कार्तिक शुक्ल १२ , कलियुग वर्ष ५११५
श्री. पी. प्रभाकरन् सत्संगका उद्देश्य बताते हुए (छायाचित्रमें) |
चेन्नई – हिंदू जनजागृति समितिके चेन्नईके सेवाकेंद्रमें रविवार, १० नवंबरको दोपहर ४ से संध्यासमय ६.३० की कालावधिमें आयोजित सत्संग महोत्सवके लिए १६ धर्माभिमानियोंद्वारा उत्स्फूर्त प्रतिसाद मिला ।
महोत्सवका आरंभ भगवान श्रीकृष्णकी आरती एवं प्रार्थनासे हुआ । श्री. पी. प्रभाकरन्ने सत्संग महोत्सवका उद्देश्य स्पष्ट किया । धर्माभिमानियोंका दो वर्गमें वर्गीकरण कर उनकी व्यष्टि साधनाका पुनर्निरिक्षण किया गया । इस पुनर्निरिक्षणमें नामजप, सत्सेवा, उपाय तथा चूक लिखना ऐसी व्यष्टि साधनाके चार प्रमुख सूत्रोंपर बल दिया गया । सत्सेवामें भाग लेनेवाले साधकोंने उत्स्फूर्त रूपसे अपनी अनुभूतियोंका कथन किया ।
श्रीमती सुगंधी जयकुमारने 'फेसबूक' समान प्रसारमाध्यमोंके माध्यमसे सेवा करनेके अवसरके विषयमें जानकारी दी । श्रीमती रूपा शेट्टीने चेन्नईके सेवाकेंद्रका ध्यान रखनेके उद्देश्यका महत्त्व विषद किया । श्री. काशीनाथने विविध सेवाओंके विषयमें जानकारी दी एवं कहा कि धर्माभिमानी अपनी चाहके अनुसार साधनाका चयन कर सकते हैं । कार्यक्रमका समापन प.पू. गुरुदेवके चरणोंमें कृतज्ञता व्यक्त कर किया गया ।
क्षणिकाएं
१. श्रीमती चारुलता एवं श्रीमती राजलक्ष्मीने अंग्रेजीका तमिलमें भाषांतरकी सेवा करनेकी सिद्धता दर्शाई ।
२. श्री. चंद्रशेखरन्ने अंग्रेजीका लेख तमिलमें भाषांतर करनेकी सिद्धता दर्शाई ।
३. श्रीमती रमालक्ष्माने भाषांतरकी सेवा करनेकी तथा चेन्नईमें आनेवाले संतोंके भोजनकी व्यवस्था करनेकी fिसद्धता दर्शाई ।
४. श्री. विवेकने तमिल सनातन पंचांग पुरस्कृत करनेकीसिद्धता दर्शाई
५. श्री. अवधी रविचंद्रन्ने 'तामिझ देसम' नामक तमिल मासिक आरंभ किया है । उन्होंने इस मासिकसे सनातनका कार्य प्रसिद्ध करनेकी सिद्धता दर्शाई ।
६. दो धर्माभिमानियोंने सेवाकेंद्रमें सेवा करनेकी सिद्धता दर्शाई ।
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात