माघ शुक्ल पक्ष त्रयोदशी, कलियुग वर्ष ५११६
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मुंबई : कर्करोग से पीडित पूजनीय साध्वी प्रज्ञासिंह ठाकुर को कारागृह से उपचार हेतु घर छोडने के संदर्भ में हिन्दू जनजागृति समिति द्वारा यहांके जनपदाधिकारी श्रीमती शैला ए. को निवेदन प्रस्तुत किया गया । उस समय समिति के डॉ. उदय धुरी, श्री. कार्तिक साळुंखे, श्री. रंगनाथ खोत तथा श्रीमती विद्या कामेरकर उपस्थित थीं ।
उस निवेदन में यह प्रस्तुत किया है कि मालेगांव के कथित बमविस्फोट के संदर्भ में साध्वी प्रज्ञासिंह ठाकुर को महाराष्ट्र के आतंकवादविरोधी पथक ने छह वर्ष पूर्व बंदी बनाया था । वह साध्वी हैं । साथ ही उन्होंने जनसेवा तथा राष्ट्र-धर्म की सेवा के लिए सर्व सुख-सुविधाओं का त्याग कर स्वयं को ईश्वरीय कार्य के लिए समर्पित कर दिया है । उन्हें किसी भी वस्तु का मोह नहीं या किसी के प्रति द्वेष भावना नहीं । सर्वसंगपरित्याग करनेवाली तथा भगवे वस्त्र परिधान करनेवाली एक महिला संन्यासी पर आतंकवादी कृत्य करने का आरोप लगाना, यह एक हिन्दू के लिए अत्यंत क्लेशदायी तथा संतापजनक बात है । गत छह वर्षों से अधिक कालावधि से कारागृह में होते हुए भी शासकीय तंत्र के लिए उन पर लगाए गए आरोप सिद्ध करना संभव नहीं हो पाया है । यदि शासन की ओर से त्वरित न्याय प्राप्त होता, तो शीघ्र ही न्यायालय में यह परिवाद चला कर निर्णय लिया गया होता; किंतु ऐसा नहीं हुआ । वह आज भी कारागृह में बंदी हैं । किसी के साथ शत्रुता न रखनेवाली इस महिला साध्वी पर कारागृह में अन्य बंदियों ने भी प्राणघातक (जानलेवा) आक्रमण किए । उस समय उन्हें बडी चोट भी पहुंची थी । साथ ही अभी वह दुर्धर कर्क व्याधि से पीडित हैं, उनकी प्रकृति चिंताजनक है ।
संजय दत्त के समान अपराध सिद्ध अपराधी को केवल वह अभिनेता है तथा उसका व्यक्तित्व महान है; इसलिए निरंतर घर छोड दिया जाता है । इससे उसकी ओर अधिक ध्यान दिया जाता है, यह बात सर्वश्रुत ही है । मानवता की दृष्टि से फांसी का दंड प्राप्त आरोपी का भी दंड न्यून किया जाता है ।
शासन से हमारी यह विनती है कि इन सभी बातों पर मानवता की दृष्टि तथा सहानुभूतिपूर्वक विचार कर उन्हें उपचार हेतु त्वरित कारागृह से घर छोडने की कृपा करे ।
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात