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पाकिस्तान में भारतीय फिल्मों के प्रदर्शन पर लगी रोक

मार्गशीर्ष कृष्ण ४ , कलियुग वर्ष ५११५ 

लाहौर(पाकिस्तान) :  पाकिस्तान की एक अदालत ने मंगलवार को देशभर में भारतीय फिल्मों के प्रदर्शन पर रोक लगा दी। साथ ही उनके रिलीज के लिए कुछ शर्ते रख दी।

लाहौर हाई कोर्ट के न्यायाधीश खालिद महमूद ने एक विवादास्पद टॉक शो के होस्ट मुबशिर लुकमान की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह अंतरिम फैसला सुनाया। पूर्व फिल्म निर्माता लुकमान को भारत विरोधी रुख के लिए जाना जाता हैं। उन्होंने दावा किया कि पाकिस्तानी नियमों के तहत पूर्ण रूप से भारत में निर्मित और किसी भारतीय द्वारा प्रायोजित फिल्म को देश में नहीं दिखाया जा सकता। उन्होंने आरोप लगाया कि पाकिस्तान में भारतीय फिल्में दिखाने के लिए प्रायोजकों की पहचान बदलने के लिए फर्जी दस्तावेजों का इस्तेमाल किया जाता है। उन्होंने अपने दावे के समर्थन में एक अदालती आदेश भी पेश किया।

अदालत ने फिल्म सेंसर बोर्ड और बोर्ड ऑफ रेवेन्यू को २५ नवंबर को अगली सुनवाई तक याचिका पर जवाब देने को कहा है। अदालत ने अधिकारियों को आदेश दिया कि वह उन फिल्मों के प्रदर्शन की अनुमति न दे जिन्हें किसी पाकिस्तानी द्वारा प्रायोजित न किया गया हो। अदालत के इस फैसले से कुछ ही दिन पहले पाकिस्तान इलेक्ट्रॉनिक नियामक प्राधिकरण ने निर्धारित सीमा से ज्यादा भारतीय सामग्री दिखाने को लेकर दस मनोरंजक चैनलों पर एक करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया था।

वर्ष २००६ में पूर्व सैन्य शासक परवेज मुशर्रफ ने भारतीय फिल्मों के प्रदर्शन पर लगा प्रतिबंध हटा लिया था। जिसके बाद पाकिस्तानी बॉक्स ऑफिस पर भारतीय फिल्मों की धूम मच गई थी। लोगों ने फिर से सिनेमा घरों का रुख करना शुरू कर दिया था और पाकिस्तान के फिल्म उद्योग को आर्थिक मजबूती मिली थी।

स्त्रोत : जागरण

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