माघ पौर्णिमा, कलियुग वर्ष ५११६
हिन्दू जनजागृति समिति द्वारा प्रविष्ट की गई याचिका का परिणाम
नाशिक (महाराष्ट्र) : तहसीलदार राठोड ने बताया कि ‘सिंहस्थ पर्व’ हिन्दू धर्म के सहस्रों वर्षोंकी परंपरावाला एक महत्त्वपूर्ण एवं सांस्कृतिक उत्तराधिकार है। हिमालय में, साथ ही पूरे देश के विभिन्न अरण्यों (वनों) तथा तीर्थक्षेत्रोंमें तपसाधना करनेवाले अनेक साधुसंत इस समय एकत्रित आते हैं। नाशिक में प्रत्येक १२ वर्षोंके पश्चात आनेवाले इस सिंहस्थ पर्व की कालावधि कुछ मासोंपर आयी है ।
ऐसा होते हुए भी शासन ने इस पर्व की सिद्धता के विषय में उदासीनता प्रदर्शित की है; इसलिए हिन्दू जनजागृति समिति ने मुंबई उच्च न्यायालय में याचिका प्रविष्ट की थी। इस याचिका के कारण उच्च न्यायालयद्वारा फटकारा गया शासन अब जागृत हुआ है तथा सिंहस्थ पर्व की सिद्धता आरंभ की गई है ।
साधुग्राम हेतु प्रबंध करने की प्राथमिक सुविधाओंसे पूर्व साधुग्राम के लिए भूमि अधिग्रहित करना अपेक्षित होता है; किंतु शासन उसका कार्य धीमी गति से कर रहा है । समिति की याचिका के कारण साधुग्राम हेतु भूमि अधिग्रहित करने की प्रक्रिया आरंभ कर दी गई है । साधुग्राम हेतु १०२ किसानों की १४५ एकड भूमि के अधिग्रहण का कार्य आरंभ हुआ है । यह भूमि त्वरित नाशिक महानगरपालिका को हस्तांतरित की जाएगी । उर्वरित ९१ किसानोंकी १२४ एकड भूमि के संदर्भ में तकनीकी बाधा के कारण अभी तक यह प्रक्रिया आरंभ नहीं हुई है; किंतु शीघ्रातिशीघ्र यह प्रक्रिया आरंभ कर आवश्यक भूमि त्वरित अधिग्रहित की जाएगी । (संदर्भ : दैनिक दिव्य मराठी)
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात