मिझोरममें संजोया गया विघटनवाद !

        भारतका ईशान (उत्तर-पूर्व) भाग देशसे विभक्त होनेके समाचार कई बार प्रसारित हुए हैं । ईशानका मिझोरम राज्य देशसे विभक्त होना संभव है, ऐसी कौनसी नीतियोंका अवलंब वहां हो रहा है, इस विषयमें संक्षिप्त जानकारी यहां दे रहे हैं ।

सारणी


१. जो मिझोरमके निवासी नहीं हैं, ऐसे भारतियोंको अचल संपत्ति खरीदनेके लिए प्रतिबंध !

 

        यहांकी आदिवासी संस्कृति संजोए रखनेके नामपर अन्य भारतियोंको अचल संपत्ति खरीदने अथवा व्यापार करनेके लिए कानूनन प्रतिबंध लगाया गया है । संपत्ति हस्तांतरण कानून (Transfer of Property Act) यहां लागू नहीं है । इसलिए अन्य भारतीय यहां दीर्घकालीन विनियोजन नहीं कर सकते ।

 

२. बिना अनुज्ञप्ति विदेशियोंको प्रवेश देनेवाला; परंतु भारतियोंको अनुज्ञप्ति (परवाना) अनिवार्य करनेवाला भारतका विभाग !

        अन्य भारतीय यहां बिना अनुज्ञप्ति (Inner Line Permit) नहीं आ सकते । केवल यात्रियोंके रूपमें आनेके लिए भी अनुज्ञप्ति निकालनी पडती है । यह अनुज्ञप्ति मर्यादित अवधिके लिए ही (केवल १५ दिनोंके लिए ही) मिलती है । बिना अनुज्ञप्तिके  रहनेवाले लोगोंपर पुलिस निरंतर कार्रवाई करती है ।(झारखंड, असम इत्यादि राज्योंसे मजदूरी करने हेतु आनेवाले निर्धन लोगोंको इसका कष्ट निरंतर सहना पडता है ।) विशेष बात यह है कि, पहले इस प्रकारकी अनुज्ञप्ति (Restricted Area & Permitt) विदेशी यात्रियोंके लिए भी अनिवार्य थी; परंतु १ जनवरी २०११ से यह अनुज्ञप्ति केंद्रशासनद्वारा निरस्त की गई है । अतः मिझोरममें विदेशी नागरिक अब बिनाअनुज्ञप्तिके ही आ सकते हैं; परंतु अन्य भारतीय (शासकीय चाकर एवं उनके परिवारोंको छोडकर) अपने ही देशके एक राज्यमें बिनाअनुज्ञप्तिके नहीं आ सकते ।

 

३. स्वतंत्रतादिन एवं प्रजासत्ताकदिन सार्वत्रिक रूपसे मनाया न जानेवाला प्रदेश !

        १५ अगस्त अथवा २६ जनवरीका झंडावंदनका केवल शासकीय कार्यक्रम होता है । उसमें राज्यपाल एवं मुख्यमंत्री सहभागी होते हैं । अन्य स्थानोंपर कहीं भी यह कार्यक्रम नहीं होता । इससे राष्ट्रप्रेमकी भावना वहांके स्थानीय नागरिकोंमें दिखाई नहीं देती है ।

 

४. चर्चके विरोधके कारण रेलसुविधाका अभाव !

        सीमावर्ती राज्य होनेके कारण मिझोरममें रेलका महत्त्व अधिक है; परंतु असम राज्यकी सीमाकी ओरसे मिझोरममें रेलकी सुविधा केवल डेढ कि.मी. इतनी ही है । केंद्रशासन पिछले अनेक वर्षोंसे वहां रेल प्रकल्प करनेका प्रयास कर रहा है । रेलके सर्वेक्षणके लिए केंद्रशासनने अनुमति भी दी है; परंतु रेलसुविधा होनेसे बाहरके लोग आएंगे, इसलिए स्थानीय लोगोंका (विशेष रुपसे चर्चका) इस रेल प्रकल्पके लिए विरोध है । इस विषयमें वक्तव्य करते हुए ‘आदिवासी संस्कृति दूषित होगी’, यह कारण चर्चकी ओरसे बताया जाता है ।

 

५. चर्चद्वारा उन्नत्तिकारक पर्यटनको प्रोत्साहन देनेके लिए प्रतिरोध !

        मिझोरममें प्राकृतिक सौंदर्य प्रचुर मात्रामें होनेके कारण पर्यटनका विकास अच्छा हो सकता है । पर्यटनको बढावा देनेसे अनेक स्थानीय लोगोंको जीविका प्राप्त हो सकती है, उसी प्रकार इससे राज्यकी आर्थिक परिस्थितिमें भी सुधार आ सकता है; परंतु बाहरके लोग आएंगे, इसलिए स्थानीय लोगोंका (विशेष रुपसे चर्चका) पर्यटनको प्रोत्साहन देनेके लिए प्रतिरोध है ।

– श्रीमती संगीता घोळे, आयझॉल, मिझोरम

Leave a Comment

Notice : The source URLs cited in the news/article might be only valid on the date the news/article was published. Most of them may become invalid from a day to a few months later. When a URL fails to work, you may go to the top level of the sources website and search for the news/article.

Disclaimer : The news/article published are collected from various sources and responsibility of news/article lies solely on the source itself. Hindu Janajagruti Samiti (HJS) or its website is not in anyway connected nor it is responsible for the news/article content presented here. ​Opinions expressed in this article are the authors personal opinions. Information, facts or opinions shared by the Author do not reflect the views of HJS and HJS is not responsible or liable for the same. The Author is responsible for accuracy, completeness, suitability and validity of any information in this article. ​