कार्तिक शुक्ल ११ , कलियुग वर्ष ५११५
हिंदुओ, इस सफलता हेतु ईश्वर चरणोंमें कृतज्ञता व्यक्त करें !
थिरुवनंतपुरम् – यहांके कॉटन हिल क्षेत्र स्थित एक शासकीय महिला उच्च माध्यमिक विद्यालयके ‘सोपानाम’ मासिकमें हिंदुओंके देवताओंकी विडंबना करनेवाला लेख प्रसिद्ध किया गया था । हिंदू जनजागृति समितिके कार्यकर्ताओंको इसकी जानकारी प्राप्त होते ही उन्होंने तुरंत विद्यालयके अधिकारियोंसे मिलकर विरोध किया इसपर अधिकारियोंने इस विषयमें लिखित क्षमापत्र दिया तथा यह मासिक वितरणसे हटाया । लेखके कारण यहांके हिंदुओंमें क्रोधकी लहर व्याप्त हो गई थी । उनकी धार्मिक भावनाओंपर आघात हुआ था ।
१. मासिक सिद्ध करनेवाली समितिने लेखको मान्यता दी थी । समितिमें विद्यालयकी प्राचार्या सिस्टर मेरी सिस्लेट प्रीन्सेलाका सहभाग है । लेख ९ वीं कक्षामें पढनेवाले छात्रने लिखा है, विद्यालयद्वारा ऐसा बताया गया; किंतु इसके पीछे कोई और ही है, ऐसा कहा जा रहा है ।
२. शासकीय शैक्षणिक संस्थाओंमें किसी भी धर्मके देवताओंकी विडंबना करनेवाला लेख अथवा कार्यक्रमपर बंदी है । विशेष बात यह है कि धर्मांधोंके श्रद्धास्रोतोंका अपमान करनेकी घटनामें धर्मांधोंद्वारा एक ईसाई शिक्षकका हाथ तोडनेसे यह धारा अधिक कठोर की गई है । (धर्मांध उनके श्रद्धास्रोतोंका अपमान होनेपर कानून हाथमें लेते है, किंतु हिंदू निषेध भी नहीं करते ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात )
लेखद्वारा किया गया अपमान इस लेखमें हास्यास्पद प्रश्नद्वारा हिंदू देवताओंकी विडंबना की गई है । उसमेंसे कुछ प्रश्न :
१. प्रथम आकाश यात्री कौन ? (उत्तर : हनुमान)
२. प्रथम भारत्तोलक विजेता (वेट लिफ्टिंग चैम्पियन) कौन ? (उत्तर : श्रीकृष्ण – गोवर्धन पर्वत)
३. प्रथम सी.डी. (ध्वनिचित्र-चक्रिका ) फेंकनेवाला कौन ? (उत्तर : श्रीविष्णु – सुदर्शन चक्र)
इस प्रकार कुल ११ में से ६ प्रश्न देवताओंकी विडंबना करनेवाले थे ।
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात