मार्गशीर्ष कृष्ण ४, कलियुग वर्ष ५११५
पूर्वाम्नाय गोवर्धनमठ पुरी पीठाधीश्वर श्रीमद् जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वतीजी महाराजद्वारा किया जानेवाला हिंदू जागृतिका कार्य रोकने हेतु अन्य पंथीय धर्मांध कार्यरत हैं । जिसप्रकारसे हिंदू नेताओंकी हत्या कर उनका कार्य समाप्त किया जाता है, उसीप्रकार हिंदूद्वेषी धर्मांधोंद्वारा दो बार जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वतीजी महाराजकी भी हत्या करनेके प्रयास किए गए हैं ।
शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंदसरस्वतीजी महाराजके भोजनमें दो बार विषप्रयोग किया गया । दैवी योगसे वे इस षडयंत्रसे बच गए हैं । इस विषप्रयोगके कारण उनके दांत काले हो गए हैं तथा कंठ निरंतर सूखता रहता है । फलस्वरूप निरंतर जलप्राशन करना पडता है ।
जिसप्रकार जिहादी आतंकवादियोंकी हिटलिस्ट होती है, क्या कभी हिंदुओंकी ऐसी हिटलिस्ट रहती है ?
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात