१. श्री. प्रमोद मुतालिक द्वारा क्रियान्वित चिक्कमंगळुरू का दत्तपीठ अभियान
१ अ. चिक्कमंगळुरू के दत्तपीठ का इस्लामीकरण होने से बचाना : चिक्कमंगळुरू जनपद स्थित दत्तपीठ के पास बाबा बुडनगिरी नामक धर्मांध ने हरा कपडा लगाया था । गत कुछ वर्षों से काका श्रीराम सेना की ओर से कर्नाटक के चिक्कमंगळुरू जनपद स्थित दत्तपीठ के लिए अभियान कर रहे हैं । उनके प्रयासों के परिणामस्वरूप दत्तपीठ का अस्तित्व है अन्यथा उसका इस्लामीकरण हो गया होता ।
१ आ. धर्मांध बहुसंख्यवाले क्षेत्र से फेरी निकालने हेतु पुलिस द्वारा प्रतिबंध लगाना तथा फेरी का उत्तरदायित्व स्वीकारकर उसी क्षेत्र से फेरी निकालने की अनुमति देने हेतु पुलिसवालों को बाध्य करना : गत वर्ष दत्तपीठ के अभियान हेतु चिक्कमंगळुरू में श्रीराम सेना तथा अन्य समवैचारिक संगठनों के कार्यकर्ता राज्यभर से आए हुए थे । सबेरे १० बजे ८ से १० सहस्र कार्यकर्ताओं की फेरी निकाली गई थी । गांव के महात्मा गांधी मार्ग पर धर्मांध अधिक संख्या में रहते हैं, यह कारण बताकर पुलिस ने उस मार्ग से निकलने हेतु फेरी को प्रतिबंधित किया । सभी कार्यकर्ताओं ने फेरी रोककर उसी स्थान पर बैठकर घोषणाएं करना प्रारंभ कर दिया । ठीक समय पर पुलिसवालों की दादागिरी देखकर कार्यकर्ता चिढ गए तथा कार्यकर्ताओं ने हठ किया कि फेरी उसी मार्ग से निकलेगी । उस समय काका ने कहा कि फेरी वहीं से निकलेगी अथवा सभी लोग यहीं बैठकर धरना आंदोलन करेंगे । अन्य मार्ग से जाने हेतु पुलिस वालों ने बहुत प्रयास किया; परंतु काका अपने मत पर दृढ थे । अंत में काका ने कहा ‘‘फेरी इसी मार्ग से निकलेगी । मैं वचन देता हूं कि कुछ भला-बुरा नहीं होगा और यदि होता है, तो उसका दायित्व मैं लेता हूं ।’’तब पुलिसवालों ने फेरी को आगे जाने की अनुमति दी । उस समय अत्यंत उत्साह से एवं घोषणाएं करते हुए कार्यकर्ता फेरी आगे ले गए ।
१ इ. हिन्दुओं पर आनेवाले संकटों के विषय में श्री. प्रमोद मुतालिक द्वारा दिया गया संकेत ! : दत्तपीठ पहुंचने पर काका का भाषण चल रहा था और निकट ही यज्ञकुंड में आहुति दिए हुए फल इत्यादि जल रहे थे । उसी समय उनमें से नारियल के विस्फोट से बडी ध्वनि उत्पन्न हुई । उस समय काका ने अपना भाषण रोककर उस ओर देखा तथा कहा कि ‘‘आज केवल नारियल का विस्फोट हुआ है, कल कौन सा विस्फोट होगा यह कहा नहीं जा सकता ।’’
२. ‘किस डे’ के विरुद्ध सफल संघर्ष करना
कुछ माहपूर्व कर्नाटक में ‘किस डे’ (चुंबन दिवस) यह कुप्रथा प्रारंभ होनेवाली थी । उस समय काका ने उसका तीव्र विरोध किया । उनके प्रयासों के फलस्वरूप वह कुप्रथा कर्नाटक राज्य में नहीं पहुंची । अन्यथा अपनी संस्कृति पर एक बडा आघात हुआ होता ।
२ अ. कानून के दायरे में रहकर ‘किस डे’ मनाने हेतु कहनेवाले राज्यकर्ताओं को श्री. प्रमोद मुतालिक द्वारा दिया गया स्पष्ट उत्तर ! : इसी किस डे के संदर्भ में राज्यकर्ताओं ने कहा था कि ‘‘कानून के दायरे में रहकर किस डे मनाने में कोई आपत्ति नहीं है ।’’ तब काका ने उन्हें स्पष्ट उत्तर देते हुए कहा कि, ‘‘जो यह कह रहे हैं उनकी संतान को कानून के दायरे में रहकर किस देने हेतु भेजें । ऐसे उपदेश हमें न दें । आज यह किस प्रथा बंद नहीं की तो कल यही लोग ‘स्लीपिंग डे’ (एकत्र सोने का दिन) मनाने में आगे-पीछे नहीं देखेंगे ।’’ – कु. प्रियांका स्वामी
अन्य विशेषतापूर्ण कार्य
- गत ४-५ वर्षों में १३ सहस्र गोवंशों की रक्षा !
- ३,००० युवकों को सैन्य प्रशिक्षण !
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- पाकिस्तान की अभिनेत्री द्वारा अभिनीत ‘डर्टी पिक्चर’ के विरोध में आंदोलन !
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स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात