मार्गशीर्ष कृष्ण ४, कलियुग वर्ष ५११५
संभाजी ब्रिगेडके कार्यकर्ताओंने व्यक्त किए विचार !
शिवाजी महाराजका अपमान करनेकी घटनामें समर्थ विद्या प्रसारक मंडलके पदाधिकारियोंके विरुद्ध अपराध प्रविष्ट
नगर – दासनवमीके अवसरपर यहांके श्री समर्थ विद्या प्रसारक मंडलकी ओरसे आयोजित जुलुसमें छत्रपति शिवाजी महाराज रामदासस्वामीको वंदन करते हुए दिखाए गए थे; किंतु अस्मिताके प्रतीक, शिवाजी महाराजको रामदासस्वामीका वंदन करते हुए दिखाकर एकप्रकारसे उनका अपमान ही किया है, ऐसा कहकर संभाजी ब्रिगेडके कार्यकर्ताओंने समर्थके पदाधिकारियोंके विरुद्ध पुलिस थानामें अपराध प्रविष्ट किया है । (समर्थ रामदासस्वामी छत्रपति शिवाजी महाराजके गुरुस्थानपर थे । ऐसी स्थितिमें उनकेद्वारा किए गए वंदनको अपमान कहना, ही अपमानजनक है ! वास्तवमें गुरुस्थानपर विराजमान रामदासस्वामीका वंदन करनेवाले शिवाजी महाराज सबके लिए ही आदर्श हैं ! आज हिंदू संगठित न होनेके कारण कोई भी आकर हिंदू संत तथा धर्म पर विषैले आरोप करता है । यह रोकने हेतु, हिंदुओ, अब तो संगठित हो जाओ ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात )
श्री समर्थ विद्या प्रसारक मंडलके श्री समर्थ विद्यामंदिर, सांगले गली विभागकी ओरसे आयोजित जुलुसमें छात्रोंने रामदासस्वामी, छत्रपति शिवाजी महाराज तथा मावले ऐसी वेशभूषा की थी । एक झांकीमें शिवाजी महाराज रामदासस्वामीका वंदन कर रहे हैं, ऐसा दृश्य था । इस जुलुसके संदर्भमें संभाजी ब्रिगेडके कार्यकर्ताओंने पुलिस थानामें धरना आंदोलन किया । शिवाजी महाराज तथा रामदासस्वामीकी भेंट होनेका कोई भी प्रमाण नहीं है । (दोनोंकी भेंट होनेके अनेक प्रमाण शिवकालीन संग्रहसे प्राप्त हुए हैं । ऐसी स्थितिमें, मनमें आए, वह वक्तव्य देनेवाले इतिहासद्रोही ही हैं ! – संपादक, दैनिक सनतन प्रभात ) अत: यह जुलुस आयोजित करनेवालोंके विरुद्ध अपराध प्रविष्ट करें, आंदोलनकर्ताओंने इस समय ऐसी मांग की ।
स्त्रोत : दैनिक सनतन प्रभात