कार्तिक शुक्ल १४ / पूर्णिमा, कलियुग वर्ष ५११५
भारतीय संशोधकोंका महत्त्व विदेशियोंके ध्यानमें आता है; परंतु दुष्ट भारतीय राजनेताओंके ध्यानमें नहीं आता !
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तेलअवीव (इस्राईल) : इस्राईल सरकारने यहां १२ नवंबरको आरंभ हुए ‘ब्लुमबर्ग फ्यूअल च्वॉइसेस समिट’ परिषदमें भारतीय संशोधक प्राध्यापक जी.के. सूर्यप्रकाशको उनकेद्वारा तेलके अभावके कारण दिनोंदिन महंगा होनेवाला पेट्रोल एवं डीजल इंधनोंका पर्याय ढूंढने हेतु किए गए संशोधनके संदर्भमें ‘एरिक एंड शिला सैमसन’ नामक ६ करोड ३० लाख रुपयोंका पुरस्कार देकर सम्मान किया । यह पुरस्कार इस्राईलके प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतान्याहूके शुभहाथों दिया गया । विशेषतः इस पुरस्कारका यह प्रथम वर्ष है ।
मूलतः बेंगलुरूमें स्थित सूर्यप्रकाश वर्तमानमें अमेरिकाके यू.एस.सी. लोकर हायड्रोकार्बन रिसर्च इन्स्टिट्यूटके संचालक हैं । सुपर एसिड, हायड्रोकार्बन, सिंथेटिक ऑरगैनिक लैम्प,ऊर्जा क्षेत्रके इन विषयोंपर उन्होंने महत्त्वपूर्ण संशोधन किया है । उन्होंने अपने संशोधनसे सिद्ध किया है कि पेट्रोल एवं डीजलकी अपेक्षा पर्यायी इंधनके रूपमें कोयलेपर आधारित मिथेनका उपयोग कर सकते हैं । सूर्यप्रकाश लिखित ‘बियोंड ऑइल एंड गैस, मिथेनॉल इकॉनॉमी’ पुस्तकोंका भारतीय भाषाओंसे भी पूर्व चीनी भाषामें अनुवाद
हुआ है । (चीनकी सतर्कता एवं सावधानी ! क्या भारतमें कभी ऐसा होगा ? – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात )
विशेषतः ऊर्जाक्षेत्रमें सूर्यप्रकाशके कार्यपर भारत सरकारने अबतक साधारण स्तरपर भी ध्यान नहीं दिया है ।
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात