हिन्दू विधीज्ञ परिषदद्वारा स्पष्ट किए गए पश्चिम महाराष्ट्र देवस्थान व्यवस्थापन समितिके घपलेके संदर्भमें
दाई ओरसे बी.एन्.पाटील, शुभांगी साठे, संगीता खाडे, शिवाजी साळवी
कोल्हापुर (कोल्हापूर) – १२ जनवरीको हिन्दू विधीज्ञ परिषदने यहांके पश्चिम महाराष्ट्र देवस्थान व्यवस्थापन समितिका सहस्त्रो करोड रुपएंका भ्रष्टाचार पत्रकार परिषदमें प्रमाणोंके आधारपर स्पष्ट किया । उस संदर्भमें उत्तर देनेके लिए १३ जनवरीको व्यवस्थापन समितिने पत्रकार परिषदका आयोजन किया;
किंतु समितिके सहाय्यक शिवाजी साळवीको पत्रकारोंके सामने प्रमाणोंके आधारपर कुछ भी जानकारी देना असंभव हुआ । लेखापरीक्षकोंने देवस्थान समितिकी भूमि, समितिके कार्यके संदर्भमें ब्यौरेमें निकाली त्रुटियां, अलंकारोंका अनुचित पद्धतीसे मूल्यांकन इस प्रकार भ्रष्टाचारके संदर्भके अनेक विषयोंपर प्रश्न पूछकर साळवीको परेशान किया । उन्होंने कुछ प्रश्नोंके ऐसेवैसे उत्तर दिए । किसी भी निश्चित प्रमाण प्रस्तुत न करनेकी अपेक्षा साळवीने इस संदर्भमें केंद्रीय अपराध अन्वेषण विभागकी (सीबीआयकी)जांचका सामना करनेकी सिद्धता प्रदर्शित की । परिणामस्वरूप देवस्थान व्यवस्थापन समितिकी ओर किसी भी प्रकारका प्रमाण लिखीतस्वरूपमें न होनेके कारण उन्होंने हिन्दू विधीज्ञ परिषदद्वारा किए गए भ्रष्टाचारके आरोप सत्य होनेका अप्रत्यक्षरूपसे स्वीकृत किए ।
१. खडा मारुति चौकके देवस्थान व्यवस्थापन समितिके मुख्य कार्यालयमें यह पत्रकार परिषद संपन्न हुई ।
२. इस परिषदके लिए समितिके नवनियुक्त सचिव शुभांगी साठे, समितिका सदस्य बी.एन्. पाटील(मुगळीकर), श्री महालक्ष्मी मंदिरके व्यकस्थापक धनाजी जाधक, सदस्या संगीता खाडे आदी उपस्थित थे ।
३. देवस्थान समितिके भ्रष्टाचारके संदर्भमें समितिकी सचिव शुभांगी साठेने बताया कि, ‘भ्रष्टाचारके संदर्भमें कुछ भी जानकारी नहीं है । इस विषयकी पूरी जानकारी प्राप्त कर आगेकी कार्यवाही की जाएगी ।’
शिवाजी साळवी कहते हैं कि, ‘‘भ्रष्टाचार हुआ ही नहीं !’’
