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आध्यात्मिक सामर्थ्यद्वारा दिशाहीन शासनतंत्र (प्रणाली)तथा व्यापारतंत्रके विरुद्ध क्रांति करन

मार्गशीर्ष कृष्ण ६, कलियुग वर्ष ५११५

श्रीमद् जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वतीजी महाराजद्वारा देवद आश्रममें जिज्ञासुओंको अमूल्य मार्गदर्शन

देवद (तहसील पनवेल) – हिंदू मूलतः सामर्थ्यवान हैं; किंतु वे स्वयंको दुर्बल मानते हैं । हिंदू सामर्थ्यवान होनेके कारण ही विश्वभरमें हिंदुओंका दमन करने हेतु ईसाई तथा धर्मांध व्यूहरचना कर निरंतर प्रयास कर रहे हैं । दिशाहीन प्रशासनको हिंदूविरोधी कृत्य करनेका नशा चढ चुका है । अत: अब हिंदू अपना अध्यात्मिक सामर्थ्य जागृत कर दिशाहीन शासनतंत्र (प्रणाली) तथा व्यापारतंत्रके (प्रणाली) विरुद्ध क्रांति करने हेतु कटिबद्ध हों, पुर्वाम्नाय गोवर्धनमठ पुरी पीठाधीश्वर श्रीमद् जग्दगुरु शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वतीजी महाराजने अपने मार्गदर्शनपर ऐसा आवाहन किया । देवद (तहसील पनवेल) स्थित सनातन आश्रममें २० नवंबरको दोपहर १२ से १ की कालावधिमें हिंदुत्ववादी कार्यकर्ता, जिज्ञासु तथा साधकोंके लिए शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वतीजी महाराजके मार्गदर्शनका आयोजन किया गया था । इस अवसरपर पितांबरी उद्योग समूहके सर्वेसर्वा श्री. रवींद्र प्रभुदेसाई, खारघर स्थित जगन्नाथ सेवा ट्रस्टके आर.पी. मुदुली, देवदके प्रतिष्ठित श्री. वामनशेठ वाघमारेजीके साथ जिज्ञासु तथा साधक उपस्थित थे ।

दोपहर १२ से १ की कालावधिमें आयोजित मार्गदर्शन कार्यक्रमका वैशिष्ट्यपूर्ण घटनाक्रम

१. कार्यक्रमके आरंभमें पुरी पीठ परिषदके उपाध्यक्ष आचार्य जम्मन शास्त्रीजीने उपस्थित व्यक्तियोंका मार्गदर्शन किया ।

२. तदुपरांत जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंदसरस्वतीजी महाराज ने आसनग्रहण किया ।

३. पनवेल स्थित बांधकाम व्यावसायी श्री. संजय पोतदार तथा ओडिशा प्रशासनके प्रतिनिधि श्री. के.एन. बिस्वाल, नई मुंबई के प्रतिष्ठित श्री. नरेशकुमार सरकार ने आद्य शंकराचार्यकी परंपरागतप्राप्त दिव्य पादुकाओंको पुष्पमालार्पण किया ।

४. पुरोहितों द्वारा वेदमंत्रपठन किया गया ।

५. स्वामी निश्चलानंदसरस्वतीजी महाराजने धर्म तथा राष्ट्रके संदर्भमें शंकसमाधान कर उपस्थित व्यक्तियोंको दिशादर्शन दिया । इस समय सबके प्रगल्भ विचार सुनकर आनंद हुआ तथा शांतिका अनुभव हुआ, जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वतीजी महाराज ने ऐसे उद्गार व्यक्त किए ।

६. मार्गदर्शन कार्यक्रमके पश्चात सबने नामजप तथा प्रार्थना करते हुए पंक्तिमें आकर आद्य शंकराचार्य की परंपरागतप्राप्त पादुकाओंका दर्शन किया ।

७. आचार्य जम्मन शास्त्रीजीने सबसे ‘श्रीराम जय राम जय जय राम’ यह नामजप करवाया ।

८. श्री. रवींद्र प्रभुदेसाईजीने पितांबरी उत्पादनोंका संच शंकराचार्य जी के चरणोंमें अर्पण किया । इस अवसरपर शंकराचार्यजीने श्री. प्रभुदेसाई को गोवर्धन मठमें आनेका आमंत्रण दिया ।

९. शंकराचार्यजीका मार्गदर्शन सुननेके पश्चात हमें हिंदू होनेका सार्थ अभिमान है, ऐसी प्रतिक्रिया अनेक जिज्ञासुओंने व्यक्त की ।

जगद्गुरु शंकराचार्य जी का मार्गदर्शन तथा दर्शन प्राप्त होने हेतु अनेक जन्मोंका पुण्य आवश्यक ! – आचार्य जम्मन शास्त्री

पुरी पीठ परिषदके उपाध्यक्ष आचार्य जम्मन शास्त्रीजीने मार्गदर्शन करते हुए कहा, हिंदुओंके सार्वभौम जगद्गुरु शंकराचार्य का मार्गदर्शन तथा दर्शन प्राप्त होने हेतु अनेक जन्मोंका पुण्य आवश्यक है । सनातन संस्था तथा हिंदू जनजागृति समिति ने उत्साह एवं आस्थासे महाराष्ट्र तथा गोवामें जगद्गुरु शंकराचार्य जी के कार्यक्रमोंका आयोजन कर सबको यह अवसर उपलब्ध कराया है ।

स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात

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