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पुणे में हिन्दुनिष्ठोंके विरोध के पश्चात प्रदर्शनी से श्री हनुमान एवं सीता के अश्‍लाघ्य छायाचित्र हटाए !

फाल्गुन कृष्ण पक्ष षष्ठी, कलियुग वर्ष ५११६

आस्थास्थानोंके अवमान के विरुद्ध कृत्य करने वाले विहिंप एवं शिवप्रतिष्ठान का अभिनंदन !

हिन्दुओ, धर्म पर होने वाले प्रत्येक आक्रमण के विरुद्ध इस प्रकार संगठित होने पर ‘हिन्दू राष्ट्र’ की स्थापना में विलंब नहीं लगेगा !

पुणे (महाराष्ट्र) : हिन्दुनिष्ठोंने आयोजकोंको बालगंधर्व कलादालन में चालू ‘पुणे बिनाले’ छायाचित्र प्रदर्शनी में लगाए गए भगवान श्री हनुमान एवं सीता की अश्‍लाघ्य विडंबना करने वाले छायाचित्र को प्रदर्शनी से हटाने पर विवश किया। इस प्रकरण में डेक्कन पुलिस थाने में परिवाद प्रार्थना पत्र दिया गया। प्रार्थना पत्र में जानबूझकर हिन्दुओंके आस्थास्थानोंका अवमान कर धार्मिक भावनाओंको आहत करनेवालोंके विरुद्ध कठोर कार्यवाही करने की मांग की गई है।

१. पुणे महानगरपालिका, पंचशील रियल्टर्स तथा भारती विद्यापीठ द्वारा इस प्रदर्शनी का आयोजन किया गया है।

२. आपत्तिजनक छायाचित्र में एक प्रवाह दर्शाकर उसे ‘सीता फॉल’ ऐसा नाम दिया गया था। ऐसा दर्शाया गया था कि यह प्रवाह योनिमार्ग से आ रहा है एवं वहां श्री हनुमान खडे हैं। साथ ही २ मुखौटे भी दर्शाए गए थे। (यह पढकर जिन का खून नहीं खौलता, वे हिन्दू हैं ही नहीं ! यह छायाचित्र प्रदर्शनी में रखने वाले आयोजकोंका जितना निषेध करें, थोडा ही है। छायाचित्रप्रदर्शनी के छायाचित्रोंके विषय में हमें कुछ जानकारी नहीं थी, ऐसा दृष्टिकोण रखकर हिन्दुओंकी आंखों में धूल झोंकने को आगे पीछे नहीं करेंगे। इसलिए हिन्दुओंको ही जागृत होना आवश्यक है।- संपादक, दैनिक सनातन प्रभात )

३. इस विषय में पता चलते ही विश्‍व हिन्दू परिषद के सर्वश्री विक्रम सुर्वे, श्रीकांत किल्लाळ, बोडके, प्रकाश कालोखे, अमोल व्यवहारे, स्वप्निल राजवाडे, नीलेश तळेकर, आशीष भरम तथा शिवप्रतिष्ठान के श्री. भूषण राऊत आदि कार्यकर्ताओंने त्वरित प्रदर्शनी के स्थान पर जाकर वहां उपस्थित आयोजकोंके प्रतिनिधियोंको कथित आपत्तिजनक छायाचित्र हटा देने के विषय में कहा।

४. आरंभ में हठपूर्ण दृष्टिकोण रखने वाले प्रदर्शनी के प्रतिनिधियोंने पश्चात हिन्दू संगठनोंके आगे नरमी की नीति को अपनाकर छायाचित्र को हटा दिया ।

स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात

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