फाल्गुत कृष्ण पक्ष प्रतिपदा, कलियुग वर्ष ५११६
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राजस्थान सरकार का प्रशंसनीय निर्णय !
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राष्ट्रपुरुषोंका इतिहास पढाने से विद्यार्थीयोंमें राष्ट्र के प्रति अभिमान निर्माण होगा
जयपुर – राज्य के सरकारी महाविद्यालयों के विद्यार्थी अब शहीद भगत सिंह की जेल डायरी को अपने कॉलेज की लाइब्रेरी में ही पढ़ सकेंगे।
इसके लिए कॉलेज शिक्षा आयुक्तालय ने प्रदेश के सभी राजकीय महाविद्यालयों को भगत सिंह की जेल डायरी खरीदने के निर्देश दिए हैं।
इन निर्देशों में मोहाली (पंजाब) निवासी लेखक अभय सिंह संधु लिखित “जेल डायरी ऑफ शहीद-ए-आजम भगत सिंह” को खरीदने के लिए कहा गया है।
आयुक्तालय के अनुसार राज्य सरकार ने युवाओं को शहीद भगत सिंह के जीवन और आजादी के आंदोलन में उनके योगदान की जानकारी देने के लिए यह पहल की है। इसका मकसद युवाओं में देशप्रेम को बढ़ावा देना और भगत सिंह के जीवन दर्शन से रू-ब-रू करवाना है।
गौरतलब है कि देश और प्रदेश में सरकार बदलने के साथ ही राज्य के सरकारी कॉलेजों में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की बाल पत्रिका “देवपुत्र” खरीदने के निर्देश जारी किए गए थे।
अभय के ताऊ हैं भगत
भगत सिंह के छोटे भाई कुलबीर सिंह के बेटे हैं अभय सिंह संधू। दिल्ली यूनिवर्सिटी से स्नातक अभय पीपुल्स पार्टी ऑफ पंजाब से भी जुड़े रहे हैं। अभय का मानना है कि भगत सिंह सिर्फ अंग्रेजी हुकूमत के ही खिलाफ नहीं थे, बल्कि उनकी लड़ाई तानाशाही के खिलाफ थी। किसी भी सरकार ने उनकी सही इमेज जनता के बीच पेश नहीं की थी, इसलिए जेल डायरी को जनता के बीच लाया गया।
यह है जेल डायरी
स्वाधीनता आंदोलन के दौरान भगत सिंह वर्ष १९२९ में जेल में थे। उस समय जेल में पढ़ने और कुछ भी लिखने पर प्रतिबंध था। भगत सिंह ने इसका विरोध किया, जिसपर जेल के दूसरे कै दी भी उनके समर्थन में आ गए। जेल के सभी बंदियों ने इस प्रतिबंध के खिलाफ भूख हड़ताल कर दी। इसके बाद १२ सितंबर १९२९ को हड़ताली बंदियों और विशेष जेल कमेटी के बीच सहमति हुई, इसके बाद भगत सिंह को लिखने और पढ़ने की अनुमति मिली। इस दौरान उन्होंने जेल डायरी लिखी थी। ४०४ पेज की डायरी में दो पेज खाली हैं और भगत सिंह ने इसमें २ जगह हस्ताक्षर किए थे, दो पन्नों पर उनके इनिशियल हैं।
स्त्रोत : राजस्थान पत्रिका