फाल्गुन कृष्ण पक्ष द्वितीया, कलियुग वर्ष ५११६
नई देहली : देहली हाई कोर्ट में विश्व हिन्दू परिषद (वीएचपी) की याचिका के बाद राष्ट्रीय राजधानी में मुख्य जगहों की १२३ संपत्तियां देहली वक्फ बोर्ड को सौंपे जाने की जांच केंद्र सरकार ने शुरू कर दी है। ये संपत्तियां यूपीए शासनकाल के अंतिम दिनों में आनन-फानन में देहली वक्फ बोर्ड को सौंप दी गई थीं।
जनवरी २०१४ में तत्कालीन यूपीए सरकार के शहरी विकास मंत्रालय ने १२३ संपत्तियों को डिनोटिफाई करके वक्फ बोर्ड को सौंपने का कैबिनेट नोट तैयार किया था। मार्च, २०१४ में आम चुनाव के लिए आदर्श आचार संहिता लागू होने से ठीक एक दिन पहले इन संपत्तियों को वक्फ बोर्ड को सौंप दिया गया। इन संभी संपत्तियों का १९११ से १९१५ के दौरान ब्रिटिश शासनकाल में अधिग्रहण किया गया था।
पिछले साल २२ मई को देहली हाई कोर्ट में दायर याचिका में वीएचपी ने कहा, ‘सरकार द्वारा अधिगृहीत होने और कब्जे में लिए जाने के बाद जमीन अधिग्रहण कानून की धारा ४८ के तहत इसे डिनोटिफाई या रिलीज नहीं किया जा सकता है।’
ज्यादातर डिनोटिफाई की गईं संपत्तियां कनॉट प्लेस, मथुरा रोड, लोधी रोड, मानसिंह रोड, पंडारा रोड, अशोक रोड, जनपथ, संसद भवन, करोल बाग, सदर बाजार, दरियागंज और जंगपुरा के आसपास हैं। सभी जगहों पर मस्जिदें हैं और कुछ पर दुकान और घर भी बने हुए हैं।
इन संपत्तियों में से ६१ पर जमीन एवं विकास विभाग और बाकी पर डीडीए का मालिकाना हक है। दोनों ही विभाग शहरी विकास मंत्रालय के अधीन काम करते हैं। केंद्रीय वक्फ काउंसिल की बैठक की अध्यक्षता करते हुए तत्कालनी अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री सलमान खुर्शीद ने सितंबर २०१२ में कहा था कि संपत्तियों से जुड़े विवाद जल्द सुलझा लिए जाएंगे।
हाई कोर्ट ने सरकार से इस विवाद को सुलझाने को कहा था और जनवरी २०१३ में तत्कालीन अटर्नी जनरल जी ई वाहनवती ने सरकार को सलाह देते हुए कहा था, ‘संपत्तियों को ट्रांसफर करने का प्रस्ताव कानूनी रूप से संभव नहीं है।’ इसके बाद अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय ने सेंट्रल वक्फ काउंसिल के नेतृत्व में विशेषज्ञों की समिति बना दी, जिसने संपत्तियों को ट्रांसफर करने का समर्थन किया और अटर्नी जनरल भी मान गए।
स्त्रोत : नवसंचार समाचार
WE AGREE WITH Hindu Munnani