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यदि प्रसिद्धिमाध्यमोंने समाचारोंको उचित पद्धतिसे प्रसारित किया, तो एक माहमें देशकी स्थितिमें

मार्गशीर्ष कृष्ण ३, कलियुग वर्ष ५११५

पुरी पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य निश्चलानंद सरस्वती महाराजद्वारा पत्रकारोंका आवाहन !


हिंदू राष्ट्र कैसा होगा, इस विषयमें  जगद्गुरु शंकराचार्य श्री निश्चलानंद सरस्वतीजी महाराजकी संकल्पना !

सुसंस्कृत, सुशिक्षित, सुरक्षित, संपन्न, सेवापरायण एवं स्वस्थ समाजकी संरचना विश्वस्तरपर घोषित करना तथा उसे मानवाधिकारोंकी सीमामें सुरक्षित करना यही ‘हिंदू राष्ट्र’ की संकल्पना है ।

देवद (पनवेल) – यहांके सनातन आश्रममें संपादक एवं पत्रकारोंके लिए  आयोजित वार्तालापमें पूर्वाम्नाय, गोवर्धनमठ, पुरी पिठाधीश्वर, श्रीमद् जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वतीजी महाराजने अपना स्पष्ट मत व्यक्त करते हुए कहा, ‘एक राष्ट्र एवं धर्मके संदर्भमें घटना हुई, तो प्रश्न उपस्थित होता है कि शंकराचार्य क्या करेंगे ? कुछ हुआ, तो कृत्य करना क्या केवल शंकराचार्य अथवा धर्मगुरुका दायित्व है ? आप इस संदर्भमें क्या करेंगे ? स्वयंको केवल तटस्थ भूमिकामें न रखे । आप भी हिंदू ही हो । एक ‘हिंदू’ के रूपमें आप क्या करेंगे, इसका भी विचार करें । यदि प्रसिद्धिमाध्यमोंने एक माह भीr योग्य पद्धतिसे विषयोंको प्रसारित किया, तोr एक माहमें ही देशकी स्थितिमें परिवर्तन होगा ।’‘

इस अवसरपर पत्रकारोंने भी हिंदू समाज तथा राष्ट्र एवं धर्मके संदर्भमें अनेक प्रश्न पूछकर इस विषयके संदर्भमें जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंदसरस्वती महाराजके मत जान लिए । शंकराचार्यने अपने मार्गदर्शनमें स्पष्ट रूपसे कहा कि राष्ट्र एवं धर्मकी हानिके लिए दिशाहीन सरकार ही उत्तरदायी है । इस वार्तालापमें विविध समाचारप्रणाल एवं समाचारपत्रोंके ३२ से अधिक पत्रकार सम्मिलित हुए थे ।

भारतमें हिंदू बहुसंख्यक होते हुए भी भारतमें ‘हिंदू राष्ट्र’ क्यों नहीं स्थापित होता ? इस प्रश्नका उत्तर देते समय जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंदसरस्वती महाराजने आगे कहा कि हिंदुओंको हिंदुत्वके प्रति आस्था न रहनेके कारण ही आज विश्वमें एक भी ‘हिंदू राष्ट्र’ नहीं है । हिंदुओंके धर्मविषयक कृत्य एवं कुलाचारसे ही आज देश टिका हुआ है । यदि हिंदुओंने धर्माचरण एवं कुलाचारका पालन करना छोड दिया, तो देशमें ही नहीं, अपितु विश्वमें कुछ भी शेष नहीं रहेगा । हिंदुओंको दुर्बल न समझें । हिंदू दुर्बल नहीं हैं, उदार हैं ; परंतु भगवान श्रीकृष्णने भी कहा ही है कि जो उदारता अपने अस्तित्वको ही दुर्बल बनाती है, वह क्षुद्र एवं तिरस्करणीय है । आज हिंदू दिशाहीन हैं । अतः सरकारने भारतको खोखला बना दिया है । श्रीकृष्णने दिशाहीन कंसका वध किया था । आर्य चाणक्यने भी चंद्रगुप्तके माध्यमसे दिशाहीन राजनेताओंको सत्ताच्युत किया था । ऐसा करनेमें कुछ समय लगा था । उसीप्रकार अभी कुछ समय प्रतीक्षा करनी होगी । अतः ‘हिंदू राष्ट्र’ स्थापित करते समय हमारा मनोबल कभी नहीं टूटेगा ।

प्रसारमाध्यम  एवं सरकारद्वारा चलाई जानेवाली घिनौनी घटनाओंसे अंतर्राष्ट्रीय स्तरपर भारतका नाम अपकीर्त हो रहा है !

