन को अपने राष्ट्रीय प्रतिकों कीr सााqत्त्वकता नष्ट करने एवं हमें धर्माचरण से वंचित रखनेका अधिकार नहीं है । इसलिए इस सन्दर्भमें शासन के पास तीव्र निषेध की प्रविष्ट करें ! अन्य हिन्दू एवं हिन्दुनिष्ठ संगठनों को भी इस विषयमें जागृत करें ! जबतक शासन स्वयं का निर्णय पीछे नहीं लेती, तबतक वैधानिक मार्ग से लडते रहें !!’
– (पू.) श्री. संदीप आलशी (५.१.२०१५)