फाल्गुन कृष्ण पक्ष षष्ठी, कलियुग वर्ष ५११६
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सरकार द्वारा सिंहस्थ पर्व से संबंधित कार्यों में विलंब करने का प्रकरण
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साधु-महंतों को ऐसी चेतावनी देनी पडे, यह शासन के लिए लज्जाजनक !
यदि ऐसा ही रहा, तो ‘अच्छे दिन’ कैसे आएंगे ? साधु-महंतों की मांग स्वीकार होने हेतु भाजप-शिवसेना गठबंधन सरकार तत्परता से कदम उठाए, ऐसी अपेक्षा !
त्र्यंबकेश्वर-नाशिक (महाराष्ट्र) : सिंहस्थ पर्व के नियोजित कार्योंके विषय में सरकार की विलंब नीति के कारण पीडित साधु-महंतोंने चेतावनी देते हुए कहा है कि यदि १ माह में विकासकार्योंकी स्थिति नहीं सुधारी गई तो त्र्यंबकेश्वर से निकल जाएंगे’। ७ फरवरी को यहां के नगरपालिका सभागृह में सिंहस्थ पर्व के कार्योंसे संबंधित नियोजन के विषय में संपन्न बैठक में साधु-महंतोंने सहायक मेला अधिकारी महेश पाटिल एवं अन्य अधिकारियोंके पास/समक्ष इस विषय में दुख व्यक्त किया।
इस अवसर पर अखाडा परिषद के अध्यक्ष स्वामी सागरानंद सरस्वती, महामंत्री श्री महंत हरिगिरी महाराज, निरंजनी अखाडे के श्रीमहंत नरेंद्रगिरी महाराज, जुना अखाडे के उपाध्यक्ष प्रेमगिरी महाराज इत्यादि उपस्थित थे। (महाराष्ट्र सरकार एवं त्र्यंबकेश्वर पालिका को सिंहस्थ पर्व का महत्त्व समझ में आने के लिए कितनी बार ऐसी चेतावनी देनी पडेगी ? – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात)
सभी ने ऐसा मत व्यक्त किया कि इलाहाबाद में ४ वर्षोंपरांत होने वाले कुंभपर्व का आर्थिक ढांचा (बजेट) सिद्ध हो गया है, इस पर महाराष्ट्र सरकार को ध्यान देना चाहिए। सिंहस्थ का उल्लेख ‘त्र्यंबकेश्वर नाशिक जनपथ कुंभमेला,’ इस प्रकार किया जाना चाहिए, इस बात पर भी सभी ने ध्यान केंद्रित किया। अखाडा परिषद के अध्यक्ष स्वामी सागरानंद सरस्वती ने दुख व्यक्त करते हुए कहा कि सिंहस्थ कुंभपर्व महाराष्ट्र राज्य का भाग्य है; परंतु सरकार को इस का विस्मरण हो गया है ।
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात