मार्गशीर्ष कृष्ण ३, कलियुग वर्ष ५११५
देवद – १९ नवंबरको सवेरे ७ बजे पूर्वाम्नाय गोवर्धनमठ, पुरी पिठाधीश्वर श्रीमद् जगद्गुरु शंकराचार्य श्री निश्चलानंदसरस्वतीजी महाराजका देवदके (पनवेलके) आश्रममें शुभागमन हुआ । तदुपरांत सनातनके संत, हाथोंमें आरती एवं कलश धारण की हुई सुहागीन स्त्रियां एवं सनातनके अन्य साधकोंने अनन्य शरणागतभावसे उनका स्वागत किया । इस अवसरपर शंकराचार्यजीके साथ उनके निज सचिव स्वामी निर्विकल्पानंद सरस्वती तथा पुरी पीठ परिषदके उपाध्यक्ष आचार्य पंडित जम्मनशास्त्रीजीके साथ अन्य शिष्योंका भी आश्रममें आगमन हुआ है । हिंदुओंके सर्वोच्च धर्मगुरु, ज्ञानी एवं क्षात्रतेजसंपन्न शंकराचार्यजीके चरणस्पर्शका लाभ मिलनेसे सनातन आश्रम पावन हो गया । शंकराचार्यजीका दर्शन होनेसे साधक भी धन्य हो गए ।
सनातनके पू. राजेंद्र शिंदेजीने जगद्गुरु शंकराचार्यजी महाराज एवं अन्य मान्यवरोंका स्वागत किया । पनवेलके प्रसिद्ध नेत्ररोग तज्ञ एवं लक्ष्मी चैरिटेबल ट्रस्टके संस्थापक आधुनिक वैद्य सुहास हलदीपुरकरने जगद्गुरु शंकराचार्य महाराजको पुष्पहार अर्पण किया एवं सनातनकी साधिका श्रीमती अर्पिता पाठक एवं श्रीमती तनुजा गाडगीळने उनका औक्षण किया । आश्रमके बाहर शंकराचार्यजीके स्वागतके लिए फ्लेक्स फलक लगाया गया था, जिसपर सुवाच्य अक्षरोंमें लिखा था, ‘आश्रमके साधकोंद्वारा शंकराचार्यजीको कोटी-कोटी प्रणाम !’ जगद्गुरु शंकराचार्यजी महाराजको फल अर्पण करनेके पश्चात उन्होंने वे फल सबको प्रसादके रूपमें बांट देनेके लिए कहा ।
आश्रममें आध्यात्मिक दीपावली !
आज वास्तवमें साधकोंने ‘साधू-संत जब घरपर आए, तभी दीपावली दशहरा मनाए ।, इस संतवचनका अनुभव किया । जगद्गुुरु शंकराचार्य महाराजके आगमनके निमित्त सनातन आश्रमका परिसर दीयोंसे प्रकाशमान हो गया था । १९ नवंबरके सवेरेसे ही सब साधकोंकी शंकराचार्यजीके स्वागतके लिए हलचल चल रही थी । सभी साधकोंने पारंपरिक पोशाख परिधान किया था । आश्रममें लगाए गई शहनाई एवं नगाडेके मंद सूर वातावरणमें उत्साहके रंग भर रहे थे ।
विशेष
१. जगद्गुरु शंकराचार्य महाराजके स्वागत समारोहके लिए सनातनके संत प.पू. परशराम पांडे महाराज, पू. राजेंद्र शिंदे, पू. पद्माकर होनप, पू. महादेव नकाते, पू. सुदामराव शेंडे, पू. सदाशिव (भाऊ) परब, पू. रमेश गडकरी एवं पू. (श्रीमती) अंजली गाडगीळ आदि संत उपस्थित थे ।
२. इस अवसरपर संत एवं साधकोंने श्रीमद् जगत्गुरु शंकराचार्य श्री निश्चलानंद सरस्वतीजी महाराजद्वारा अपने साथ लाए आद्य शंकराचार्यजीके पादुकाओंका दर्शन किया । दर्शन करते समय अनेक साधकोंकी भाव जागृति हुई ।
मैं यहां आकर प्रसन्न हो गया ! – स्वामी निर्विकल्पानंद सरस्वतीजी महाराज
श्रीमद् जगद्गुरु शंकराचार्य श्री निश्चलानंदसरस्वतीजी महाराजके निज सचिव स्वामी निर्विकल्पानंद सरस्वती महाराजने ऐसे उद्गार कहे कि सनातन आश्रममें सभी उत्तम है । यहांके साधकोंमें भाव है । यहांके साधक उपासना करनेवाले हैं । आश्रममें आनेपर मुझे अपने घरमें ही आनेके समान प्रतीत हो रहा है । मुझे यहां कोई कष्ट नहीं है । आपके गुरुदेवजीको बताएं कि यहां सब व्यवस्थित हो रहा है । आपकी सुव्यवस्थासे हम प्रसन्न हैं । अब यहांके साधकोंके भावके अनुसार ही सब हो ।
स्तोत : दैनिक सनातन प्रभात