कार्तिक शुक्ल १२ , कलियुग वर्ष ५११५
बुद्धिप्रामाण्यवादियों, यह ध्यानमें रखे !
अनेक पश्चिमी सभ्यतावाले प्रवासी एवं लेखकोंने बनारसको भेंट देकर विपुल लेखन किया है । उसमें हिंदू धर्म स्वीकारकर बनारसमें रहनेवाले एक अमेरिकन लेखक भी थे । उन्होंने इस नगरके विषयमें दिया वक्तव्य अत्यंत सारपूर्ण है । वे कहते हैं कि पश्चिमी सभ्यतावाले लोगोंको अपने ईसाई धर्ममें रहकर इस नगरके आत्माकी जानकारी कभी नहीं होगी, अपितु हिंदू धर्मके बाहर खडे रहकर बनारसको देखनेवाले लोगोंको यह नगर केवल एक चमत्कृतिपूर्ण एवं श्रद्धालु नगर प्रतीत होगा । यदि वास्तवमें बनारसको जानना है, तो आपको हिंदू धर्ममें आकर यहीं रहना होगा । (स्वामी सेवानंद, पूर्वके आर्थर स्कोबी) – उत्तराखंड, पृष्ठ ११५, लेखक : श्री. रमेश मंत्री. ख्रिस्ताब्द १९८६. (संदर्भ : प्रज्ञालोक, एप्रिल १९८७)
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात