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श्रीलंका स्थित देवी भद्रकाली अम्मा मंदिर बौद्ध भिक्क्षु तथा सेना द्वारा उद्ध्वस्त !

कार्तिक शुक्ल १० , कलियुग वर्ष ५११५

चीन, पाकिस्तान, बांगलादेश तथा श्रीलंका, इन पडोसी शत्रु राष्ट्रोंसे देशकी तथा हिंदू धर्मकी रक्षा करने हेतु हिंदू राष्ट्र ही आवश्यक !

विश्व हिंदू परिषदद्वारा श्रीलंका प्रशासनको `जैसेको तैसा’ उत्तर देनेकी चेतावनी !

कोलंबो – २८ अक्तूबरकी रातको श्रीलंकाके तमिलबहुल क्षेत्र दाम्बुला स्थित देवी भद्रकाली अम्मा मंदिर श्रीलंकाकी सेना द्वारा बौद्ध भिक्क्षुओंकी उपस्थितिमें पूर्णतया तोड दिया गया । विश्व हिंदू परिषदके अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष डा. प्रवीण तोगडियाद्वारा तीव्र शब्दोंमें इस घटनाका निषेध किया गया है । ऐसी घटनाओंकी पुनरावृत्ति होनेपर ‘जैसेको तैसा’ इस न्यायसे भारतमें प्रतिक्रिया होनेकी चेतावनी भी दी गई । यह मंदिर ३० वर्ष पुराना है तथा श्रीलंका स्थित हिंदू श्रद्धालुओंमें पवित्र समझा जाता था ।

१. २८ अक्तूबरकी रात श्रीलंकाकी सेना सामान्य वस्त्र पहनकर कुछ बौद्ध भिक्क्षुओंको साथ लेकर देवी भद्रकाली अम्मा मंदिर पहुंची, उस समय मंदिरकी न्यासी श्रीमती लक्ष्मी अम्माने उन्हें १ नवंबरको, मंदिर गिरानेसे पूर्व देवीकी विधिवत पूजा करनी है, अत: तबतक रुकनेको कहा । यह विनती अनसुनी कर मंदिर रातमें ही गिरा दिया गया ।

२. इस घटनाकी जानकारी पश्चिम विभागीय नगरसेवक तथा श्रीलंका हिंदू आघाडीके प्रवक्ता डा. एन. कुमार गुरुपारन्ने दी । श्रीलंकाके सांसद आ. योगराजन् तथा डा. एन. कुमार गुरुपारन् इन दोनोंने श्रीलंकाके अध्यक्ष महिंद्र राजपक्षेको घटनाकी जानकारी देकर उधर ध्यान देनेकी विनती की ।

३. इसी माह श्रीलंकामें राष्ट्रकुल देशोंके प्रमुखोंकी परिषद आयोजित की गई है । हाल ही में श्रीलंकामें समाप्त हुए युद्धमें लगभग १ लाख ४० सहस्र तमिल हिंदुओंका वंशसंहार किया गया । इस बातकी ओर भारतके तमिलियोंने गंभीरतापूर्वक ध्यान दिया है ।

अंतमें प्रधानमंत्रीका श्रीलंका जाना स्थगित

नई देहली – श्रीलंकाकी राजधानी कोलंबोमें १५ तथा १६ नवंबरको आयोजित राष्ट्रकुल शिखर सम्मेलनमें प्रधानमंत्री डा. मनमोहन सिंह सम्मिलित नहीं होंगे, ऐसी अधिकृत जानकारी परराष्ट्र मंत्रालयके सूत्रों द्वारा दी गई है । शीघ्र ही इसकी अधिकृत घोषणा की जाएगी । प्रधानमंत्रीके स्थानपर उपराष्ट्रपति हमीद अन्सारीके जानेकी संभावना है । तमिल नागरिकोंके तीव्र विरोधके कारण प्रधानमंत्रीका जाना स्थगित करना पड रहा है ।

स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात

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