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‘इंडिया-न्यूज’ पर आयोजित चर्चासत्रके माध्यमसे प.पू. आसारामबापूजी एवं उनके भक्तोंकी अपकीर्ति करन

कार्तिक शुक्ल ६, कलियुग वर्ष ५११५


'इंडिया-न्यूज' समाचार प्रणालपर २ नवंबरको रात्रि ८ बजे एक चर्चासत्र आयोजित किया गया था, जिसका विषय था, ’प.पू. आसारामबापूजीके भक्त पूर्वके कुछ भक्तोंके साथ अयोग्य आचरण कर रहे हैं, धमका रहे हैं, तो क्या इनका यह आचारण योग्य है ?’ इस चर्चासत्रमें दैनिक 'लोकस्वामी'के संपादक जीतू सोनी, प.पू. आसारामबापूजीके समर्थक श्री. अखिलेश तिवारी, तत्कालीन स्वीय सहाय्यक (पी.ए.) राहुल, तत्कालीन सेवादार अजयकुमार (चर्चासत्रके समय अजयकुमारका मुखमंडल नहीं दर्शाया गया । केवल संरचना बता रहे थे । ) एवं सनातन संस्थाके प्रवक्ता श्री. आनंद जाखोटिया सम्मिलित हुए थे । चर्चासत्रकी समाप्ति केवल आधे घंटेमें की गई । चर्चासत्रके अंतमें प्रश्‍न उत्पन्न होता है कि क्या चर्चासत्रोंके कार्यक्रम ठीक किसी उद्देश्यसे किए जाते हैं ?'

प.पू. आसारामबापूजीके तत्कालीन स्वीय सहायक एवं सेवादारोंद्वारा कथित आरोप !

१. प.पू. आसारामबापूजीके तत्कालीन  स्वीय सहायक राहूलने आरोप लगाते हुए कहा, 'प.पू. आसारामबापूजीके भक्त मुझे कष्ट दे रहे हैं, नक्सलवादियोंसमान जीवित मारनेकी धमकियां दे रहे हैं तथा धनका लालच (ऑफर) दर्शाकर 'ब्लैकमेल' कर रहे हैं एवं मानसिक कष्ट दे रहे हैं ।’
२. तत्कालीन सेवादार अजयकुमारने कहा, 'प.पू. आसाराम बापूजीके ८से १० भक्त घर आकर धमकाते हैं । बंधू तथा माता-पिताको भी कष्ट पहुंचाते हैं ।

प.पू. आसारामबापूजीपर लगाए गए कथित आरोपोंके विषयमें स्पष्ट दृष्टिकोण  प्रस्तुत  करनेवाले श्री. अखिलेश तिवारी !

अजयकुमार एवं राहूलद्वारा लगाए गए आरोपोंपर स्पष्ट दृष्टिकोण प्रस्तुत करते हुए श्री. अखिलेश तिवारीने कहा, 'कष्ट हुआ है, तो उन्हें पुलिस थानेमें परिवाद प्रविष्ट करना चाहिए । न्यायालयमें जाना चाहिए । यदि भक्तोंद्वारा धमकी दिए जानेकी बात सत्य होगी, तो उसके अनुसार उन्हें दंड दिया जाएगा ।'

प.पू. आसारामबापूजीके भक्तोंपर लगनेवाले आरोपोंकी सत्यताकी जांच करनी चाहिए !  श्री. आनंद जाखोटिया

पक्ष निवेदक दीपक चौरासियाने सनातनके प्रवक्ता श्री. आनंद जाखोटियासे ‘नारायण साई एवं प.पू. आसारामबापूजीेके भक्त इस प्रकार आचरण करते हैं, तो भी क्या आप उनके ही पक्षका समर्थन करेंगे ? ऐसा प्रश्न करनेपर श्री. आनंद जाखोटियाने कहा, 'हमने पूर्वसे ही ऐसा दृष्टिकोण प्रस्तुत किया है कि पू. नारायण साईको पुलिस थानेमें उपस्थित रहना चाहिए । बापूजीके भक्तोंद्वारा जिन्हें कष्ट पहुंचा है, उन्हें पुलिस थानेमें अपराध प्रविष्ट करना चाहिए । जो अपराधी सिद्ध होंगे, उन्हें दंड दिया जाएगा । इसके साथ ही दूसरी बाजू भी समझकर लेनी चाहिए । जिन्होंने आरोप लगाए हैं, उन आरोपोंकी सत्यताकी भी जांच करनी चाहिए । इस बातके प्रति सभी उदासीन हैं । कुछ भक्त निराधार आरोप लगा रहे हैं, जिन्हें प्रसारमाध्यम स्थान दे रहे हैं । आरोप लगानेवाले व्यक्तियोंमें जिन व्यक्तियोंके आरोप झूठे सिद्ध हुए, उनके विषयमें समाचार नहीं दर्शाए जाते । यह कहांतक उचित है ?'

संतोंके विषयमें अर्वाच्य  / अनर्गल भाषाका प्रयोग करनेवाले संपादक जीतू सोनी !

जीतू सोनीने कहा, 'ये साधू नहीं है, अपितु शैतान हैं' ( इस प्रकारकी भाषाका प्रयोग करनेवाले संपादक जनताको क्या दिशा देंगे ?  संपादक, दैनिक सनातन प्रभात ) नारायण साई उपस्थित होना यह उनका नैतिक धर्म है । अखिलेश तिवारी उन्हें वापस लौटनेका परामर्श दें ।'   

संतोंके विषयमें अनादरसूचक तलपट्टियां दर्शानेवाला 'इंडिया-न्यूज' समाचार प्रणाल

कोई भी अपराध सिद्ध न होते हुए भी प.पू. आसारामबापूजी एवं पू. नारायण साईकी निंदा करनेवाली आगे दर्शाएनुसार तलपट्टियां दूरचित्रप्रणालपर दर्शाई जा रही थी !
१. बाप अंदर, बेटा फरार, चेले बन गए गुंडे-मवाली ।
२. किसी को घूस, किसी को गाली, किसी को गोली ।
३. गुंडे-मवाली चेलोंके गुरु क्या होंगे ?

समाचार प्रणालपर आयोजित चर्चासत्रके पश्चात प्रेक्षकोंद्वारा उपस्थित प्रश्‍न

समाचारप्रणालोंपर आयोजित चर्चासत्रके विषय समाजको सभी दृष्टिसे समझना अपेक्षित है; परंतु वर्तमान समयमें कुछ समाचार प्रणालोंपर किस उद्देश्यसे चर्चासत्रोका कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं, यह प्रेक्षकोंके ध्यानमें नहीं आता । 'इंडिया न्यूज' प्रणालपर आयोजित कार्यक्रमके उपरांत प्रेक्षकोंके मनमें उभरे प्रश्‍न
१. चर्चासे कुछ परिणाम नहीं दिखाई देते, तो फिर चर्चासत्र क्या केवल 'टी.आर पी.' बढाने हेतु आयोजित किए जाते हैं ?
२. क्या यह प.पू. आसारामबापूजीकी अपकीर्ति करने हेतु कोई षडयंत्र तो नहीं है ?
३. यदि आरोपोंमें कोई सार नहीं है, तो फिर ऐसे कार्यक्रम किसलिए ?
४. चर्चाके लिए आमंत्रित वक्ताओंमें प.पू. आसारामबापूजीका समर्थन करनेवाले वक्ताओंसे अयोग्य बर्ताव क्यों ? उन्हें अपना कहना भली-भांति प्रस्तुत करनेका अवसर क्यों नहीं दिया जाता ?

स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात

 

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