नंदुरबार के दंगे में हिन्दुनिष्ठों को अकारण फंसाने का प्रकरण
दंगे में धर्मांधों पर नहीं, अपितु निर्दोष हिन्दुनिष्ठों पर ही कार्यवाही करने की कांग्रेस सरकार के कार्यकाल की स्थिति आज भी वैसी ही है ! मोदी सरकार इस स्थिति को परिवर्तित कर हिन्दुओं को ‘अच्छे दिन’ दर्शाएंगे, यही अपेक्षा !
नंदुरबार (महाराष्ट्र) – न्यायालय द्वारा यहां के ४ फरवरी के सांप्रदायिक दंगे के संदिग्ध अपराधियों की सुनवाई १२ फरवरी को बंद कक्ष में छायाचित्रक के समक्ष संपन्न हुई । इस अवसर पर ३३ हिन्दू एवं १९ मुसलमान अपराधियों को न्यायालयीन कोठरी एवं ७ बंदी बनाए गए ७ नए अपराधियों को तीन दिनों की पुलिस कोठरी सुनाई गई ।( ४ फरवरी को हिन्दुओं का बंद शांतिपूर्ण संपन्न होने पर धर्मांध मुसलमानों ने दंगा आरंभ किया । तब भी हिन्दू जनजागृति समिति के डॉ. नरेंद्र पाटिल के साथ निष्पाप एवं धर्माभिमानी हिन्दुओं को बंदी बनाकर १२ फरवरी तक पुलिस कोठरी में रखा गया । अब पुनः उन्हें न्यायालयीन कोठरी में रखा जाएगा । इस का अर्थ क्या इस देश में हिन्दू होना ही अपराध बन गया है ? कांग्रेस के कार्यकाल में भी हिन्दुओं पर ऐसे ही अत्याचार होते थे, इसलिए पुनः एक बार स्पष्ट हो गया है कि हिन्दुओं की स्थिति में परिवर्तन करने हेतु ‘हिन्दू राष्ट्र’ अनिवार्य है ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात )
१. धर्मांधों द्वारा किए गए दंगे में जनपद की दुकानें एवं घरों की कुल मिलाकर ७ लाख रुपयों की हानि हुई तथा ५ पुलिस अधिकारी एवं १२ पुलिस कर्मचारी घायल हो गए थे । (हिन्दुओं को अकारण कानून का डंडा दिखानेवाली पुलिस यदि धर्मांधों द्वारा मार खाएगी, तो क्या कभी हिन्दुओं को उसका दुख होगा ? – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात) पुलिसकर्मियों को ३६ घंटों की संचारबंदी लगाकर दंगाखोरों पर नियंत्रण प्राप्त करना पडा था ।
२. इस प्रकरण में पुलिस द्वारा बंदी बनाए गए लोगों में डॉ. नरेंद्र पाटिल, विश्व हिन्दू परिषद के श्री. दिलीप ढाकणे-पाटिल, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के नगर कार्यवाहक श्री. विजय कासार, बजरंग दल के अधिवक्ता श्री. राहुल गिरासे एवं अन्य हिन्दुनिष्ठ कार्यकर्ताओं का समावेश था ।
३. १२ फरवरी को पुलिस द्वारा न्यायालय में अधिक अन्वेषण के लिए संबंधित लोगों की पुलिस कोठरी बढा देने की मांग की गई । इस अवसर पर हिन्दुओं ने न्यायालय के अहाते में भीड की । यह ध्यान में लेकर न्यायाधीश द्वारा पुलिस अधिकारी, अधिवक्ता, आरोपी एवं न्यायालयीन कर्मचारी के अतिरिक्त अन्य लोगों को वहां बैठने की मनाही की गई । तत्पश्चात दोनों ही पक्षों पर सुनवाई होकर अपराधियों को न्यायालयीन कोठरी में रखने का आदेश दिया गया । ५ फरवरी के उपरांत नियंत्रण में लिए ५ से ७ अपराधियों को और तीन दिनों की पुलिस कोठरी सुनाई गई । नगर पुलिस निरीक्षक रामदास पाटिल ने कहा कि अपराधियों को अब नाशिक कारागृह ले जाया जाएगा ।
५. पालकमंत्री तथा राज्य के जलसंपदामंत्री गिरीश महाजन ने बैठक में अधिकारियों को निष्पाप हिन्दुओं पर कार्यवाही एवं इस विवाद का मूल कारण ‘टीपू सुलतान’ चौक का नामकरण करने के विषय में फटकारा; परंतु इस सुनवाई के समय पुलिस के किसी भी आचरण से उन के फटकारने का परिणाम दिखाई नहीं दिया । इसलिए हिन्दुओं में भाजपा के विरुद्ध असंतोष फैल रहा है ।
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात
९ फरवरी २०१५
नन्दुरबार दंगा : हिन्दुओंद्वारा डॉ. नरेंद्र पाटिल के साथ निर्दोष हिन्दुओंको बंदी बनाने के विषय में पालकमंत्री को परिवाद !
हिन्दुओ, केवल परिवाद कर रूके नहीं, अपितु निर्दोष लोगोंपर लगाए सभी अपराध वापस लेने तक पालकमंत्री का पृष्ठपोषण करें !
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नंदुरबार (महाराष्ट्र) : यहांके ४ फरवरी के दंगे में हिन्दू जनजागृति समिति के डॉ. नरेंद्र पाटिल का कोई भी सहभाग नहीं था, तब भी डॉ.पाटिल के साथ अन्य कुछ निर्दोष हिन्दुओंको पुलिसद्वारा बंदी बनाया गया है। उनपर हत्या का प्रयास एवं डकैती समान धाराएं लगाई गई हैं।
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इस संदर्भ में राज्य के जलसंपदामंत्री एवं जिले के पालकमंत्री श्री. गिरीश महाजन को परिवाद किए गए। परिवाद करते समय अनेक हिन्दुओंके परिजनों की भावनाएं व्यक्त हुर्इं। (आंखें भर आर्इं) अनेक हिन्दुओंने पुलिस के विरुद्ध रोष व्यक्त किया। इस समय महिलाएं भी पुलिस के कुकृत्य के विषय में उनपर टूट पडीं ।
सोनार गली, चौधरी गली तथा सातपीर हल्ला से आई हिन्दू महिलाओंने पूछा कि दंगा मचाने वाले धर्मांध हिन्दुओंके घर घर में घुसकर महिलाओंकी पिटाई कर रहे थे तथा साहित्य को तहस-नहस कर रहे थे। उन पर नियंत्रण पाने के लिए पुलिस उपस्थित नहीं थे। ऐसे अवसर पर दौडकर आए हिन्दू युवकोंके विरुद्ध ही अपराध की प्रविष्टि किस प्रकार की जाती है ? जिन्होंने पुलिस पर आक्रमण नहीं किया, लूटमार नहीं की, तहस-नहस नहीं की, उन पर डकैती सार्वजनिक संपत्ति की हानि, जानलेवा आक्रमण तथा दंगा आदि अपराध कैसे प्रविष्ट किए गए ? यह सब सुनकर श्री.महाजन ने पुलिस को फटकारा। इस अवसर पर कुछ हिन्दुओंने डॉ.नरेंद्र पाटिल के अच्छे आंदोलनोंकी जानकारी दी एवं पालकमंत्री को बताया कि उन्हें बंदी बनाना अन्यायकारी है।
तीन दिन दंगा एवं संचारबंदी के कारण स्थगित नंदुरबार नगर ६ फरवरी को सुबह १० बजे संचारबंदी के शिथिल होने पर धीरे धीरे पूर्ववत होने लगा। सुबह १० बजे समता फेरी निकाली गई। यहां का जीवन पूर्वपद पर आया है।
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात