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धारावीमें अनेक दुकानोंके माध्यमसे देवी-देवताओंके छायाचित्रवाले पटाखोंका निस्संकोच विक्रय ।

कार्तिक शुक्ल ३ , कलियुग वर्ष ५११५

धारावी (मुंबई)  – हिंदूनिष्ठोंद्वारा धारावी विभागमें हिंदू जनजागृति समितिद्वारा चलाए गए देवी-देवताओंके छायाचित्रवाले पटाखोंके विक्रयके अभियानके अंतर्गत पटाखोंके विक्रेताओंका निरीक्षण किया गया । इस समय ऐसा पता चला कि कुछ दुकानोमें लक्ष्मीके छायचित्रवाले पटाखे विक्रय हेतु उपलब्ध थे । इस संदर्भमें वङ्कादलके सर्वश्री संजय चिंदरकर, गंगाराम पुजारी, विजीत दुबे, ग्यानचंद जायसवाल तथा हिंदू जनजागृति समितिके श्री. चंद्रकांत भदिर्के आदि लोग स्थानीय पुलिस चौकीमें अपराधकी प्रविष्टि करने गए थे; परंतु  धारावी पुलिसने विक्रेताओंपर निश्चित कार्यवाही करनेमें उदासीनता दर्शाई ।

हिंदूनिष्ठोंद्वारा धारावी विभागके डी सेलवन स्टोर्स, जे आर सेल्वा स्टोर्स, बाबा स्टोर्स तथा जागृति स्टोर्स जैसी अनेक दुकानोमें देवी-देवताओंके छायाचित्रवाले पटाखोंका विक्रय किए जानेके संदर्भमें पुलिसके निदर्शनमें लाया गया । परंतु वहांके पुलिस निरीक्षक केशव खरातने कहा कि अभी कार्यवाही करना असंभव है, क्योंकि सेवाके लिए पुलिस उपलब्ध नहीं है । सभी पुलिस फौज बंदोबस्त / उपायोंमें लगी है, ऐसा कारण बताकर कार्यवाही करनेमें टालमटोल की । इस संदर्भमें हिंदूनिष्ठोंद्वारा  अपराधकी प्रविष्टि करनेके लिए प्रार्थना करनेपर उन्होंने कहा कि आपका निवेदन ही अपराधकी प्रविष्टि है । अतः अलगसे इसकी प्रविष्टि करनेकी आवश्यकता नहीं है तथा यदि हमें अवसर मिला, तो हम संबंधित व्यक्तियोंपर कार्यवाही करेंगे । (क्या पुलिसने मुसलमानोंके धर्मश्रद्धाओंके अनादरके संदर्भमें मुसलमानोंको ऐसा ही उत्तर दिया होता ? यही सच है कि इस देशमें ह्यिंओंके साथ ही दूसरी श्रेणीके नागरिकोंसमान आचरण किया जाता है ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात ) खरातने हिंदूनिष्ठोंको अन्य उदाहरण देकर टालनेका प्रयास किया एवं पत्रिकाओंपर देवी-देवताओंके छायाचित्र होते हैं । इसपर आप कार्यवाही नहीं करते । गणपति विसर्जन गंदे पानीमें किया जाता है । आप इसके विरोधमें आवाज नहीं उठाते ऐसे उदाहरण देकर उन्होंने अपराध प्रविष्ट करनेमें टालमटोल की । (प्रत्यक्षमें हिंदू जनजागृति समिति ‘आदर्श गणेशोत्सव अभियान’के अंतर्गत गणेशोत्सवमें गणेश विसर्जनके निमित्त हानेवाली अनुचित घटनाओंको रोकने हेतु पिछले अनेक वर्षोंसे समाजका प्रबोधन कर रही है । यदि खरातको इस बातका पता न हो, तो आरोप लगानेसे पूर्व उनको पूछना चाहिए था । – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात)

स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात

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