नर्इ देहली – प्राचीन भारतीय ज्ञान की सराहना करते हुए केन्द्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने सोमवार को कहा कि सूर्य ग्रहण और चंद्र ग्रहण की भविष्यवाणी के लिए अमेरिकी वेधशाला की ओर देखने की जरूरत नहीं है, बल्कि पड़ोस का कोई ‘पंडित’ ही इस बारे में सटीक जानकारी दे देगा।
गृहमंत्री ने लखनऊ विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में कहा, ‘हमारा मीडिया भ्रमित है। यह बता दिया कि अमेरिकी वेधशाला कहती है कि सूर्य ग्रहण और चंद्रग्रहण फलां तारीख को लगेगा। मैं देखता हूं कि वहां विज्ञान ने कितनी उंचाइयां हासिल की हैं। मत देखो वेधशाला की तरफ। पड़ोस में कोई भी पंडित जी होंगे, पंचांग खोलेंगे। सौ साल पहले और सौ साल बाद का ग्रहण बता देंगे।’
प्राचीन भारतीय ज्ञान की सराहना करते हुए उन्होंने कहा , ‘हमारे ऋषियों ने बता दिया है कि 1।96 अरब वर्ष पहले हमारी धरती बन गई थी। पहले विज्ञान ने इसे नहीं माना था लेकिन बाद में उसे मानना पड़ा। जो उन्होंने बताया वह हमारे चैनलों पर चलता है। अरे पंडित जी से ही पूछ लेते।’ राजनाथ ने कहा कि दुनिया के किसी भी देश के पास वह ज्ञान नहीं, जो भारत के पास है। चाहे वह त्रिकोणमिति, बीजगणित की या अन्य कोई प्रमेय हों, कोई अन्य देश हमारे ज्ञान के समतुल्य ज्ञान नहीं रखता।
उन्होंने छात्रों के ‘आध्यात्मिक विकास’ और उनमें मूल्यों का संचार करने पर जोर देते हुए कहा, ‘ब्रहमाण्ड संबंधी भारतीय गणनाएं आधुनिक वैज्ञानिक गणनाओं की ही तरह हैं।’ गृहमंत्री ने कहा कि युवाओं में दो धाराएं हो गई हैं। एक वे जो आईटी, मेडिकल और विज्ञान के क्षेत्र में नाम कमा रहे हैं और दूसरे वे जिनके पास ‘हाई टेक’ डिग्री है लेकिन वे आतंकवाद और उग्रवाद में शामिल हैं।
राजनाथ ने कहा, ‘जो ज्ञान संस्कारों से जुड़ता है, वह समाज के लिए कल्याणकारी होता है और जो ज्ञान संस्कारों से नहीं जुड़ता, वह समाज के लिए विनाशकारी होता है। जो सभ्यताएं अपने संस्कारों और मूल्यों से कट गईं, वे लंबे समय तक अस्तित्ववान नहीं रह पायीं। भारत ही है, जिसने बड़ा हृदय दिखाया और वसुधैव कुटुम्बकम का संदेश दुनिया को दिया।’
उन्होंने ‘हाय’ और ‘बाय’ संस्कृति पर आपत्ति करते हुए छात्रों से कहा कि वे ऐसा नहीं करें, बल्कि परंपरा का अनुकरण करते हुए अपने माता पिता और बड़ों के चरण स्पर्श करें। राजनाथ ने कहा , ‘बच्चों को बतायें कि ‘हाय’ और ‘बाय’ का कल्चर छूटना चाहिए। बच्चे मम्मी और पापा को हाय बोलते हैं। यह क्या हो गया है। क्या मां बाप का चरण छूने से कोई छोटा हो जाता है। जो झुकना नहीं जानता, वह जीवन में किसी न किसी समय टूट जाता है।’
गृहमंत्री ने कहा, ‘माता पिता के चरण छूना भारतीय संस्कृति और परंपरा का अंग है। हमें बच्चों को ये संस्कार देना है कि वे ‘हाय’ और ‘बाय’ छोड़कर माता पिता के चरण छुएं। गृहमंत्री ने गणितीय फॉर्मूले के जरिए सकारात्मक और नकारात्मक सोच में फर्क को समझाया और छात्रों को सलाह दी कि वे खुद के विकास के लिए नहीं बल्कि दूसरों के विकास के लिए भी कार्य करें।