आषाढ़ कृ ५, कलियुग वर्ष ५११४
९ जून २०१२ को हुसैनके चित्रोंकी प्रदर्शनी चित्रकर्ता विष्णु नामदेवद्वारा आयोजित की गई थी । इसके लिए पूरे इंदौर शहरमें प्रचार एवं प्रसार किया गया था । इस विषयकी सूचना हिंदु जनजागृति समितिको प्राप्त होते ही समितिके मुंबई विभाग समन्वयक श्री. शिवाजी वटकरजीने विष्णु नामदेवसे संपर्क कर हुसैनको दी जानेवाली महानता रोकनेकी मांग की । उस समय विष्णु नामदेवने बताया,‘‘हुसैन बहुत अच्छे थे । मैं उन्हें गुरूके स्थानपर मानता हूं । उन्हें श्रद्धांजली अर्पित कर मैं बडी चित्रप्रदर्शनी आयोजित करनेवाला हूं । उसमें अनादर करनेवाले चित्र नहीं हैं ।’’ उनके इस वक्तव्यपर श्री. वटकरने बताया,‘‘हुसैनने हिंदु देवताओंके नग्न एवं अश्लील चित्र निकाले हैं । आप हिंदु होते हुए भी ऐसे महापापी व्यक्तिको गुरु मानते हैं, इससे आपको लज्जा आनी चाहिए । अबतक हमने हुसैनकी चित्रप्रदर्शनी सभी स्थानपर बंद कर दी हैं । उसकी महानता करना अर्थात हमारी धार्मिक भावनाएं आहत करना । मेरे गुरु प.पू. भक्तराज महाराजका स्थान इंदौर है । अतः इस पवित्र स्थानपर हुसैनकी तथाकथित महानता देखनेका पाप नहीं होने दूंगा । इस बातके लिए सभीका विरोध ही होगा ।’’ तब विष्णु नामदेवने कहा, ‘‘मेरा आयोजन पूर्ण हुआ है एवं मैंने व्यय भी किया है । इसमें मेरी हानि होगी ।’’ उसपर श्री. वटकरने कहा,‘‘इतना कहकर भी आपने चित्रप्रदर्शनीका आयोजन किया, तो भविष्यमें आपके चित्र कोई भी हिंदु नहीं खरीदेगा । इससे आपकी अधिक मात्रामें हानि होगी । आपको हुसैनके मृत्युदिनका कार्यक्रम करना है, तो उनकी प्रतिमा बनाकर उसे ‘जुते मारो’ (जोडे मारा)आंदोलन आयोजित कर सकते हैं । यदि आपको यह संभव नहीं है, तो हम करेंगे ।’’ इसपर विष्णु नामदेवने बताया कि, ‘‘अब मुझे इस विषयकी गंभीरता ज्ञात होने लगी है । इस विषयमें मिलनेके पश्चात निर्णय लेंगे । मैं सहकार्य करूंगा ।’’
तदुपरांत हिंदु जनजागृति समितिके इंदौरके समन्वयक श्री. बेनीसिंग रघुवंशीने विष्णु नामदेवको संपर्क कर प्रदर्शनी निरस्त करनेकी मांग की, उसी प्रकार अनेक धर्माभिमानियोंने विष्णु नामदेवको संपर्क कर चित्रप्रदर्शनी निरस्त करनेकी मांग की । समितिकी ओरसे विष्णु नामदेव एवं सभागृहके प्रमुखको धिक्कारपत्र दिया गया । तदुपरांत विष्णु नामदेवने यह चित्रप्रदर्शनी निरस्त करनेका लिखित आश्वासन दिया ।
स्त्रोत – दैनिक सनातन प्रभात