फाल्गुन कृष्ण पक्ष द्वितीया, कलियुग वर्ष ५११६
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शिवसेना ने किए विरोध के बाद भी पुणे में सभा के लिए प्राप्त हुर्इ अनुमती !
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यह बात संतापजनक है कि, हिन्दुओं के वैध मार्ग से आयोजित आंदोलन की अनुमति अस्वीकार करनेवाली पुलिस धर्मांध नेताओं की सभा को सहजता से अनुमति देती है ! अतः इस स्थिति में परिवर्तन लाने हेतु हिन्दू राष्ट्र अनिवार्य है !
मुबंई: हिंदू विरोधी बयानों के लिए विवादों में रहने वाले एमआईएम के सांसद असदुद्दीन ओवैसी की पुणे में आयोजित सभा के खिलाफ शिवसेना का उग्र रवैया देखते हुए ओवैसी ने अपने भाषण में हिंदू विरोधी एक भी शब्द भी नहीं कहा। अपने पूरे भाषण में उन्होंने मुसलमानों की खराब हालत को लेकर सरकार, पुलिस और न्यायिक व्यवस्था को दोषी ठहराया।
ओवैसी ने कहा, ‘महाराष्ट्र में मुसलमानों की जनसंख्या ११ प्रतिशत है। इनमें से ७० प्रतिशत लोग गरीबी रेखा के नीचे हैं। इसलिए मुसलमानों को आरक्षण मिलना ही चाहिए।’ ओवैसी पुणे की दो मुस्लिम संस्थाओं मूल निवासी मंच और ऐक्शन फॉर महाराष्ट्र के एक कार्यक्रम में बोल रहे थे।
ओवैसी ने कहा, ‘प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तरह लंदन में बने सूट पहनने की हमारी हैसियत नहीं है। देश भर में मुसलमानों की हालत खराब है। हम भी चाहते हैं कि हमारे बच्चे डॉक्टर, इंजिनियर, आईएएस और आईपीएस बनें। इसके लिए उन्हें आरक्षण की जरूरत है।’ ओवैसी ने कहा कि प्रधानमंत्री का नारा है ‘सबका साथ सबका विकास’। राजनीतिक दृष्टि से तो हम कभी आपके साथ नहीं होंगे, लेकिन सबका विकास आपको करना ही होगा।
अमित शाह को क्लीन चीट कैसे मिली?
ओवैसी ने अपने भाषण में सीधे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को टारगेट करते हुए सवाल किया, ‘प्रधानमंत्री के मित्र अमित शाह को सोहराबुद्दीन केस में क्लीन चिट कैसे मिली? उनके मुकदमे का फैसला इतनी जल्दी कैसे आ गया, जबकि सैकड़ों मुस्लिम युवक जेलों में सड़ रहे हैं? अगर उनके खिलाफ सबूत नहीं हैं, तो उन्हें भी बरी किया जाना चाहिए।’ उन्होंने संजय दत्त को जेल में मिल रहे वीआईपी ट्रीटमेंट पर भी सवाल उठाया।
शिवसेना ने किया विरोध
ओवैसी की सभा का शिवसेना ने विरोध किया था। इसलिए पुणे पुलिस ने ओवैसी को खुली जगह में सभा करने की अनुमति नहीं दी थी। इसके बाद आयोजकों को पुणे के कैसरबाग इलाके में एक बंद हॉल में सभा की अनुमति दी गई। वहां भी शिवसैनिकों के विरोध की आशंका को देखते हुए बड़े पैमाने पर पुलिस बंदोबस्त किया गया था। शहर में कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए पुणे और आसपास के इलाकों से बड़ी संख्या में शिवसैनिकों को हिरासत में ले रखा था।
स्त्रोत: नवभारत टाईम्स