कार्तिक कृष्ण १४ , कलियुग वर्ष ५११५
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पाकिस्तान : पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ आज भले ही भारत के साथ रिश्ते सामान्य करने का दम भरते नजर आएं, लेकिन एक वक्त ऐसा था जब उन्होंने खुद ही कश्मीर में आतंकवाद फैलाने की इजाजत दी थी।
पूर्व पाक राजनयिक हुसैन हक्कानी ने अपनी किताब में बताया है कि शरीफ ने अमेरिका की चेतावनी के बावजूद आईएसआई से मई, १९९२ में कश्मीर में छद्म अभियान जारी रखने को कहा था। तब अमेरिका ने इस पर कड़ा ऐतराज जताते हुए कहा था कि इसे राज्य समर्थित आतंकवाद माना जा सकता है।
यह खुलासा एक पूर्व पाकिस्तानी राजनयिक ने अपनी किताब में किया है। शरीफ ने तब अमेरिका की चेतावनी को मानने की बजाय पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई का समर्थन किया। तब फौज यह देख रही थी कि पाकिस्तान पड़ोसी मुल्क भारत में अपने सैन्य अभियान बंद नहीं कर सकता है।
अमेरिका की चेतावनी का जवाब देने के लिए अमेरिकी मीडिया और कांग्रेस तक पहुंचने के मकसद से पहले कदम के रूप में पाकिस्तान ने २० लाख अमेरिकी डॉलर दिए।
इस किताब में खुलासा किया गया है कि सच तो यह है कि शरीफ ने तब अपने खास सहायक रहे हुसैन हक्कानी को अमेरिका में लॉबी बनाने का जिम्मा सौंपा।
इस बात का हालांकि हक्कानी ने खंडन किया। तब हक्कानी श्रीलंका में राजदूत बनकर जाने के लिए राजी हो गए थे। किताब ‘मैग्निफिशेंट डिल्यूजंस’ के लेखक हक्कानी हैं। उनकी यह किताब अगले हफ्ते रिलीज होगी। हक्कानी अमेरिका में पाकिस्तान के राजदूत रहे हैं।
हक्कानी ने अपनी किताब में मई १९९२ की घटना का हवाला दिया है। हक्कानी ने लिखा है कि तत्कालीन अमेरिकी विदेश मंत्री जेम्स बेकर ने इस पूरे मामले पर शरीफ को एक खत लिखा था। लेकिन तब शरीफ ने इस खत को नजरअंदाज कर दिया था।
१० मई, १९९२ को लिखे खत में तब बेकर ने धमकी दी थी या तो पाकिस्तान कश्मीर में आतंकवाद को समर्थन देना बंद करे अन्यथा अमेरिका इसे राज्य समर्थित आतंकवाद घोषित कर सकता है |
स्रोत : अमर उजाला