कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा , कलियुग वर्ष ५११५
(कु)प्रसिद्धिमाध्यम ऐसे समाचारोंको कूडेदानमें डाल देते हैं और असत्य समाचार प्रसारित करते हैं !
साबरमती (गुजरात) – प.पू. आसारामजीद्वारा स्थापित किए गए महिला आश्रमपर किए गए गंभीर आरोपोंकी पूछताछके लिए १२ अक्टूबर २०१३ को, गुजरात महिला आयोगका एक पथक बिना कोई पूर्वसूचना दिए आश्रम पहुंच गया । इस पथकने आश्रममें रहनेवाली साधिकाओंसे सामूहिक एवं व्यक्तिगत पूछताछ की । तीन घंटोंकी पूछताछके उपरांत गुजरात महिला आयोगकी अध्यक्षा श्रीमती लीला अन्कोलियाने बताया, ‘हमने प्रत्येक साधिकाकी एकांतमें व्यक्तिगत पूछताछ की । किसी पर कोई दबाब है, ऐसा प्रतीत नहीं हुआ । किसी भी साधिकाके साथ कभी कोई कुकर्म नहीं हुआ है । साधिकाओंके साथ हुई सर्व तथाकथित घटनाएं असत्य हैं । प्रसिद्धिमाध्यमोंमें जिस प्रकारके स्वच्छंद, अपमानजनक और लज्जाजनक समाचार प्रसारित हो रहे हैं, वे यदि सत्य होते तो ३६ वर्षोंतक इतनी भारी संख्यामें महिला आश्रममें नहीं होतीं ।’
प.पू. आसारामजी बापूने की महिला आश्रमकी स्थापना
वर्ष १९७६ में महिलाओंके सर्वांगीण विकासके लिए एवं कल्याणके लिए प.पू. आसारामजी बापूने महिला उत्कर्ष आश्रमकी स्थापना की । गत ३६ वर्षोंमें इस आश्रममें लाखों महिला साधना करनेके लिए और सत्संगका लाभ लेनेके लिए आकर गर्इं । वर्तमानमें २५० से अधिक महिला निवास कर रही हैं । इनमेंसे अनेक महिला डॉक्टर, अभियंता, लेखपाल, पदव्युत्तर और पदवीधारक हैं । आश्रममें रहकर शांतिपूर्ण जीवनयापन करनेका निर्णय उन्होंने स्वयं ही लिया है । वे सतत समाजसेवा कार्य कर रहीं हैं । यहां रहकर वे स्वयंको संपूर्ण सुरक्षित और पहलेके जीवनसे भी अधिक उन्नत, स्वतंत्र एवं सुदृढ अनुभव कर रही हैं । यहां किसी भी महिलाके साथ कभी कोई अभद्र व्यवहार, लैंगिक शोषण अथवा गर्भपात नहीं किया गया है । यहांपर वास्तव्य की हुई सैकडों महिलाएं इस बातकी साक्षि हैं । महिला आश्रमकी ओरसे ‘महिला उत्कर्ष आश्रम’द्वारा ‘गर्भपात रोको’, मोहिम चलाई जाती है । इस मोहिममें आश्रमकी साधिका गांव-गांव जाकर महिलाओंको गर्भपातके दुष्परिणाम समझाकर बताती हैं और उन्हें सतर्क करती हैं । प.पू. आसारामजी बापू अपने सत्संगोंमें अनेक वर्षोंसे बता रहे हैं कि गर्भपात एक ऐसा महापाप है, जिसके लिए कोई प्रायश्चित नहीं है ।
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात