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शंकराचार्य श्री निश्चलानंदसरस्वती महाराजद्वारा धर्मसभाके माध्यमसे सानपाडा (मुंबई)में हिंदुओ

मार्गशीर्ष कृष्ण ५, कलियुग वर्ष ५११५

मुख्यमंत्री अंधश्रद्धाओंके संदर्भमें मेरे साथ विचार-विमर्श करें, तदुपरांत कानूनके संदर्भमें विचार करें ! – श्रीमद्
जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती महाराज

विशाल धर्मसभा

हिंदू जनजागृति समितिद्वारा सानपाडा, नई मुंबईके वीरगति प्राप्त बाबू गेनू सैद मैदानपर एक विशाल धर्मसभा आयोजित की गई
थी । इस धर्मसभामें मार्गदर्शन करते हुए पूर्वाम्नाय श्रीगोवर्धनमठ, पुरी पीठाधीश्वर, श्रीमद् जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती महाराजने स्पष्ट रूपसे चुनौती देते हुए कहा कि  मुख्यमंत्री तथा राजनीतिज्ञ मेरे साथ विचार-विमर्श करनेके पश्चात ही कानून बनानेका विचार करें । आज अंधश्रद्धा निर्मूलन कानून बनानेकी इच्छा रखनेवाले भौतिकतावादसे विकास करनेकी अंधश्रद्धासे स्वयं ही नष्ट हो रहे हैं । जिन्हें यथार्थ रूपसे अंधश्रद्धा दूर करनी है, वे आकर मुझसे विचार विमर्श करें । कल (२१ नवंबर ) पूरा दिन मैं इधर हूं । तत्पश्चात ही समझेंगे कि कौन  अंधश्रद्धा है ? सभामें ५ सहस्र ८०० से  अधिक हिंदू उपस्थित थे ।

धर्मसभाका विशेषतापूर्ण घटनाक्रम

  • शंकराचार्य स्वामी श्री निश्चलानंदसरस्वती महाराजका व्यासपीठपर आगमन होनेपर गुंटुरके (आंध्रप्रदेश) वेदवेदांत गुरुकुल महाविद्यालयके अध्यक्ष तथा मल्हारी ग्रुपके श्री. मल्हार अवधानी  एवं श्री.देवांग त्रिवेदीने पुष्पहार अर्पण कर शंकराचार्यजीका स्वागत किया ।

  • पीठ परिषदके उपाध्यक्ष आचार्य जम्मनशास्त्रीके मार्गदर्शनमें पितांबरी उद्योगसमूहके श्री. रवींद्र प्रभुदेसाई एवं श्रीमती वैशाली प्रभुदेसाई द्वारा आद्य शंकराचार्यजीकी पादुकाओंका परंपरागत पूजन ।

  • शंकराचार्य स्वामी श्री निश्चलानंद सरस्वती महाराजके निजी सचिव स्वामी निर्विकल्पानंदसरस्वतीद्वारा मंगलाचरण पठन

शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती महाराजने आगे कहा कि हमें अंधश्रद्धा कहनेवाले एवं भौतिकतावादको ही सर्वश्रेष्ठ माननेवाले गहरी नींदमें हैं । वे इस गहरी नींदमें ही नष्ट हो रहे हैं । पिछले दो दिनोंसे मैं यहां हूं । कहां हैं मुख्यमंत्री, राजनीतिज्ञ ? प्रत्येक   व्यक्तिकी कहीं न कहीं निश्चित रूपसे श्रद्धा होती है । ‘१’ अंक ही प्रथम क्यों ? ‘अ’ अक्षर ही पूर्वमें क्यों ? क्या इन प्रश्नोंके कोई उत्तर हैं ? इनके उत्तर नहीं हैं । इसका अर्थ आप कहीं न कहीं आस्था रखते हो ना ? सनातन वैदिक हिंदू धर्मपर आस्था रखे । आपको सभी समस्याओंपर समाधान मिलेगा । उपासनाकांड, साधना  आदि अलग कर दिए गए तो विश्वमें क्या रहेगा ? नरकमें रहनेवाले प्राणी तथा मानव सब समान ही रहेंगे । हिंदू धर्म जीवको सूर्य, अग्नि तथा इंद्रतक पहुंचानेवाला है । अर्थशास्त्र, कामशास्त्र, नीतिशास्त्र, धर्मराज्य, रामराज्य आदि देनेवाला हिंदू धर्म ही है । आज यदि किसी भी मुसलमानको पूछा गया कि आदर्श राजनीति क्या है ? तो वह कहेगा कि कुरान तथा शरीयत समान राज्य चलानेकी राजनीति उचित है । किसी ईसाईको पूछा गया, तो वह कहेगा कि बाईबल मान्य है, वही राजनीति उचित है । उनकी राजनीति केवल किसी समाजका हित देखनेवाली है । हिंदू धर्मके अनुसार मात्र ‘सर्वेत्र सुखिनः सन्तु । सर्वे सन्तु निरामयाः ?’ अर्थात सर्व सुखी हों तथा सभीको निरोग आयुष्य मिले यह राजनीति है । केवल हिंदू धर्म ही इतने व्यापक रूपमें विचार करता है ।

Puri Shankaracharya Swami Nishchalanand Saraswati Maharaj addressing to Hindus in Dharmasabha

आध्यात्मिक सामर्थ्यसे मानव जीवनको सार्थक करने हेतु ऋषिमुनियोंद्वारा बताए गए मार्गका अनुसरण करें !

अनादि कालसे ‘अविद्या’ एवं ‘काम’के कारण मनुष्य मायामें फंस गया है । जन्म होनेपर अंतमें निश्चित रूपसे मृत्यु होगी । आत्मज्ञान हुआ, तो ही मनुष्यजन्म सार्थक होगा । यह पूरी सृष्टि सनातन वैदिक आर्य हिंदू धर्मके सिद्धांतके अनुसार ही चलती है । आध्यात्मिक सामर्र्थ्यद्वारा इस मायासे मुक्त होना ही मानव जीवनकी सार्थकता है तथा इसके लिए ऋषिमुनियोंके बताए मार्गपर अगे्रसर होना चाहिए ।

धर्मसभाके आरंभमें ही शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वतीजीने धर्म एवं राष्ट्रके रक्षणार्थ इस धर्मसभाके आयोजनके संदर्भमें समाधान व्यक्त करते हुए कहा, ‘मैं ईश्वरके चरणोंमें प्रार्थना करता हूं कि इस प्रकारके अद्भुत आस्था एवं उत्साहसे भरे भव्य कार्यक्रमका आयोजन करते समय यदि संयोजनमें अनेक संगठन गुप्त अथवा प्रकट रूपमें सम्मिलित हुए हों तथा उन्होंने कुछ योगदान दिया हो, तो उनका उत्कर्ष हो ।’

झगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी श्री निश्चलानंदसरस्वती महाराजके मार्गदर्शनके विशेषतापूर्ण सूत्र !

  • हिंदुओंको दुर्बल न समझें ! यदि हमने पूर्वजोंका अभ्यास किया, तो सिद्ध होगा कि अपने पूर्वजोंके पास अत्यधिक शक्ति थी । इस शक्तिके आधारपर अन्यपंथियोंकी पराजय हो सकती है ।

  • सनातन धर्मकी रक्षाके लिए भगवान अवतार लेते हैं । परमात्मा एवं प्रकृतिमें ईश्वरकी शक्ति है । अतः प्रकृतिके विरोधमें जानेसे मानवका पूर्ण रूपसे नाश होगा ।

  • विज्ञानयुगमें भौतिक सुखोंका उपयोग केवल उपभोगके लिए किया जाता है । इसलिए भौतिक सुखमें राजनीतिका उचित समावेश नहीं हो सकता ।

  • विदेशके लोग मेरे पास आकर सांख्यिकी विज्ञानका अभ्यास करते हैं; परंतु भारतके लोगोंको उसका कोई महत्व नहीं है ।

उपस्थित मान्यवर एवं संत

राष्ट्रवादी कांग्रेसके सांसद संजीव नाईक, नई मुंबईके महापौर श्री. सागर नाईक, वारकरी संप्रदायके हितचिंतक श्री. गणपत वाफारे, शंकराचार्यस्वामी श्री निश्चलानंदसरस्वती महाराजके शिष्य श्री. के. टी. झा, भाजपा नगरसेवक श्री. प्रकाश गंगाधरे, शिवसेना उपविभागप्रमुख श्री.प्रवीण धनावडे, अंधेरीके (प.) बजरंग दल प्रमुख श्री. धर्मेश चोखाडिया, श्री. पारस राजपूत, बजरंग दलके नई मुंबई जनपदाध्यक्ष श्री. विशाल पालवे, वाशी शिवसेनाके नगरसेवक श्री. विट्ठल मोरे, दादरके जैन मंदिरके श्री. गिरीष शहा, भाजपाके नई मुंबईके प्रधान सचिव संतोष पाचलग, शिवसेनाके भूतपूर्व विभागप्रमुख दत्ताराम गुजर, पतंजली योग समितिके नथुराम तटकरे, योग वेदांत समितिके श्री. डांबरे, श्री. पुसालकर, जैन संप्रदायके श्री. मोतीलाल जैन, कलावती आई संप्रदायके श्री. प्रकाश घरत, उरनके माजी नगराध्यक्ष श्री. रमेश ठाकुर, नेरे ग्रामके भूतपूर्व सरपंच श्री. रमेश फडके, प्रतिष्ठित श्री. नरवणे, योग वेदांत समितिके कल्याण नगराध्यक्ष श्री.कुडियाल, भारत रक्षा मंचके श्री.दिलीप अलोनी, ह.भ.प. पोखरकर महाराज, बजरंग दलके ठाणे जनपद अध्यक्ष  श्री. अनिल मोरे, सवश्री हर्षल प्रभु, मोतीराम गोंधली, आशुतोष तिवारी, अधिवक्ता संतोष दूबे, आमची मुंबईके मालिक संपादक श्री.संजय सुर्वे, शिवसेना नई मुंबई उपनगरप्रमुख श्री.विजय माने, श्री श्वेतांबर जैन संघके श्री. मोतीलाल जैन, नई मुंबई बिल्डर्स एसोसिएशनके  अध्यक्ष श्री. देवांग त्रिवेदी, ह.भ.प.बापू महाराज रावकर, सनातन संस्थाके पू. महादेव नकाते तथा पू.दत्तात्रय देशपांडे

क्षणिकाएं

१.शंकराचार्यजीको महाराष्ट्रमें आमंत्रित कर उनके मार्गदर्शनका लाभ करवा देने तथा सभाके आयोजनके संदर्भमें अनेक लोगोंने हिंदू जनजागृति समितिके प्रति कृतज्ञता प्रकट की ।

२. पीठ परिषदके उपाध्यक्ष आचार्य जम्मनशास्त्रीने व्यासपीठसे कहा कि गोवा एवं पुणेकी सभाके विषयमें सार्वजनिक निमंत्रण दिया गया । सनातन उचित पद्धतिसे हमारा सम्मान करती है, अतः हम वहां जा रहे हैं ।

३. अनेक लोगोंने ‘क्या शंकराचार्यजीके मार्गदर्शनकी श्राव्यचक्रिका मिलेगी ?’ ऐसा प्रश्न पूछा ।

सानपाडा (नई मुंबई) स्थित विशाल धर्मसभामें जगदगुरु शंकराचार्य श्री निश्चलानंद सरस्वतीजी के सान्निध्यमें अनुभूत कुछ अनमोल क्षण


धर्मसभास्थलपर शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वतीजीका भावपूर्ण स्वागत करते हुए हिंदू जनजागृति समितिके कार्यकर्ता

 


धर्मसभाके आरंभमें वेदमंत्रपठन करते पुरोहित साधक

 


आद्य शंकराचार्य परंपराप्राप्त पादुकाओंका पूजन करते हुए श्री. रवींद्र प्रभुदेसाई

एवं उनकी धर्मपत्नी श्रीमती वृषाली प्रभुदेसाई तथा पुरोहित साधक श्री. श्रेयस पिसोलकर

 

 


शंकराचार्यजीको पुष्पमालार्पण करते हुए श्री. मल्हार अवधानी

 

 


व्यासपीठपर (बायींओर ) आचार्य जम्मनशास्त्रीजी, बीचमें शंकराचार्यजी ,
(दाहिनी ओर ) श्री निर्विकल्पानंद सरस्वतीजी तथा पीछे अन्य भक्त

 

जगद्गुरु शंकराचार्य श्री निश्चलानंद सरस्वतीजीकी विविध भावस्पर्शी मुद्राएं !

 


 


 
सानपाडाकी धर्मसभामें बोलते हुए वक्ता


१. आचार्य जम्मन शास्त्री, पुरी पीठ परिषदके उपाध्यक्ष


२. श्री. सुनील घनवट, हिंदू जनजागृति समितिके प्रवक्ता  


३. श्री. आनंद जाखोटिया, सनातन संस्थाके प्रवक्ता


प्रसादरूपी हार स्वीकारते हुए नई मुंबई बिल्डर्स एसोसिएशनके अध्यक्ष श्री. देवांग त्रिवेदी

स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात

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