मार्गशीर्ष कृष्ण ३ , कलियुग वर्ष ५११५
‘हिंदू राष्ट्र’ में भारतके गौरवशाली इतिहासके महान विभूतियोंकी सीख स्वीकारी जाएगी !
ठाणे : प्रसिद्ध खगोल अभ्यासक दा.कृ. सोमणने अपनी मनोवेदना व्यक्त करते हुए कहा कि १२ वें शतकके प्रख्यात गणितज्ञ भास्कराचार्यका ९०० वां जयंति वर्ष २०१४ में आरंभ होगा । सरकारको भास्करीय त्रिकोनमिति, पायथागोरसका सिद्धांत, परिघ व्यासका सूत्र अनंत कल्पना तथा शून्य आदि संकल्पनाओंको प्रस्तुत करनेवाले तथा ‘सिद्धांत शिरोमनी’ महान ग्रंथ लिखनेवाले भास्कराचार्यका विस्मरण हो गया है । गणितमें योगदान देनेवाले गणितज्ञके स्मृतिके उपलक्ष्यमें आजतक कोई स्मृति संजोकर नहीं रखी गई । ( भास्कराचार्यकी कोई स्मृति संजोकर न रखना तथाकथित निरपेक्ष सरकारकी हिंदुओंके राष्ट्रपुरुषोंके प्रति उदासीनता है । भारतके गौरवशाली इतिहाससे अनभिज्ञ राजनेता भारतको समृद्ध राष्ट्र नहीं बना सकेंगे – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात )
सरकारको भले ही विस्मरण हो गया हो, परंतु खगोल अभ्यासकोंने भास्कराचार्यकी ९०० वीं जयंतिके वर्षके निमित्त उनकी स्मृतियोंको संजोनेका निर्णय लिया है । वर्तमान पीढिको भास्करचार्यका कार्य ज्ञात होने हेतु संपूर्णूरा वर्ष विविध उपक्रम चलाए जाएंगे । जलगांव जनपदमें चालिसगांवके भास्कराचार्यका जन्मस्थल ‘पाटन’ के समीप १८ एवं १९ जनवरीको खगोलशास्त्रीय सम्मेलन आयोजित किया जाएगा । ( भास्कराचार्यके जयंति वर्षके निमित्त उनकी स्मृतियोंको संजोनेवाले खगोल अभ्यासकोंका अभिनंदन ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात )
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात