कार्तिक शुक्ल ९ , कलियुग वर्ष ५११५
कर्नाटकमें अंधश्रद्धा निर्मूलन अधिनियम लाने हेतु भाजपा विरुद्ध
मुख्यमंत्रीपदकी कुर्सीकी पूजा करते कर्नाटक कांग्रेसके मुख्यमंत्री सिद्धरामय्या |
अंधश्रद्धा निर्मूलन अधिनियम पारित करनेकी सिद्धतामें कर्नाटकके मुख्यमंत्री सिद्धरामय्या मुख्यमंत्रीपदकी कुर्सीपर बैठनेसे पूर्व कुर्सीकी पूजा करते नजर आ रहे हैं । यह सिद्धरामय्याकी श्रद्धा है अथवा अंधश्रद्धा ?
बेंगलुरू – कर्नाटक विधानसभामें कर्नाटक अंधश्रद्धा निर्मूलन विधेयक-२०१३ यह विधेयक लानेपर विधानसभाकी कार्यवाही बंद की जाएगी, भाजपाने ऐसी चेतावनी दी है । इस अधिनियम द्वारा सिद्धरामय्या प्रशासन हिंदुओंकी धार्मिक रीति एवं परंपरा नष्ट करनेका प्रयास कर रहा है, भाजपा कर्नाटक राज्यके अध्यक्ष प्रह्लाद जोशीने ऐसा आरोप लगाया है । (कभी कुछ कृत्य न करनेवाले भाजपा द्वारा हिंदू धर्मपर होनेवाले आघातोंका किया गया विरोध अभिनंदनीय है ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात )
प्रह्लाद जोशीने कहा कि अन्य धर्मोंमें हिंदू धर्मकी अपेक्षा अंधश्रद्धाओंका प्रसार बडी मात्रामें है । क्या कर्नाटक प्रशासन अधिनियममें ऐसी अंधश्रद्धा सम्मिलित करनेकी सिद्धता दिखाएगा ? हिंदू धर्म सहिष्णु तथा नई परंपराएं समानेवाला है । अत: अधिनियम पारित करनेकी कोई आवश्यकता नहीं ।
अवकाश संशोधनमें सम्मिलित वैज्ञानिकोंकी श्रद्धा एवं अंधश्रद्धा !
विश्व अवकाश संशोधनमें सम्मिलित वैज्ञानिक भलेही विज्ञानका एक एक क्षेत्र जीतते होंगे, किंतु उन्हें भी श्रद्धा एवं विश्वासका सहारा लेना पडता है, यह बात स्पष्ट है ।
भारत अवकाश संशोधनमें सम्मिलित वैज्ञानिक हर उपग्रह अवकाशमें छोडनेसे पूर्व श्री तिरुपति बालाजीका आशीर्वाद लेते हैं तथा अवकाश संशोधन केंद्रमें विधिवत पूजा करते हैं । अमेरिकाके वैज्ञानिक अवकाशमुहिमके पूर्व मूंगफलीके दाने खाते हैं, तो रूसके वैज्ञानिक अनोखा कृत्य करते हैं । वे अवकाश केंद्रमें वैज्ञानिकोंको ले जानेवाली बसके दाहिनी तरफके पिछले चक्केपर लघुशंका करते हैं । हर एक जन कहता है, कि वह भगवानकी अथवा विषकी परीक्षा लेने हेतु सिद्ध नहीं । (संदर्भ : टाईम्स आफ इंडिया)
स्त्रोत – दैनिक सनातन प्रभात