कार्तिक शुक्ल ३ , कलियुग वर्ष ५११५
श्रीहरिकोटा – भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने मंगलवार को २ बजकर ३८ मिनट पर श्रीहरिकोटा से 'मंगलयान' को रवाना कर दिया। यान ने उपग्रह को सफलतापूर्वक पृथ्वी की कक्षा में पहुंचा दिया। अब यह २५ दिन तक पृथ्वी का चक्कर लगाएगा।
१३५० किलो का यह सैटेलाइट धरती से ७८ करोड़ किलोमीटर दूर स्थित मंगल ग्रह की कक्षा में १४ सितंबर, २०१४ को पहुंचेगा। १३३७ किलो के इस सैटेलाइट को १५ महीने के रिकॉर्ड टाइम में तैयार किया गया।
ब्रिटिश अखबार ने मंगल मिशन के बारे में लिखा है कि भारत के 'मंगल मिशन' का लक्ष्य अंतरिक्ष अनुसंधान के क्षेत्र में चीन को पटखनी देना है। हालांकि, इसरो के चेयरमैन के. राधाकृष्णन पहले ही 'स्पेस वॉर' की बातों को खारिज कर चुके हैं। लेकिन, चीन ने मंगलवार को ही पहली बार 'लुनार रोवर' का मॉडल प्रदर्शित कर अपनी 'स्पेस पावर' दिखाने की कोशिश की। चीन अभी तक अपने इस खास और महत्वाकांक्षी मिशन को गुप्त रखता आया है, लेकिन मंगलवार को यह मॉडल पेश किए जाने को भारत के मंगल अभियान से दुनिया का ध्यान हटाने की कोशिश माना जा रहा है।
चीन ने पेश किया 'लुनार रोवर' का मॉडल
शंघाई – चीन ने मंगलवार को पहली बार 'लुनार रोवर' का मॉडल प्रदर्शित कर सभी को हैरान कर दिया। चीन अभी तक अपने इस खास और महत्वाकांक्षी मिशन को गुप्त रखता आया है, लेकिन शंघाई में चल रहे अंतरराष्ट्रीय मेले में उसने ने गोल्डन कलर के 'लुनार रोवर' को पेश किया। इसे देखने के लिए लोगों का तांता लगा हुआ है।
ध्यान रहे कि चीन चंद्रमा को लेकर महत्वाकांक्षी अभियान चला रहा है। वह अपने चंद्र अभियान के तहत २०१७ तक चंद्रमा की मिट्टी स्वदेश लाकर विभिन्न संस्थानों में अध्ययन करने का लक्ष्य बनाकर चल रहा है। लूनार एक्सप्लोरेशन प्रोजेक्ट के मुख्य वैज्ञानिक ओयुयांग झियुयान ने बताया कि चीन चंद्रमा ही नहीं बल्कि २०३० तक शुक्र ग्रह से सैंपल लाने पर विचार कर रहा है।
स्त्रोत : दैनिक भास्कर