प.पू. आसारामबापूजीपर लगाए गए आरोपोंके संदर्भमें एक प्रश्नका उत्तर देते समय जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वतीजी महाराजने कहा कि हमें न्यायालयके  निर्णयकी  प्रतीक्षा करनी चाहिए । न्यायालयका परिणाम आनेसे पूर्व इस बातपर ध्यान देना चाहिए कि न्यायके नामपर किसीपर अन्याय तो नहीं हो रहा है ।  प्रसारमाध्यमोंको चाहिए कि विरोध करते समय वे इतना भी विरोध न करें कि किसीपर लगाया गया आरोप सिद्ध होनेसे पूर्व ही उसे अपराधी समझ लिया जाए । यदि भविष्यमें अपराधी व्यक्ति निर्दोष सिद्ध हुआ, तो उसकी हुई हानिकी पूर्ति कभी नहीं होगी । इन सभी घटनाओंके कारण केवल एक व्यक्तिकी नहीं, अपितु अंतर्राष्ट्रीय स्तरपर संपूर्ण राष्ट्रकी मानहानि हो रही है । राष्ट्रकी अपकीर्ति हो रही है । इन सभी घटनाओंके लिए दिशाहीन सरकार ही उत्तरदायी है । सर्वप्रथम सभी लोगोंके लिए परंपरागत संतोंको जानना  आवश्यक है । प्रसारमाध्यमोंको सत्यके पक्षमें रहना चाहिए । सबको इस बातका ध्यान रखना चाहिए कि स्वच्छ चारित्र्यके संतोंको बिना कारण दोष न दें । स्वच्छ चारित्र्यके संत सूर्य तथा वायुसमान होते हैं । अन्योंद्वारा लगाए गए आरोपोंके कारण उनपर कोई परिणाम नहीं होता । इसके विपरीत आरोप लगानेवाले लोग ही मुंहके बल गिरते हैं ।

चाहे कितना भी  विरोध क्यों न हो, तो भी  धर्मके लिए  प्राणकी बाजी लगाकर लडनेकी सिद्धता होनी चाहिए !

एक पत्रकारने अपना मत व्यक्त करते हुए कहा कि धर्मके लिए कार्य करनेकी सिद्धता है; परंतु जहां कार्य करता हूं, वहांकी व्यवस्थाके कारण  हमपर बंधन आते हैं एवं हम कुछ नहीं कर पाते । इसपर शंकराचार्यने कहा कि आप कार्य न करनेके संदर्भमें आपकी अपनी लाचारी बता रहे हैं । हमारा गोवर्धनमठ भी सरकारके दो कानूनोंके अंतर्गत है, जिसके कारण हमपर भी सरकारका ही नियंत्रण  है । तो भी यह नियंत्रण संस्थापर होता है, व्यक्तिपर नहीं । अतः मैं कोई चिंता किए बिना धर्मके लिए कार्य कर सकता हूं, तो आप क्यों नहीं कर सकते ? आपके समान मैं भी मेरी लाचारी बता सकता हूं । तटस्थ भूमिका ले सकता हूं । ऐसी स्थितिमें धर्मका विचार कौन करेगा ? धर्मके लिए प्रत्येक व्यक्तिको मैं नहीं तो कौन तथा  आज नहीं, तो फिर कब ? इस प्रकारकी भूमिका अपनानी चाहिए । यह ध्यानमें रखें कि लाचारीमें भी क्रांति हो सकती है ।

 

सनातन संस्थाके साथ विचार विमर्श कर  एकत्रित कार्य करेंगे! – जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंदसरस्वतीजी महाराज

पत्रकार परिषदमें जीr न्यूज समाचार प्रणालके वार्ताकारने सनातन संस्थाके संदर्भमें प्रश्न किया कि आप सनातन संस्थाके  संदर्भमें क्या बताएंगे ? इसपर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंदसरस्वतीजी महाराजने कहा कि सनातन संस्थाके साधक १५ वर्षोंसे अत्यधिक अच्छा कार्य कर रहे हैं । साधक शीलवान हैं । यह सब देखकर इस संस्थाके मार्गदर्शकसे मिलनेकीr इच्छा थी, जिसका योग अभी आया । सनातन संस्थाने कार्यक्रमका नियोजन शंकराचार्य पदके अनुरूप किया है । हम गोवा जानेवाले हैं । वहां संस्थाके मार्गदर्शकसे भेंट होगी । वहां सब जान लेंगे । विचारोंका देन-लेन होगा एवं विचार विमर्श कर भविष्यमें इस संस्थाके साथ मिलकर कार्य करेंगे ।

स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात

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