१. देवस्थान व्यवस्थापन समितिके कार्यमें भ्रष्टाचार हुआ ही नहीं है । यदि ऐसा है, तो शासन इसकी पूछताछ कर अपराधियोंपर कार्रवाई करेगा । यदि भ्रष्टाचार होता, तो हमारे पास लोगोंके ६७ करोड रुपएं नहीं होते । (तो साळवीने पत्रकार परिषदमें प्रमाणोंके साथ कागदपत्रं क्यों नहीं प्रस्तुत किए ? पत्रकाराकों ही ‘कागदपत्रं लेकर पत्रकार परिषदका आयोजन करें’, ऐसे साळवीको क्यों बताना पडा ? भ्रष्टाचार करनेवाले अपराधी अधिकारियोंको कडा दंड प्राप्त हो, यदि ऐसी भूमिका हिन्दू विधीज्ञ परिषद तथा श्री महालक्ष्मी देवस्थान भ्रष्टाचारकिरोधी कृती समितीकी होंगी, तो उसमें अनुचित बात क्या है ? – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात)
२. जनताको इन सभी बातोंका विचार कर निर्णय अपनाना चाहिए । शहरके बीचमें होनेवाले श्री महालक्ष्मी मंदिरकी सुरक्षा हेतु हम प्रयास कर रहे हैं । उसके लिए जनता भी हमें सहकार्य करें । (भावनिक आवाहन कर क्या शिवाजी साळवी भ्रष्टाचार छुपानेका प्रयास कर रहे हैं ? – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात)
३. देवस्थान समितिके कार्यके संदर्भमें लेखापरीक्षणका ब्यौरा जनपदाधिकारियोंद्वारा विधी एवं न्याय विभागके पास जाता है । हिन्दू विधीज्ञ परिषदके पास स्थित कागदपत्रोंके संदर्भमें हमें आजतक किसीने भी पूछा नहीं है । (इसका अर्थ उसमें अंतर्भूत जानकारी झूठी है, ऐसे कहनेका साळवीका प्रयास है । जानकारी किसके कारण प्राप्त हुई अथवा साळवीने वह नहीं बताई; इसका अर्थ वह झूठी है, यह बतानेकी अपेक्षा साळवीने भ्रष्टाचारके संदर्भमें बताना चाहिए ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात)
4. देवस्थान समितिकी सभी जानकारी संगणकीकृत की जा रही है । अतः हमारे पास कागदपत्रं नहीं है । पश्चात् वह उपलब्ध करेंगे । (तो पत्रकार परिषदका आयोजन क्यों किया गया ? यदि भ्रष्टाचारके अपराधियोंकी जानकारी सभी स्थानीय समाचारपत्रोंमें प्रकाशित की गई थी, तो इस प्रकारका हास्यास्पद, कामचलाऊ तथा अपने आपको बचानेका स्पष्टीकरण देना क्या सहाय्यक सचिव पदके व्यक्तिको शोभा देता है ? – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात)
देवस्थान व्यवस्थापन समितिके पत्रकमें यह प्रस्तुत किया गया है कि….
१. वर्ष १९६९ से १९८९ इस कालावधीमें देवस्थान समितिका लेखापरीक्षण बी.एस्. शेकाळे अॅण्ड असोसिएट्सने वर्ष १९९० सेे १९९१ इन १५ मासोंकी कालाकधीमें पूरा किया है । १९८९ से २००७ तकका लेखापरीक्षण शेकाळेने पूरा किया है ।
२. बी.एस्. शेकाळेका अकस्मात निधन होनेके पश्चात् समितिद्वारा अन्य लेखापरीक्षककी नियुक्ति नही की गई ।
३. शासनने मे. कोचर अॅण्ड असोसिएट्स, मुंबईके सनदी लेखापरीक्षकके रूपमें नियुक्ति की है । वे २००७ सेे २०१२ इस कालाकधीका लेखापरीक्षण कर रहे हैं । (इस बातको क्या कह सकते हैं कि, २००७ से २०१२ तकका लेखापरीक्षण वर्ष २०१४ तक नहीं हो सकता ? – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात)
४. समितिके अधिकारमें होनेवाले मूल्यवान अलंकोरोंका मूल्यांकन अद्ययावत रूपसे किया गया है । साथ ही सभी अलंकार सुरक्षित हैं । सभी अलंकारोंका पंजीकरण पुराने कालावधीसे आजतक अद्ययावत रूपमें किया गया है । अतः अलंकारोंका आरोप झूठा है ।
५. भक्तोंद्वारा प्राप्त चांदी ४५२ किलो है । देवस्थान समितिने २० किलो चांदी खरीद कर उसका रथ हेतु उपयोग किया है । रथका कुल मिलाकर मूल्य २ करोड ३४ लक्ष ८० सहस्त्र २२६ रुपएं इतना है ।
६. कासार्डे तथा उदगिरीकी भूमि लौटानेके संदर्भमें न्यायालयमें याचिका प्रविष्ट है; इसलिए यह विषय प्रलंबित है । भूमि लौटानेकी बात उच्च न्यायालयके निर्णयपर निर्भर है ।
७. देवस्थान समितिकी कुछ भूमि कुछ ठराविक कालावधीके लिए अर्थात् २ वर्ष ११ मासके लिए किराएपर दी गई है । इस भूमिद्वारा ४५ सहस्त्र इतनी वार्षिक पूर्ति इकट्ठा होती है ।
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात