कार्तिक शुक्ल १० , कलियुग वर्ष
हुबली (कर्नाटक) : कर्नाटक राज्यमें प्रथम ही आयोजित राज्यस्तरीय हिंदू अधिवेशनका समापन समारोह १० नवंबरको संपन्न हुआ । तीन दिवस चले इस अधिवेशनके अंतिम दिन अर्थात १० नवंबरको हिंदुओंमें जागृति करनेके संदर्भमें मार्गदर्शन किया गया । अधिवेशनके प्रथम सत्र अर्थात ९ नवंबरके चर्चासत्रमें हिंदू जनजागृति समितिके श्री. मोहन गौडाने आगामी नीतिके विषयमें हुए विचार-विमर्शका सारांश बताया । उन्होंने कहा कि इस अधिवेशनमें ‘हिंदुओंकी मांगें पूरी करूंगा तथा अपने चुनाव घोषणापत्र समान कृत्य करनेका प्रयास करूंगा’ ऐसा कहनेवाले प्रामाणिक हिंदू प्रत्याशीको ही मत देनेका निर्णय लिया गया ।
इस्रोके शास्त्रज्ञोंको भी अंधश्रद्धालु सिद्ध करनेवाले कानूनका विरोध करें ! – रमेश शिंदे, राष्ट्रीय प्रवक्ता, हिंदू जनजागृति समिति
अंधश्रद्धाविरोधी कानून केवल हिंदुओंके आचारोंपर आघात करनेका षडयंत्र है । इस कानूनद्वारा कल जाकर तप्तमुद्रा विधि करनेवाले स्वामीजीको शारीरिक कष्ट देते हैं, ऐसा कहकर नियंत्रणमें लेकर कारागृहमें भेजा जा सकता है; परंतु मुसलमानोंद्वारा किए जा रहे सुंथाके संदर्भमें यह कानून लागू नहीं होगा । अतः सब हिंदुओंको एक होकर इस कानूनके विरुद्ध आंदोलन आरंभ करना चाहिए । आज कर्नाटकके मुख्यमंत्री स्वयं जिस कुर्सीपर बैठते हैं, उसकी पूजा करते हैं । इस्रोके वैज्ञानिक मंगल ग्रहपर यान भेजते समय तिरुपतिके मंदिरमें पूजा करते हैं । यह श्रद्धा है । इसे भी अंधश्रद्धा कहनेकी संभावना है ।
अधिवक्ता श्री. उदय कुमारने कहा,
‘हिंदू धर्मके विषयमें युवकोंमें जागृति उत्पन्न करना आवश्यक है । युवकोंको संस्कार एवं धर्मशिक्षा देनी चाहिए ।’ श्री. हरीश शिवप्रसादने हिंदुओंको आपात्कालमें त्वरित सहायता मिलनेकी दृष्टिसे ‘fहंदू हेल्पलाईन’ सुविधाके संदर्भमें उपस्थित धर्माभिमानियोंको जानकारी दी । मंगलुरूके प्रख्यात उद्योगपति श्री. अनंत कामतने व्यवसाय करते समय, कैसे धर्मशिक्षा दे सकते हैं, इस विषयमें बताया । साथ ही उन्होंने अपना व्यवसाय करते समय धर्मप्रसार किस प्रकार किया, इस विषयमें उपस्थित धर्माभिमानियोंका मार्गदर्शन किया । श्री. विवेक पै ने आधुनिक तंत्रज्ञानका उपयोग कर धर्मप्रसार कैसे कर सकते हैं, यह उदाहरणके साथ बताया । सभागृहमें धर्मशिक्षा देनेवाले फलकोंकी प्रदर्शनी लगाई गई थी । अंतमें सभी धर्माभिमानियोंने एकमतसे आगामी हिंदू नीतिके विषयमें प्रस्ताव पारित किया ।
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात